श्रवण में जन्मा जातक धनी होता है
शास्त्रों के अनुसार और ज्योतिष की गणना के अनुसार 27 नक्षत्र माने जाते हैं। इसमें उत्तराषाढ़ा और धनिष्ठा के बीच में श्रवण नक्षत्र होता है। इस नक्षत्र में होने वाले कार्यों को सामान्यतया शुभ माना गया है।श्रवण नक्षत्र में जन्म लिया हुआ जातक धनी, सुखी और लोक विख्यात होता है। श्रवण नक्षत्र शनिवार को बहुत शुभ फल देता है। इस नक्षत्र में चलने-फिरने वाले कार्य शुभ कहे गए हैं।नक्षत्रों के तीन मुख होते हैं- (1) तिर्यक मुख, (2) अधोमुख और (3) उर्ध्वमुख। इनमें से श्रवण नक्षत्र का उर्ध्वमुख है। इसके फलस्वरूप इस नक्षत्र में राज्याभिषेक, गृहनिर्माण, प्रकाशन, ध्वजारोहण, नामकरण आदि कार्य शुभ होते हैं। व्यापार और घर के लिए खरीदी के लिए भी श्रवण नक्षत्र अत्यंत शुभ माना गया है।इसके अलावा जन्म लेने के बाद पहली बार बालक को घर से बाहर निकालने के लिए श्रवण नक्षत्र अतिशुभ है। विद्यारंभ के लिए वाग्दान मुहूर्त श्रवण नक्षत्र में बहुत अच्छा माना जाता है। श्रवण नक्षत्र में खोई हुई या चोरी गई वस्तु उत्तर दिशा में रहती है।कभी-कभी उसके प्राप्त नहीं होने की संभावना रहती है तथा उसके संबंध में कभी-कभी ही समाचार मिलते हैं। श्रवण नक्षत्र में बुध के प्रवेश होने से प्राकृतिक प्रकोप और अलसी, धान्य, चना, गुड़ की हानि होती है। श्रवण नक्षत्र में गुरु आने से पृथ्वी पर धान्य बहुत होता है। आरोग्य और शांति होती है। |
श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातक का अश्विनी नक्षत्र में जन्मी कन्या से विवाह हो सकता है अर्थात मिलाप होता है। भरणी से भी उसका विवाह उचित है। कृतिका से नहीं हो सकता, रोहिणी से भी नहीं.. |
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श्रवक्ष नक्षत्र की दूसरी जानकारी के अनुसार हम देखेंगे- श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातक का अन्य नक्षत्रों में जन्मे जातक से मिलाप और विवाह के योग (शुभ-अशुभ)।श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातक का अश्विनी नक्षत्र में जन्मी कन्या से विवाह हो सकता है अर्थात मिलाप होता है। भरणी से भी उसका विवाह उचित है। कृतिका से नहीं हो सकता, रोहिणी से भी नहीं। जबकि मृगशिरा ठीक है। आर्द्रा से बहुत ही शुभ है। पुनर्वसु से श्रेष्ठ और पुष्य नक्षत्र में जन्मी कन्या से विवाह शुभ होता है। मघा से अशुभ, पूर्वा फाल्गुन से ठीक है। उत्तरा फाल्गुन से भी ठीक और हस्त से शुभ। चित्रा से भी शुभ जबकि स्वाति से ठीक। विशाखा के तृतीय चरण तक कर सकते है, परंतु चतुर्थ चरण से अशुभ है। अनुराधा और ज्येष्ठा से शुभ है परंतु मूल से अशुभ है। पूर्वाषाढ़ा से शुभ है। उत्तराषाढ़ा के प्रथम चरण से अशुभ है परंतु द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ चरण से शुभ है। धनिष्ठा से शुभ है। इसके अलावा शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती के साथ भी मिलाप शुभ होता है। इस प्रकार हम श्रवण नक्षत्र में जन्मे जातक का अन्य नक्षत्र में जन्मी कन्या के साथ शुभ-अशुभ और वैवाहिक गुण मिलान जान सकते हैं।