शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
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Written By WD Feature Desk

अयोध्या पर 7 सवालों के उत्तर जानिए

रामजन्मभूमि अयोध्या पर ये 7 जानकारी आपको हैरान कर देगी

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Answers to 7 questions on Ayodhya: स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या शब्द 'अ' कार ब्रह्मा, 'य' कार विष्णु है तथा 'ध' कार रुद्र का स्वरूप है। इसका शाब्दिक अर्थ है जहां पर युद्ध न हो। अयोध्या में 500 वर्षों के बाद पुन: राम मंदिर बनकर तैयार है। यहां 22 जनवरी 2024 सोमवार को इसका उद्घाटन होगा। इसी के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा भी होगी। अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और 7 पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। यह प्राचीन नगर रामायण काल से भी पुराना है। अयोध्या पर आपके मन में कई सवाल होंगे। आओ जानते हैं 07 महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर।
 
1. किसने स्थापित की थी अयोध्या?
सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर की रामायण अनुसार विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापना की गई थी। ब्रह्माजी के पुत्र मरीचि से कश्यप का जन्म हुआ। कश्यप से विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु थे। स्‍कंदपुराण के अनुसार अयोध्‍या भगवान विष्‍णु के चक्र पर विराजमान है।
 
2. अयोध्या कितना प्राचीन नगर है?
माथुरों के इतिहास के अनुसार वैवस्वत मनु लगभग 6673 ईसा पूर्व हुए थे। इसका मतलब यह कि अयोध्या करीब 8697 वर्ष पुराना नगर है। यह कई बार उजाड़ हुआ और कई बार इसे पुन: बसाया गया। अंतिम बार उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने इसे बसाया था।
 
3. अयोध्या में कब बनाया गया था प्रथम बार राम मंदिर?
सबसे पहले श्रीराम के पुत्र कुश ने बनाया था यहां पर भव्य मंदिर जो उजाड़ हो गया था। इसके बाद महाराज विक्रमादित्य को इस भूमि में कुछ चमत्कार दिखाई देने लगे। तब उन्होंने खोज आरंभ की और पास के योगी व संतों की कृपा से उन्हें ज्ञात हुआ कि यह श्रीराम की अवध भूमि है। उन संतों के निर्देश से सम्राट ने यहां एक भव्य मंदिर के साथ ही कूप, सरोवर, महल आदि बनवाए। कहते हैं कि उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि पर काले रंग के कसौटी पत्थर वाले 84 स्तंभों पर विशाल मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर की भव्यता देखते ही बनती थी। यहां पर अद्भुत राममूर्ति को स्थापित किया गया था। विक्रमादित्य के बाद के राजाओं ने समय-समय पर इस मंदिर की देख-रेख की। उन्हीं में से एक शुंग वंश के प्रथम शासक पुष्यमित्र शुंग ने भी मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। अनेक अभिलेखों से ज्ञात होता है कि गुप्तवंशीय चन्द्रगुप्त द्वितीय के समय और तत्पश्चात काफी समय तक अयोध्या गुप्त साम्राज्य की राजधानी थी। गुप्तकालीन महाकवि कालिदास ने अयोध्या का रघुवंश में कई बार उल्लेख किया है। यहां पर 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री हेनत्सांग आया था। उसके अनुसार यहां 20 बौद्ध मंदिर थे तथा 3,000 भिक्षु रहते थे और यहां हिन्दुओं का एक प्रमुख और भव्य मंदिर भी था, जहां रोज हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने आते थे।
Age of Lord Sri Ram
4. अयोध्या पर किसने किया शासन?
अयोध्या रघुवंशी राजाओं की कौशल जनपद की बहुत पुरानी राजधानी थी। वैवस्वत मनु के पुत्र इक्ष्वाकु के वंशजों ने इस नगर पर राज किया था। यहां पर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभनाथ ने शासन किया। इसके बाद इसी क्रम में राजा दिलीप और भागिरथ ने भी शासन किया। इस वंश में राजा दशरथ 63वें शासक थे। इसी वंश के राजा भारत के बाद श्रीराम ने शासन किया था। उनके बाद कुश ने एक इस नगर का पुनर्निर्माण कराया था। कुश के बाद बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इस पर रघुवंश का ही शासन रहा। फिर महाभारत काल में इसी वंश का बृहद्रथ, अभिमन्यु के हाथों महाभारत के युद्ध में मारा गया था। बृहद्रथ के कई काल बाद तक यह नगर मगध के मौर्यों से लेकर गुप्तों और कन्नौज के शासकों के अधीन रहा। अंत में यहां महमूद गजनी के भांजे सैयद सालार ने तुर्क शासन की स्थापना की और उसके बाद से ही अयोध्या के लिए लड़ाइयां शुरु हो गई। उसके बाद तैमूर, तैमूर के महमूद शाह और फिर बाबर ने इस नगर को लूटकर इसे ध्वास्त कर दिया था।
 
