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Written By BBC Hindi
Last Modified: गुरुवार, 15 जून 2023 (07:49 IST)

बिपरजॉय तूफान: अरब सागर के भीतर इतनी उथल-पुथल क्यों है?

बिपरजॉय तूफान: अरब सागर के भीतर इतनी उथल-पुथल क्यों है? - cyclone biporjoy : sea storm in arabian sea
जयदीप वसंत, बीबीसी गुजराती के लिए
Cyclone Biporjoy : भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक बिपरजॉय तूफान उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिसकी भविष्यवाणी की गई थी और यह 15 जून की शाम तक 120-130 से 145 किमी प्रति घंटे की गति से गुजरात के मांडवी, जाखू तट और पाकिस्तान के कराची में समुद्री तट से टकरा सकता है।
 
हालांकि, थोड़ी राहत की बात यह है कि यह अत्यधिक गंभीर चक्रवाती तूफान से बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील हो गया है। यानी पहले जितनी आशंका जताई जा रही थी, उसकी तुलना में यह तूफान कमतर हो गया है।
 
इस तूफान के साथ ये सवाल फिर से लोगों के जहन में उठ रहा है कि आखिर अरब सागर से उठने वाले समुद्री तूफानों की संख्या क्यों बढ़ती जा रही है। ज़ाहिर है कि देश में सबसे लंबी समुद्री तट रेखा वाले राज्य के तौर पर गुजरात को इसका नुक़सान भी उठाना पड़ता है।
 
अरब सागर में इतनी हलचल क्यों?
गुजरात में देश की सबसे लंबी समुद्री तटरेखा है और इसकी लंबाई करीब 1,600 किलोमीटर है। माना जाता है कि अरब सागर में बढ़ते तापमान हाल के वर्षों में चक्रवातों की संख्या, उनकी तीव्रता और उनके कारण होने वाली भारी बारिश के चलते होने वाला नुकसान एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है।
 
गुजरात में 40 से ज्यादा छोटे-बड़े बंदरगाह रोजाना अरबों रुपए के माल का आयात-निर्यात करते हैं। समुद्री तूफानों की बढ़ती संख्या से ना केवल इस कारोबार को बल्कि समुद्री तट पर रहने वाले लोगों की आजीविका और जीवन को भी ख़तरा पहुँचता है।
 
बिपरजॉय 2023 का गुजरात का पहला और 'मोका' के बाद देश का दूसरा चक्रवात है। उल्लेखनीय है कि 2019 में अरब सागर में 'महा', 'वायु', 'हिक्का', 'क्यार' जैसे तूफान आए थे।
 
इतने ज़्यादा समुद्री तूफान क्यों?
समुद्री तूफान के बनने का सीधा संबंध समुद्र की सतह के तापमान से है। इन बढ़ते तापमान के लिए जलवायु परिवर्तन को एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है।
 
भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान, यमन और ओमान जैसे देशों में भी पहले से ज्यादा शक्तिशाली समुद्री तूफान देखने को मिल रहे हैं।
 
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे में समुद्र के बढ़ते तापमान का अध्ययन कर रहे वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रॉक्सी मैथ्यू कोले कहते हैं, "जलवायु परिवर्तन ने पिछले एक दशक में अरब सागर की सतह के तापमान में 1.2 डिग्री से 1.4 डिग्री की वृद्धि की है। यह चक्रवात उत्पन्न करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।"
 
"पहले अरब सागर की सतह ठंडी थी, जिसके कारण समुद्र में कम दबाव का क्षेत्र या कहें गहरे गड्ढे बनते थे, लेकिन पश्चिम-मध्य और उत्तरी अरब सागर की सतह का तापमान कम होने के कारण वे तूफान का रूप नहीं ले पाते थे। समुद्र की सतह के उच्च तापमान के कारण ना केवल तूफान बनते हैं बल्कि उनकी तीव्रता भी अधिक होती है।"
 
राज्य में आमतौर पर मई-जून के महीनों के दौरान मॉनसून के दौरान और अक्टूबर-नवंबर में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के अंत में चक्रवात आते हैं।
 
क्या हाल के वर्षों में गुजरात में तूफानों की संख्या बढ़ी है, इस सवाल के जवाब में डॉ. कोले कहते हैं, "तूफान समुद्र में बनते हैं। इसके ऊपर के वातावरण में हवा तूफान की दिशा निर्धारित करती है। तूफान का रास्ता समुद्र में उसके उत्पत्ति स्थान और उसके ऊपर के वातावरण में हवा की दिशा से निर्धारित होता है। आम तौर पर इस दौरान अरब सागर में जो तूफान बनते हैं, उसकी दिशा गुजरात की ओर होती है।"
 
पहले देश के पूर्वी भाग में बंगाल की खाड़ी उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की संख्या और तीव्रता के प्रति संवेदनशील थी, लेकिन हाल के वर्षों में यही प्रवृत्ति अरब सागर में देखी गई है।
 
जब कोई तूफान पिछले 24 घंटों में 55 किमी तक विकसित हो जाता है तो यह 'सुपर साइक्लोन' का रूप ले लेता है। बिपरजॉय और तोकते के मामले में इसने अचानक सुपर साइक्लोन का रूप ले लिया।
 
