सोमवार, 23 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Congress, BJP, Gujarat assembly elections
Written By

कांग्रेस किस दम पर देख रही है गुजरात में सत्ता का ख़्वाब?

कांग्रेस किस दम पर देख रही है गुजरात में सत्ता का ख़्वाब? - Congress, BJP, Gujarat assembly elections
- प्रशांत दयाल
गुजरात में 1990 के बाद विधानसभा में एक भी चुनाव न जीतने वाली गुजरात कांग्रेस 2017 चुनाव में जीतने के ख़्वाब देख रही है। पिछले छह विधानसभा चुनाव हार चुकी कांग्रेस मानती है कि वह गांधीनगर पहुंचाने वाले रास्ते के करीब पहुंच गई है।
इस विश्वास के पीछे कुछ तर्क और तथ्य हैं। कांग्रेस सत्ता के करीब होने का दावा क्यों कर रही है, इसे समझने के लिए गुजरात की राजनीति में पिछले 30 साल में हुए बदलाव को समझना जरूरी है।
 
आख़िरी बार ऐसे जीती थी कांग्रेस : 1985 में गुजरात में हुआ चुनाव कांग्रेस ने माधवसिंह सोलंकी की अगुवाई में लड़ा था। माधवसिंह सोलंकी ने चुनाव जीतने के लिए क्षत्रिय-मुस्लिम-दलित और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को अपने साथ कर लिया। इसका नतीजा यह रहा कि गुजरात की 182 सीटों में से 149 पर कांग्रेस को जीत मिली।
 
इस जीत में गुजरात के किसान, जो ज़्यादातर पटेल समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, वे भी कांग्रेस के साथ थे। 1990 का चुनाव गुजरात जनता दल और बीजेपी ने मिकलर लड़ा। जनता दल के नेता चिमनभाई पटेल थे और भाजपा ने केशुभाई पटेल को अपना नेता घोषित किया था।
 
बीजेपी ने बदली थी रणनीति : अब गुजरात की राजनीति समझ चुकी बीजेपी को एहसास हो चुका था कि अगर दलित-मुस्लिम और क्षत्रिय मतदाता कांग्रेस के साथ हैं तो वह पटेल समुदाय को अपने साथ करके चुनाव जीत सकती है।
 
इसी कारण केशुभाई पटेल जो पटेल होने के साथ गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र से आते थे, उन्हें नेतृत्व दिया गया था। बीजेपी का प्रयोग सफल हुआ और 1990 में कांग्रेस की हार हुई। जनता दल और बीजेपी की मिलीजुली सरकार बनी।
 
हालांकि राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी और जनता दल का साथ टूट गया, लेकिन इस दौरान बीजेपी ने पटेल समुदाय पर अपना वर्चस्व हासिल कर लिया था। इसका फ़ायदा बीजेपी को 1995 में मिलना शुरू हुआ। बीजेपी ने आर्थिक रूप से पिछड़ों और पटेल समुदाय को साथ लेकर सत्ता हासिल की। तब से लेकर आज तक बीजेपी की सरकार बनती आ रही है।
 
इसलिए बढ़ा है कांग्रेस का विश्वास : 22 सालों तक सत्ता से बाहर रहने वाली कांग्रेस को अपनी गलतियों का अहसास हुआ। उसने पाटीदार आरक्षण मामले में आंदोलनकारियों की मदद की। अब जिन मुद्दों की वजह से कांग्रेस यह मान रही है कि वह सत्ता के करीब हैं, वे इस तरह से हैं :
 
1. गुजरात का पटेल समुदाय जो 1990 तक कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ चला गया था, वह पटेल आरक्षण के मुद्दे को लेकर बीजेपी का साथ छोड़कर फिर कांग्रेस की तरफ आता दिख रहा है।
 
2. गुजरात का दलित समुदाय भी 1990 तक कांग्रेस के साथ था, मगर फिर विश्व हिंदू परिषद के राम मंदिर आंदोलन में शामिल हो गया था और बीजेपी के साथ आ गया था।
 
युवा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी दलितों को यह बात समझाने में कामयाब रहे हैं कि 22 सालों तक भाजपा के साथ रहकर भी उनकी हालत में बदलाव नहीं हुआ। इसके पीछे 2016 में गुजरात के उना में हुई घटना भी ज़िम्मेदार है जिसमें गोरक्षकों ने दलितों की पिटाई कर दी थी।
 
3. गुजरात में आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों को आरक्षण तो मिलता है, मगर शिक्षा के बाद नौकरी नहीं मिलती। और जिनके पास ज़मीन है, उनकी ज़मीन सरकार छीनकर बड़े उद्योगों को दे रही है। ठाकोर नेता अल्पेश ठाकोर इस बात को समझाने में कामयाब रहे हैं कि पिछड़ी जाति का इस्तेमाल सिर्फ वोटबैंक के रूप में होता रहा है। अब तो वे खुद भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
 
4. गुजरात में बीजेपी सरकार का दावा था कि उसके शासन में लाखों बेरोज़गारों को नौकरी मिली। मगर नौकरी पाने वालों का आरोप है कि सरकार ने नौकरी तो दी, लेकिन पांच साल तक फिक्स तनख्वाह पर काम करने के लिए मजबूर किया।
 
इस मामले में गुजरात सरकार हाईकोर्ट में भी हार चुकी है, मगर उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी। इस कारण लाखों सरकारी कर्मचारी भाजपा से नाराज़ हैं।
 
5. नरेंद्र मोदी ने केंद्र में गुजरात मॉडल की बात तो की, लेकिन गुजरात के लोग बीजेपी के विकास मॉडल से खुश नहीं हैं। इसी साल हुई बारिश में गुजरात के अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इसके चलते गुजरात में 'विकास पागल हुआ' जैसे मैसेज सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुए।
 
6. गुजरात के ज़्यादातर लोग व्यापार करते हैं। पहले उन्हें नोटबंदी को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ा, अब वे जीएसटी से परेशान हैं। गुजरात का व्यापारी बीजेपी के ख़िलाफ हो चुका है।
 
7. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रचार सोशल मीडिया के ज़रिए किया। इस बार कांग्रेस सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल कर रही है।
 
बीजेपी सरकार कथित तौर पर टीवी और अखबारों में अपने खिलाफ आने वाली खबरें रोक लेती थी, मगर कांग्रेस उन्हीं रुकी हुई ख़बरों को सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के बीच ला रही है।
 
8. राज्यसभा के चुनाव ने कांग्रेस में जान फूंक दी है। अभी तक कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता मानने लगे थे कि गुजरात में कांग्रेस कभी चुनाव नहीं जीत सकती। इससे कांग्रेस में खोया हुआ विश्वास वापस आया कि लड़ेंगे तो जीत भी सकते हैं। 22 सालों में कांग्रेस पहली बार आक्रामक हुई है।
 
9. गुजरात के तीन युवा आंदोलनकारी हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी अब बीजेपी के ख़िलाफ़ हैं। इस कारण कांग्रेस का भरोसा बढ़ा है।
 
10. पिछले 22 साल से बीजेपी का शासन रहा है। इस कारण कई इलाकों में लोगों का रवैया बीजेपी विरोधी होना स्वाभाविक है। राज्यसभा चुनाव में अमित शाह और बीजेपी ने कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर अहमद पटेल को हराने की भरपूर कोशिश की, बावजूद इसके अहमद पटेल चुनाव जीत गए।
ये भी पढ़ें
गुजरात में बीजेपी की ज़मीन कमज़ोर या कांग्रेस की ख़ुशफ़हमी