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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 14 नवंबर 2024 (17:49 IST)

वृश्चिक संक्रांति का महत्व, कौनसा धार्मिक कर्म करना चाहिए इस दिन?

वृश्चिक संक्रांति का महत्व, कौनसा धार्मिक कर्म करना चाहिए इस दिन? - Importance of Scorpio Sankranti
Vrishchik sankranti 2024: सूर्य का एक राशि से दूसरे राशि में जाना संक्रांति कहलाता है। मकर, मेष, मिथुन, धनु और कर्क संक्रांति का ज्यादा महत्व रहता है। 16 नवंबर 2024 शनिवार को वृश्‍चिक संक्रांति रहेगी। संक्रांति का संबंध कृषि, प्रकृति, खगोल और ऋतु परिवर्तन से है। इसलिए हर संक्रांति का महत्व रहता है। इस दिन महत्वपूर्ण धार्मिक कार्य भी किए जाते हैं और प्रत्येक संक्रांति की अपनी एक प्रथा भी होती है।ALSO READ: Surya in vrishchi 2024: सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर, 4 राशियों के लिए बहुत ही शुभ
 
वृश्‍चिक संक्रांति का क्या महत्व है?
वृश्चिक राशि सभी राशियों में सबसे संवेदनशील राशि है जो शरीर में तामसिक ऊर्जा, घटना-दुर्घटना, सर्जरी, जीवन के उतार-चढ़ाव को प्रभावित और नियंत्रित करती है। यह जीवन के छिपे रहस्यों का प्रतिनिधित्व भी करती है। वृश्चिक राशि खनिज और भूमि संसाधनों जैसे कि पेट्रोलियम तेल, गैस और रत्न आदि के लिए कारक होती है। वृश्‍चिक राशि में सूर्य अनिश्चित परिणाम देता है। इस दिन श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और पितृ दोष समाप्त होता है। वृश्चिक राशि के लोगों को हनुमान जी और माता काली की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
 
वृश्चिक संक्रांति का धार्मिक कार्य क्या है?
हर संक्रांति पर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है जिससे सूर्य दोष और पितृ दोष समाप्त होता है। संक्रांति के दिन दान पुण्य का खास महत्व होता है। इसलिए इस दिन गरीब लोगों को भोजन, वस्त्र आदि दान करना चाहिए। संक्रांति के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद गुड़ और तिल का प्रसाद बांटा जाता है। मान्यता के अनुसार वृश्‍चिक संक्रांति के दिन गाय दान करना सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। इस दिन श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और पितृ दोष समाप्त होता है।ALSO READ: Surya in vrishchik 2024: सूर्य का वृश्चिक राशि में गोचर, 3 राशियों को रहना होगा सतर्क
 
संक्रांति का स्नान:- संक्रांति के दिन तीर्थों में स्नान का भी खास महत्व होता है। संक्रांति, ग्रहण, पूर्णिमा और अमावस्या जैसे दिनों पर गंगा स्नान को महापुण्यदायक माना गया है। ऐसा करने पर व्यक्ति को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। देवीपुराण में यह कहा गया है- जो व्यक्ति संक्रांति के पावन दिन पर भी स्नान नहीं करता वह सात जन्मों तक बीमार और निर्धन रहता है।