डॉ. कोले के मुताबिक, "तूफान की गति में संभावित वृद्धि की भविष्यवाणी करने में समुद्र का तापमान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पश्चिमी तट पर समुद्र के तापमान की जानकारी प्राप्त करने के लिए आवश्यक उपकरण और डेटा उपलब्ध नहीं हैं, जिससे पूर्वानुमान मॉडल से सटीक जानकारी नहीं मिलती है।"
 
"इतना ही नहीं, अचानक यह एक सुपर साइक्लोन का रूप ले लेता है, जिससे तटवर्ती इलाक़े से लोगों को निकालने के लिए आवश्यक तैयारी का समय नहीं बचता है।"
 
डॉ. कोले ने देश के पूर्वी तट पर विभिन्न विभागों के बीच आपसी समन्वय, जन भागीदारी और प्रशासनिक तत्परता की प्रशंसा करते हैं और पश्चिमी तट पर इसी तरह की तैयारियों की बात कहते हैं।
 
सरकार, अध्ययन और तैयारी
सरकार सतर्क रहने और अरब सागर में मौजूदा स्थिति और गुजरात पर इसके संभावित प्रभाव का अध्ययन करने का भी दावा कर रही है।
 
गुजरात सरकार के एक अधिकारी के मुताबिक, "साल 2020 में कोरोना के समय के आसपास एक रिपोर्ट गुजरात सरकार को सौंपी गई थी, जिसमें अरब सागर के प्रभाव के बारे में शोध किया गया था। कहा जाता है कि भावनगर और नवसारी बीच के तट पर चक्रवात का ख़तरा अधिक है।"
 
"भावनगर और अहमदाबाद 'अति उच्च क्षति संभावित क्षेत्र' के अंतर्गत आते हैं, जबकि तट के 100 किलोमीटर के भीतर 17 जिले (या उनके उपनगर) 'उच्च क्षति संभावित क्षेत्र' के अंतर्गत आते हैं।"
 
गुजरात का एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां चक्रवात की 'बहुत अधिक आशंका' न हो। अहमदाबाद, भावनगर, जामनगर, सूरत, नवसारी, राजकोट, कच्छ, जूनागढ़, आणंद, भरूच, वलसाड, पोरबंदर, मोरबी, देवभूमि द्वारका और गिर सोमनाथ ज़िले 'उच्च' क्षमता वाले समुद्री तूफान की आशंका वाले ज़िले हैं। वड़ोदरा और अमरेली जिलों में 'मध्यम' संभावना है जबकि सुरेंद्रनगर और खेड़ा 'कम' संभावना वाले क्षेत्र हैं।
 
पिछले कुछ सालों में गुजरात में तटीय औद्योगिक विकास ने मैंग्रोव को नष्ट कर दिया है। इस रिपोर्ट मैंग्रोव को फिर से लगाने की सिफ़ारिश की गई है और कहा गया है कि इससे देश के अन्य हिस्सों में लाभ मिला है।
 
समुद्री तूफान का इतिहास
1975 से 1999 के बीच गुजरात में आए समुद्री तूफानों की बात करें तो ये पोरंबदर, वेरावल, दीउ और कच्च एवं सौराष्ट्र के समुद्र तटीय इलाकों में आए थे। जब किसी चक्रवात की गति 31 किमी प्रति घंटे (या उससे कम) होती है, तो इसे 'निम्न दबाव क्षेत्र' के रूप में जाना जाता है।
 
जब चक्रवात की गति 31-49 किमी प्रति घंटे होती है तो इसे 'डिप्रेशन' के रूप में जाना जाता है। जब यह 50 से 61 किमी/घंटा की गति तक पहुँच जाता है, तो इसे 'डीप-डिप्रेशन' के रूप में जाना जाता है।
 
जब हवा की गति 62 से 88 किमी प्रति घंटे तक पहुंच जाती है तो यह 'तूफान' बन जाता है। जब यह 89 से 118 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक पहुंच जाता है तो यह 'गंभीर चक्रवात' बन जाता है।
 
221 किमी प्रति घंटे से कम और 119 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति को 'अत्यंत गंभीर चक्रवात' कहा जाता है और 222 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति को 'सुपर साइक्लोन' कहा जाता है। चक्रवात अपने साथ भारी से मूसलाधार बारिश लाते हैं, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है।
 
तूफान के मध्य भाग को 'चक्रवात की आंख' कहा जाता है और यह क्षेत्र शांत होता है। तूफान का रूप ले चुके चक्रवात की परिधि 150 से एक हजार किलोमीटर तक हो सकती है। चक्रवात की आंख का व्यास 30 से 50 किलोमीटर तक हो सकता है।
 
चक्रवात की आंख के आसपास 50 किमी तक के क्षेत्र में गरज के साथ भारी बारिश होती है। इसे बादलों की दीवार वाले क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। इसके बाहर, जितना दूर जाएंगे, चक्रवात का प्रभाव उतना ही कम होगा।
 
चक्रवात तट तक पहुँचने के लिए प्रतिदिन 300 से 500 किमी की यात्रा करता है। तट से टकराने के बाद यह धीमा हो जाता है, लेकिन अक्सर अपनी गति को बनाए रखता है, जिससे भारी तबाही और विनाश होता है। तूफान जैसे ही तट के पास पहुंचता है, 10 फ़ीट से लेकर 40 फ़ीट तक की लहरें उत्पन्न हो सकती हैं।
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