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Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 15 मई 2025 (18:43 IST)

वृषभ संक्रांति के इन उपायों से मिलेगा नौकरी में प्रमोशन और व्यापार में उन्नति

ratha saptami 2025
सूर्य के वृषभ राशि में गोचर को वृषभ संक्रांति कहते हैं। सूर्य देव 14 मई, 2025 को रात 11 बजकर 51 मिनट पर शुक्र की राशि वृषभ में गोचर करेंगे। एक माह तक सूर्य इसी राशि में रहेंगे। संस्कृत में 'वृषभ' शब्द का अर्थ 'बैल' है। बैल को नंदी भी कहते हैं जो कि शिवजी का वाहन है। शास्त्रों में वृषभ संक्रांति को मकर संक्रांति के समान ही माना गया है। इस दिन विशेष उपाय करने से नौकरी में प्रमोशन और व्यापार में उन्नति के योग बनते हैं।
 
वृषभ संक्रांति का महत्व: शास्त्रों के अनुसार, वृषभ संक्रांति के दिन पूजा, जप, तप और दान करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस महीने में प्यासे को पानी पिलाने अथवा घर के बाहर प्याऊ लगाने से व्यक्ति को यज्ञ कराने के समतुल्य पुण्यफल मिलता है। वृषभ संक्रांति के दौरान सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में आते हैं और 15 दिनों तक रहते हैं इसमें शुरुआती 9 दिनों तक प्रचंड गर्मी पड़ती है। वृषभ संक्रांति के दिन भगवान शिव के ऋषभ रूद्र स्वरूप और भगवान सूर्य की पूजा किए जाने की परंपरा है। वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य पूजा करने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है। इसलिए सूर्य को अर्घ्‍य भी देना चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख और समृद्ध जीवन के साथ ही जातक पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति होकर मोक्ष प्राप्त करता है।
 
1. शिव जलाभिषेक: वृषभ संक्रांति के दिन भगवान शिव के ऋषभ रूद्र स्वरूप और भगवान सूर्य की पूजा किए जाने की परंपरा है। एक तांबे के लोटे में जल में थोड़ा सा दूध मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें, शिवजी का मंत्र बोलते हुए।
 
2. सूर्य को अर्घ्‍य करें अर्पित: सूर्य देव को जल अर्पित करने के लिए प्रात: काल तांबे के लोटे में जल लेकर उसी जल में मिश्री मिलाकर जल अर्पित करें। सूर्य को जल धीमे-धीमे इस तरह चढ़ाएं कि जलधारा पैर के पास या आसन पर ना गिरे भूमि पर गिरे। जमीन पर जलधारा गिरने से जल में समाहित सूर्य-ऊर्जा धरती में चली जाएगी और सूर्य अर्घ्य का संपूर्ण लाभ आप नहीं पा सकेंगे। अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का पाठ करें-
 
'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। 
अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।' (11 बार) 
' ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। 
मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा: ।।' (3 बार) 
- तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें। अपने स्थान पर ही तीन बार घुम कर परिक्रमा करें।
 
3. वृषभ संक्रांति 2025 पर करें मंत्र जाप:
ॐ सूर्याय नम:।।
ॐ भास्‍कराय नम:।।
ॐ घृणि सूर्याय नम:।।
नियमित रूप से 108 बार सूर्य मंत्र का जाप करने से इच्‍छाशक्‍ति बढ़ती है और सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है।
 
4. पिता के पैर छूएं: सुबह पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। इससे कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। पिता नहीं हो तो दादा या पिता समान ताऊ या काका के पैर छूकर उनका आशीर्वा लें। 
 
5. आदित्‍य हृदय स्‍तोत्र का पाठ: आध्‍यात्‍मिक शक्‍ति और आंतरिक एकाग्रता के लिए दिन में एक बार आदित्‍य हृदय स्‍तोत्र का पाठ करें।