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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 18 जुलाई 2024 (12:27 IST)

Guru Pradosh Vrat 2024: गुरु प्रदोष व्रत आज, जानें महत्व, विधि और पूजन के मुहूर्त

Guru Pradosh Vrat 2024: गुरु प्रदोष व्रत आज, जानें महत्व, विधि और पूजन के मुहूर्त - Ashadha Guru Pradosh Vrat 2024
Highlights
 
* आज गुरु प्रदोष व्रत। 
* गुरु प्रदोष व्रत पूजन के मुहूर्त।
Guru Pradosh Vrat : हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी का गुरु प्रदोष व्रत दिन बृहस्पतिवार, 18 जुलाई 2024 को रखा जा रहा है। पौराणिक शास्त्रों में गुरु प्रदोष व्रत शुभ मंगलकारी और शिव कृपा दिलाने वाला माना जाता है। प्रदोष के दिन सायंकाल में पूजन किया जाता है। इस व्रत के संबंध में मान्यता के अनुसार यह व्रत सौ गायों का दान करने के बराबर फल देता है। यह व्रत दुश्मनों/ शत्रुओं का नाश करने तथा सभी कष्ट और पापों को हरने वाला माना गया है। 
 
महत्व- धार्मिक शास्त्रों के अनुसार सायंकाल के समय को प्रदोष काल कहा जाता है। मान्यतानुसार गुरु प्रदोष व्रत बहुत शुभ, मंगलकारी तथा भोलेनाथ की अपार कृपा दिलाने वाला माना गया है। प्रदोष व्रत अतिश्रेष्ठ, शत्रु विनाशक तथा भक्ति प्रिय व्रत माना जाता है, जो कि शत्रुओं का विनाश तथा सभी तरह के कष्ट और पापों का नाश करने वाला माना जाता है। मान्यता के अनुसार गुरु प्रदोष व्रत करने वाले को सौ गायें दान करने का पुण्यफल प्राप्त होता है। गुरु प्रदोष व्रत पूजन से शिव जी तथा देवगुरु की कृपा प्राप्त होती है। 
 
गुरु प्रदोष व्रत 2024 : गुरुवार, 18 जुलाई के मुहूर्त
 
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ- 18 जुलाई 2024 को 08:44 पी एम से
त्रयोदशी तिथि समापन- 19 जुलाई 2024 को 07:41 पी एम बजे तक।
 
दिन का प्रदोष समय - 07:20 पी एम से 09:23 पी एम
 
प्रदोष पूजा मुहूर्त समय- 08:44 पी एम से 09:23 पी एम
कुल अवधि - 00 घंटे 39 मिनट्स
 
आज का शुभ समय :
 
- ब्रह्म मुहूर्त 04:13 ए एम से 04:54 ए एम 
- प्रातः सन्ध्या 04:33 ए एम से 05:35 ए एम
- अभिजित मुहूर्त 12:00 पी एम से 12:55 पी एम 
- विजय मुहूर्त 02:45 पी एम से 03:40 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त 07:18 पी एम से 07:39 पी एम 
- सायाह्न सन्ध्या 07:20 पी एम से 08:21 पी एम
- अमृत काल 06:33 पी एम से 08:09 पी एम 
- निशिता मुहूर्त 19 जुलाई 12:07 ए एम से 12:48 ए एम।
- रवि योग 19 जुलाई 03:25 ए एम से 05:35 ए एम तक।
 
सरल पूजा विधि : 
- त्रयोदशी तिथि के दिन सायं के समय प्रदोष काल में भगवान शिव जी का पूजन किया जाता है। 
- इस दिन पूजन के लिए एक जल से भरा हुआ कलश, बेल पत्र, धतूरा, भांग, कपूर, सफेद और पीले पुष्प एवं माला, आंकड़े का फूल, सफेद और पीली मिठाई, सफेद चंदन, धूप, दीप, घी, सफेद वस्त्र, आम की लकड़ी, हवन सामग्री, 1 आरती के लिए थाली सभी सामग्री को एकत्रित करके देवगुरु बृह‍स्पति तथा शिव-पार्वती जी का पूजन किया जाता है। 
- मंत्र- 'ॐ नम: शिवाय:' तथा 'ॐ बृं बृहस्पतये नम:' का जाप करना अधिक महत्व का माना गया है। 
 
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