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Written By अनिरुद्ध जोशी

Pushya Nakshatra 2021: दिवाली के पहले गुरु पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग, जानिए 6 खास बातें

Pushya Nakshatra 2021: दिवाली के पहले गुरु पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग, जानिए 6 खास बातें - Guru pushya nakshatra 2021 dates and time
Pushya Nakshatra 2021: 27 नक्षत्रों में से एक गुरु पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा गया है। कार्तिक माह में गुरु पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra 2021) का योग 28 अक्टूबर 2021 गुरुवार को रहेगा। इसके बाद 25 नवंबर 2021 गुरुवार को यह योग रहेगा। यह नक्षत्र, वाहन, प्रॉपर्टी या सोना खरीदने और नया व्यापार शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है।
 
 
गुरु पुष्य नक्षत्र संयोग ( Pushya Nakshatra 2021 ) : इस बार 28 अक्टूबर 2021 गुरुवार को गुरु पुष्य का योग सुबह 09:41 से प्रारंभ होकर दूसरे दिन यानी 29 अक्टूबर, शुक्रवार की सुबह 11:38 तक रहेगा। इसी दिन सर्वार्थसिद्धि योग और रवि योग भी है। इसी दिन अभिजीत मुहूर्त– सुबह 11:42 से दोहपर 12:26 तक रहेगा। विजयी मुहूर्त दोहपर 01:34 से 02:19 तक रहेगा।
 
1. शास्त्रों के अनुसार यह माना गया है कि इसी नक्षत्र में धन और वैभव की देवी लक्ष्मी जी का जन्म हुआ था।
 
2. पुष्य नक्षत्र पर गुरु, शनि और चंद्र का प्रभाव होता है तो ऐसे में स्वर्ण, लोह (वाहन आदि) और चांदी की वस्तुएं खरीदी जा सकती है। मान्यता अनुसार इस दौरान की गई खरीदारी अक्षय रहेगी। अक्षय अर्थात जिसका कभी क्षय नहीं होता है।
 
3. इस नक्षत्र में शिल्प, चित्रकला, पढ़ाई प्रारंभ करना उत्तम माना जाता है। इसमें मंदिर निर्माण, घर निर्माण आदि काम भी शुभ माने गए हैं।
 
4. गुरु-पुष्य या शनि-पुष्य योग के समय छोटे बालकों के उपनयन संस्कार और उसके बाद सबसे पहली बार विद्याभ्यास के लिए गुरुकुल में भेजा जाता है।
 
5. इस दिन बहीखातों की पूजा करना और लेखा-जोखा कार्य भी शुरू कर सकते हैं। इस दिन से नए कार्यों की शुरुआत करें, जैसे दुकान खोलना, ‍व्यापार करना या अन्य कोई कार्य।
 
6. इस दिन धन का निवेश लंबी अवधि के लिए करने पर भविष्य में उसका अच्छा फल प्राप्त होता है। इस शुभदायी दिन पर महालक्ष्मी की साधना करने, पीपल या शमी के पेड़ की पूजा करने से उसका विशेष व मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
 
7. चंद्रमा का राशि के चौथे, आठवें एवं 12वें भाव में उपस्थित होना अशुभ माना जाता है। परंतु इस पुष्य नक्षत्र के कारण अशुभ घड़ी भी शुभ घड़ी में परिवर्तित हो जाती है। ग्रहों की विपरीत दशा से बावजूद भी यह योग बेहद शक्तिशाली है, परंतु एक श्राप के चलते इस योग में विवाह नहीं करना चाहिए। इसके प्रभाव में आकर सभी बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं। जब पुष्य नक्षत्र गुरुवार एवं रविवार के दिन पड़ता है तो क्रमशः इसे गुरु पुष्यामृत योग और रवि पुष्यामृत योग कहते हैं। ये दोनों योग धनतेरस, चैत्र प्रतिपदा के समान ही शुभ हैं।