ज्योतिष विद्या के अनुसार नक्षत्रों का मानव जीवन पर शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ता है। अशुभ प्रभाव के चलते रोग और शोक उत्पन्न होता है। किसी भी नक्षत्र में जन्म लेने से जातक का उस नक्षत्र अनुसार स्वभाव भी ज्योतिष ग्रंथों में उल्लेखित है उसी तरह से यह भी बताया गया है कि किस नक्षत्र में जन्म लेने से कौनसे रोग होने की संभावना रहती है।
1. अश्विनी नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को वायुपीड़ा, ज्वर, मतिभ्रम आदि हो सकता है।
2. भरणी नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को शीत के कारण कंपन, ज्वर, देह पीड़ा या दुर्बलता, आलस्य के कारण कार्य क्षमता का अभाव हो सकता है।
3. कृतिका नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को आंखों से संबंधित रोग, चक्कर आना, जलन, अनिद्रा, गठिया घुटने का दर्द, हृदय रोग, क्रोध आदि संबंधित शिकायत हो सकती है।
4. रोहिणी नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को ज्वर, सिर या बगल में दर्द, चित्य में अधीरता बनी रहती है।
5. मृगशिरा नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को जुकाम, खांसी, नजला आदि से से कष्ट बना रहता है।
6. आद्रा नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को अनिद्रा, सिर में चक्कर आना, अधाशीसी, पैर और पीठ में दर्द बना रहता है।
7. पुनर्वसु नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को सिर या कमर में दर्द से बना रहता है।
8. पुष्प नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक वैसे तो निरोगी रहता है पर कभी कभी तीव्र ज्वर से परेशानी होती है।
9. अश्लेषा नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को देह की दुर्बलता या कमजोरी बनी रहती है।
10. मघा नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को आधासीसी या अर्धांग पीड़ा या पारलौकिक पीड़ा बनी रह सकती है।
11. पूर्व फाल्गुनी : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को बुखार, खांसी, नजला, जुकाम, पसली चलना, वायु विकार से कष्ट हो सकता है।
12. उत्तर फाल्गुनी : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को ज्वर ताप, सिर व बगल में दर्द, कभी बदन में पीड़ा या जकडन
13. हस्त नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को पेट दर्द, पेट में अफारा, पसीने से दुर्गन्ध, बदन में वात पीड़ा संबंधी रोग हो सकता है।
14. चित्रा नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को जटिल रोग हो सकता है जिसका कारण समझ में नहीं आता। फोड़े फुंसी सुजन या चोट से भी कष्ट हो सेकता है।
15. स्वाति नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को वात पीड़ा, पेट में गैस, गठिया, जकड़न हो सकती है।
16. विशाखा नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को देह में कहीं भी पीड़ा हो सकती है। कभी कभी फोड़े होने से भी पीड़ा होती है।
17. अनुराधा नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को ज्वर ताप, सिरदर्द, बदन दर्द, जलन आदि रोगों से कष्ट हो सकता है।
18. जेष्ठा नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को पित्त बढ़ने से हो सकता है। देह में कंप, चित्त में अस्थिरता या व्याकुलता के कारण काम में मन नहीं लगता है।
19. मूल नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को सन्निपात ज्वर, हाथ पैरों का ठंडा पड़ना, रक्तचाप मंद, पेट गले में दर्द हो सकता है।
20. पूर्वाषाढ़ नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को देह में कंपन, सिरदर्द तथा सर्वांग में पीड़ा हो सकती है।
21. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को संधि वात, गठिया, वात शूल या कटी पीड़ा से कष्ट हो सकता है।
22. श्रवन नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को अतिसार, दस्त, तेज ज्वर, दाद-खाज-खुजली जैसे चर्म रोग कुष्ठ, पित्त, मवाद बनना, संधि वात, क्षय रोग से पीड़ा हो सकती है।
23. धनिष्ठा नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को मूत्र रोग, खुनी दस्त, पैर में चोट, सुखी खांसी, बलगम, अंग-भंग, सुजन, फोड़े या पैरों में कष्ट हो सकता है।
24. शतभिषा नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को जलमय, सन्निपात, ज्वर, वात पीड़ा, बुखार, अनिद्रा, छाती पर सुजन, हृदय की असंतुलित धड़कन, पिंडली में दर्द आदि कष्ट हो सकता है।
25. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को उल्टी, बैचेनी, हृदय रोग, टकने की सुजन, आंतों के रोग आदि से कष्ट हो सकता है।
26. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को अतिसार, वात पीड़ा, पीलिया, गठिया, संधिवात, उदर वायु, पाव सुन्न पड़ना आदि से परेशानी खड़ी हो सकती है।
27. रेवती नक्षत्र : इस नक्षत्र में जन्मे जातक को ज्वर, वात पीड़ा, मतिभ्रम, उदर विकार, किडनी रोग, बहरापन, पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव आदि से कष्ट हो सकता है।