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बवासीर-नाशक गंडा
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बबूल के पेड़ पर कभी-कभी एक पौधा अपने आप उग आता है, जिसके पत्ते आम के पत्तों जैसे होते हैं। यह पौधा 'बंदा बूटी' कहलाता है। -
शनिवार की संध्या को इस पेड़ के पास जाकर श्रद्धा भाव से उसे प्रणाम करके, दीपक जलाते हुए यह आमंत्रण कर आएँ कि प्रातःकाल हम बंदा बूटी लेने आएँगे।-
रविवार के सूर्योदय के समय बंदा बूटी ले आएँ।-
एक काले कोरे कपड़े में बूटी को सिलकर लाल रंग के सूती धागे में बाँध कर गंडा बनाएँ।-
रोगी की कमर में इस गंडे को बाँध दें। इसके बँधे रहने से पुरानी बवासीर ठीक होगी और फिर आयु पर्यन्त नहीं होगी।काले धतूरे की जड़ (लगभग छ: माशा) धागे के सहारे कमर पर बाँधने से भी बवासीर चाहे जैसी हो, मिट जाती है। अतिसारनाशक गंडा-
सहदेई की जड़ के सात टुकड़े करें।-
बँटे हुए टुकड़े लाल सूत में लपेट कर गंडा तैयार कर लें।-
यह गंडा कमर में बाँधने से अतिसार दूर होता है।