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गुरु पुष्य नक्षत्र में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, जानिए शुभ और अशुभ कार्य

गुरु पुष्य नक्षत्र में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, जानिए शुभ और अशुभ कार्य - Guru Pushya Nakshatra 2021
Guru Pushya Nakshatra Yog 2021: पुष्य नक्षत्र का संयोग जिस भी वार के साथ होता है उसे उस वार से कहा जाता है। गुरु-पुष्य, शनि पुष्य और रवि पुष्य योग सबसे शुभ माना जाता है। दीपावली के पूर्व आने वाला पुष्य नक्षत्र विशेष होता है, क्योंकि यह मुहूर्त खासतौर से खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र में कुछ कार्य करना और कुछ कार्य नहीं करना चाहिए। आओ जानते हैं इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी।

 
 
पुष्य नक्षत्र में ये कार्य करना चाहिए ( Guru Pushya Yog 2021 ) :
 
1. पुष्य नक्षत्र में स्वर्ण खरीदने का प्रचलन इसलिए हैं, क्योंकि इसे शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में माना जाता है और पुष्य नक्षत्र पर इसकी खरीदी अत्यधिक शुभ होती है। सोना नहीं खरीद सकते हैं तो पीतल या चांदी खरीदें।
 
2. इस नक्षत्र में वाहन, भवन, भूमि और बहीखाते खरीदना भी शुभ होता है। 
 
3. इस दिन मंदिर निर्माण, घर निर्माण आदि काम भी प्रारंभ करना शुभ हैं।
 
4. इस दिन पूजा या उपवास करने से जीवन के हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है। सर्वप्रथम अपने घरों में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाएं। किसी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करें।
4. इस दिन दाल, खिचड़ी, चावल, बेसन, कड़ी, बूंदी की लड्डू आदि का सेवन भी किय जाता है और यथाशक्ति दान भी कर सकते हैं।
 
5. इस नक्षत्र में शिल्प, चित्रकला और पुस्तक खरीदना उत्तम माना जाता है। 
 
6. इस दिन से नए कार्यों की शुरुआत करें, जैसे ज्ञान या विद्या आरम्भ करना, कुछ नया सीखना, दुकान खोलना, लेखक हैं तो कुछ नया लिखना आदि।
 
7. पुष्य नक्षत्र में दिव्य औषधियों को लाकर उनकी सिद्धि की जाती है।
 
8. इस दिन कुंडली में विद्यमान दूषित सूर्य के दुष्प्रभाव को घटाया जा सकता है।
 
 
 
पुष्य नक्षत्र में ये कार्य नहीं करना चाहिए ( Guru Pushya Nakshatra 2021 ) :
 
1. मुहूर्त चिंतामणि नक्षत्र प्रकरण ग्रंथ के श्लोक 10 के अनुसार, पुष्य, पुनर्वसु और रोहिणी इन तीन नक्षत्रों में सधवा स्त्री नए स्वर्ण आभूषण और नए वस्त्र धारण नहीं करें, ऐसा लिखा है। मतलब यह कि इस दिन संभवत: स्वर्ण तो खरीदा जा सकता है लेकिन पहना नहीं जा सकता?
 
2. विदवानों का मानना है कि इस दिन विवाह नहीं करना चाहिए क्योंकि पुष्य नक्षत्र को ब्रह्माजी का श्राप मिला हुआ है, इसलिए यह नक्षत्र विवाह हेतु वर्जित माना गया है।
 
3. बुधवार और शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र उत्पातकारी भी माने गए हैं। अत: इस दिन कोई भी शुभ या मंगल कार्य ना करें और ना ही कोई वस्तु या वाहन खरीदें।
 
4. इस नक्षत्र का स्वामी शनि ग्रह है अत: इस नक्षत्र के दौरान शनि के मंदे कार्य नहीं करना चाहिए। जैसे, शराब पीना, ब्याज पर रुपया देना, झूठ बोलना, स्त्री का अपमान करना आदि।
 
5. पुष्य नक्षत्र को बहुत ही पवित्र और शुभ माना गया है इसलिए इस नक्षत्र में किसी भी प्रकार के तामसिक या अपवित्र कार्य न करें।