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Last Modified: शनिवार, 2 जुलाई 2016 (14:55 IST)

जब फोन की जगह 'फेना' आ जाए!

जब फोन की जगह 'फेना' आ जाए! - ask for phone, gots fena
दिल्ली के भरत टंडन को उस समय गहरा धक्का लगा जब ऑनलाईन शॉपिंग के जरिए मंगवाए एक फोन की जगह उन्हें किसी ने साबुन की टिक्की भेज दी।
 
स्नैपडील डॉटकॉम से मंगवाए गए एक स्मार्टफोन के लिए इंतजार कर रहे भरत ने जब अपने ऑफिस में कूरियर से आए डिब्बे को खोला तो उसमें 'फेना' साबुन की दो टिकियां निकली।
 
भरत ने बताया, 'मैंने कई लोगों के साथ ऐसा होते सुना था लेकिन यह मेरे साथ जब हुआ तो मैं हैरान रह गया।' भरत बताते हैं, 'एक आम ऑनलाईन खरीदारी की तरह मैंने इसे कैश ऑन डिलिवरी पर मंगवाया और जब मेरे पास यह पैकेट पहुंचा तो मैंने बिना किसी शक के डिलिवरी ब्वाय को 12 हजार रुपए दे दिए। डिब्बे में साबुन होने की वजह से वह फोन जितना ही भारी लग रहा था लेकिन जब कुछ ही मिनटों बाद मैंने इसे खोला तो इसमें फोन नहीं फेना निकला।'
 
भरत ने इस घटना की शिकायत कंपनी को करने के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी इस डाला और देखते देखते लोग इसे शेयर करने लगे। स्नैपडील की सोशल मीडिया टीम ने इस पर तुरंत कार्यवाही की और माफी मांगते हुए भरत को रिफंड या फोन देने का भरोसा दिलाया।
 
बीबीसी को दिए जवाब में स्नैपडील ने कहा कि हमें इस घटना का खेद है और हम इस गलती को तुरंत सुधारेंगे, आप हमें जांच का कुछ समय दें।
 
स्नैपडील के सप्लाई चेन के मैनेजर गौरव भारद्वाज ने कंपनी के पक्ष को साफ करते हुए कहा कि देखिए एक प्रोडक्ट किसी दुकान या स्नैपडील के हब (गोदाम) से निकल कर किसी ग्राहक तक पहुंचने में कई हाथों से निकलता है और ऐसे में कुछ ही मिनटों में यह जान लेना कि गलती कहां हुई काफी मुश्किल है।
 
वो बताते हैं कि भरत के मामले में फोन बेंगलुरू के किसी डीलर से चलकर, वहां की कूरियर कंपनी, बेंगलुरु एयरपोर्ट, दिल्ली एयरपोर्ट, दिल्ली की एक कूरियर कंपनी से होता हुआ ग्राहक तक पहुंचा है और आज ही यह बता देना कि इस मामले में गलती कहां हुई प्रैक्टिकल बात नहीं है।
 
आमतौर पर इस तरह के मामले झूठे निकलते हैं और कंपनी का नाम खराब करने के लिए या उनसे हर्ज़ाना वसूलने के लिए भी कई लोग ऐसी झूठी तस्वीरें या ख़बरें सोशल मीडिया पर डाल देते हैं।
 
अफ्रीका में कुछ सालों पहले 'केएफसी' के खाने में चूहा निकलने की बात सामने आई थी लेकिन जांच करने पर ग्राहक उस टुकड़े को प्रस्तुत नहीं कर पाए थे।
 
गौरव कहते हैं कि इस बात का कोई सबूत नहीं होता कि ग्राहक ने जब पैकेट खोला तो उसके अंदर वाकई साबुन था या फोन और इस कारण ऐसी घटनाओं पर हमें बहुत सावधान रहना पड़ता है।
 
भरत के मामले में एक अच्छी बात यह रही कि जब उन्होनें यह पैकेट खोला वह अपने दफ्तर में थे और ऑफिस के सीसीटीवी की मदद से उन्होंने अपनी बात की सच्चाई कंपनी के सामने रखी।
 
स्नैपडील की और से यह भरोसा दिलाया गया है कि इस मामले में भले ही स्नैपडील को 'चोर' पकड़ने में कुछ महीने का समय लगे लेकिन भरत को उनका प्रोडक्ट या रिफ़ंड दे दिया जाएगा।
 
ऑनलाईन फ्रॉड मामलों के जानकार नितिन भटनागर इस घटना पर कहते हैं, 'ऐसे मामलों में आपको घबराने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि ई कॉमर्स कंपनियों को अपनी साख की ख़ासी चिंता होती है।'
 
नितिन बताते हैं कि इस तरह के मामलों में 90 प्रतिशत मामले गलत या झूठे निकलते हैं लेकिन यह मामला सीसीटीवी फ़ुटेज के कारण पुख़्ता हो गया है। ग्राहक (भरत) कानूनी तौर पर कंपनी से हर्जाना मांग सकते हैं या फिर वो पुलिस में जा सकते हैं।
 
वैसे भरत ने बीबीसी से साफ किया कि वो ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे क्योंकि स्नैपडील के मुख्य प्रबंधक कि ओर से भी उन्हें माफीनामा मिला है और जल्द ही पैसा या फोन लौटाने का आश्वासन भी, बस वो साबुन वापिस नहीं करेंगे!
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