गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. ज्योतिष आलेख
  4. Where is the worship of Kaal Sarp Dosh
Written By
Last Updated : शनिवार, 25 सितम्बर 2021 (17:28 IST)

त्र्यंबकेश्वर में ही क्यों होती है कालसर्प दोष की पूजा?

त्र्यंबकेश्वर में ही क्यों होती है कालसर्प दोष की पूजा? - Where is the worship of Kaal Sarp Dosh
ज्योतिष विद्वानों के अनुसार राहु और केतु के कारण ही कालसर्प दोष लगता है और उसी के कारण जीवन में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जब कुंडली में सारे ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते हैं तो उसे पूर्ण कालसर्प योग कहते हैं। कालसर्प दोष 12 प्रकार का होता है।
 
 
1. कालसर्प दोष की पूजा उज्जैज (मध्यप्रदेश), ब्रह्मकपाली (उत्तराखंड), त्रिजुगी नारायण मंदिर (उत्तराखंड), प्रयाग (उत्तरप्रदेश), त्रीनागेश्वरम वासुकी नाग मंदिर (तमिलनाडु) आदि जगहों पर होती है परंतु त्र्यंबकेश्वर (महाराष्ट्र) को खास जगह माना जाता है।
 
2. नाशिक के पास गोदावरी तट पर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यही पर नागपंचमी और विशेष दिनों में कालसर्प दोष की पूजा होती है। इस पूजा के लिए यह सबसे प्रमुख स्थान है।
 
3. इस एकमात्र स्थान पर प्रतिवर्ष लाखों लोग कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। कहते हैं कि यहां के शिवलिंग के दर्शन करने से ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर में कालसर्प शांति, त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबलि की पूजा संपन्न होती है। 
 
4. कहते हैं कि इस मंदिर में 3 शिवलिंगों की पूजा की जाती है जिनको ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाना जाता है। मंदिर के पास 3 पर्वत स्थित हैं, जिन्हें ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार कहा जाता है। ब्रह्मगिरी पर्वत भगवान शिव का स्वरूप है, नीलगिरी पर्वत पर नीलाम्बिका देवी और दत्तात्रेय भगवान का मंदिर है और गंगा द्वार पर्वत पर देवी गोदावरी मंदिर है।
 
5. यहां पर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए संपूर्ण पूजा विधिवत रूप से की जाती है, जिसमें कम से कम 3 घंटे लगते हैं। अन्य स्थानों की अपेक्षा इस स्थान का खास महत्व है क्योंकि यहां पर शिवजी का महा मृत्युंजय रूप विद्यमान है।
 
6. तीन नेत्रों वाले शिवशंभु के यहां विराजमान होने के कारण इस जगह को त्र्यंबक (तीन नेत्रों वाले) कहा जाने लगा। उज्जैन और ओंकारेश्वर की ही तरह त्र्यंबकेश्वर महाराज को यहां का राजा माना जाता है।
ये भी पढ़ें
हिन्दू पंचांग : जानिए ऐसे व्रत जो हर महीने आते हैं...