5. अयोध्या के दर्शनीय स्थल कौन-कौन से हैं?
अयोध्या घाटों और मंदिरों की प्रसिद्ध नगरी है। सरयू नदी यहां से होकर बहती है। सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं। इनमें गुप्त द्वार घाट, कैकेयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। अयोध्या में मुख्‍य रूप से राम जन्मभूमि के दर्शन किए जाते हैं, जहां रामलला विराजमान हैं। अयोध्या के बीचोंबीच हनुमान गढ़ी में रामभक्त हनुमानजी का विशाल मंदिर है। इसी क्षेत्र में दन्तधावन कुंड है जहां श्रीराम अपने दांतों की सफाई करते थे।
 
अयोध्या का कनक भवन मंदिर भी देखने लायक है जहां राम और जानकी की सुंदर मुर्तियां रखी हैं। यहां राजा दशरथ का महल भी बहुत ही प्राचीन और विशाल है। अयोध्या में एक दिगंबर जैन मंदिर है जहां ऋषभदेवजी का जन्म हुआ था। इसके अलावा अयोध्या के मणि पर्वत पर बौद्ध स्तूपों के अवशेष हैं। अयोध्या से 16 मील दूर नंदिग्राम हैं जहां रहकर भरत ने राज किया था। यहां पर भरतकुंड सरोवर और भरतजी का मंदिर है। इसके अलावा संजीवनी पहाड़ से गिरा प्राचीन वृक्ष, सीता की रसोई, चक्र हरजी विष्‍णु मंदिर, त्रेता के ठाकुर, राम की पौढ़ी, जनौरा, गुप्तारघाट, सूर्यकुंड, सोनखर, सरयू पार छपैया गांव, सरयू तट पर दशरथ तीर्थ, नागेश्वर मंदिर, दर्शनेश्वर मंदिर, मोती महल-फैजाबाद, गुलाब बाड़ी-फैजाबाद और तुलसी चौरा आदि स्थान भी देखने लायक हैं।
 
6. कितने धर्मों का तीर्थ स्थल है अयोध्या?
अयोध्या हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म का संयुक्त तीर्थ स्थल है। अयोध्या जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभनाथ की जन्मभूमि भी है। अयोध्या में आदिनाथ के अलावा अजितनाथ, अभिनंदननाथ, सुमतिनाथ और अनंतनाथ का भी जन्म हुआ था। ऐसा कहते हैं कि भगवान बुद्ध की प्रमुख उपासिका विशाखा ने बुद्ध के सानिध्य में अयोध्या में धम्म की दीक्षा ली थी। इसी के स्मृतिस्वरूप में विशाखा ने अयोध्या में मणि पर्वत के समीप बौद्ध विहार की स्थापना करवाई थी। यह भी कहते हैं कि बुद्ध के माहापरिनिर्वाण के बाद इसी विहार में बुद्ध के दांत रखे गए थे। दरअसल, यहां पर सातवीं शाताब्दी में चीनी यात्री हेनत्सांग आया था। उसके अनुसार यहां 20 बौद्ध मंदिर थे तथा 3000 भिक्षु रहते थे और यहां हिंदुओं का एक प्रमुख और भव्य मंदिर था।
 
7. अयोध्या आंदोलन में कितने रामभक्तों ने दिया बलिदान: जब मंदिर तोड़ा जा रहा था तब जन्मभूमि मंदिर पर सिद्ध महात्मा श्यामनंदजी महाराज का अधिकार था। उस समय भीटी के राजा महताब सिंह बद्रीनारायण ने मंदिर को बचाने के लिए बाबर की सेना से युद्ध लड़ा। कई दिनों तक युद्ध चला और अंत में हजारों वीर सैनिक शहीद हो गए। इतिहासकार कनिंघम अपने 'लखनऊ गजेटियर' के 66वें अंक के पृष्ठ 3 पर लिखता है कि 1,74,000 हिन्दुओं की लाशें गिर जाने के पश्चात मीर बकी अपने मंदिर ध्वस्त करने के अभियान में सफल हुआ।