यक्षिणियों की सिद्धि प्राप्त करने हेतु दृढ़ इच्छाशक्ति होना आवश्यक है तथा साधन एवं विधान के बारे में जानकर प्रयास किए जाएं। इसके अलावा कई वनस्पतियों यानी पौधों या वृक्ष में यक्षिणियां निवास करती हैं...प्रस्तुत है संक्षेप में जानकारी:
(1) वटवृक्ष में वट यक्षिणी- धन प्राप्ति
(2) चिंचा वृक्ष में विशाला यक्षिणी- धन प्राप्ति
(3) महुआ वृक्ष में मेखला यक्षिणी- दिव्य रसायन
(4) बिल्व वृक्ष में महायक्षिणी- ऐश्वर्य प्राप्ति।
(5) वटवृक्ष में चन्द्रद्रवा यक्षिणी- दिव्य रसायन
(6) पीपल वृक्ष में धनदा यक्षिणी- धन प्राप्ति
(7) आम के वृक्ष में पुत्रदा यक्षिणी- पुत्र प्राप्ति
(8) धतूरे के वृक्ष में धात्री यक्षिणी- अशुभ नाश
(9) गूलर वृक्ष में विद्यादात्री यक्षिणी- ज्ञान प्राप्ति
(10) निर्गुण्डी वृक्ष में विद्यादात्री यक्षिणी- ज्ञान प्राप्ति
(11) अर्क के पेड़ में जया यक्षिणी- कार्यसिद्धि
(12) श्वेत गुंजा में संतोषा यक्षिणी- कार्यसिद्धि
(13) तुलसी वृक्ष में राज्यदा यक्षिणी- राज्य प्राप्ति
(14) अंकोल वृक्ष में राज्यदा यक्षिणी- राज्य प्राप्ति
(15) कुश वृक्ष में- कुशा यक्षिणी- कार्यसिद्धि
(16) अपामार्ग वृक्ष में अपामार्ग यक्षिणी- सर्व सिद्धि
(17) इनके अलावा उच्छिष्ट यक्षिणी, चन्द्रामृत, स्वामीश्वरी, महामायाभोग, सुलोचना, विद्या, हटेले देवी इत्यादि देवियां हैं, जो भिन्न-भिन्न सिद्धियां देती हैं।
वृक्ष शुद्ध स्थान व एकांत में होने चाहिए जिनके समीप साधना की जाए। यहां यक्षिणियों का परिचय मात्र है, बाकी जानकारी गुरुमुख से प्राप्त की जा सकती है।