-हिमांशु राठौड़
शनिदेव अत्यंत विशिष्ट देव हैं। वे ग्रह भी है और देवता भी.... उनका प्रताप ऐसा है कि वे राजा को रंक और रंक को राजा बना देते हैं.... आइए जानते हैं उनकी यह 16 विशेषताएं...
(1) सूर्यपुत्र श्री शनिदेव मृत्युलोक के ऐसे स्वामी हैं, अधिपति हैं, जो समय आने पर व्यक्ति के अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर सजा देकर सुधारने के लिए प्रेरित करते हैं।
(2) शनि आधुनिक युग के न्यायाधीश हैं और न्याय हमेशा अप्रिय होता है इसलिए उसे क्रूर समझते हैं।
(3) शनिदेव का काला रंग ही ऐसा रंग है, जिस पर दूजा रंग नहीं चढ़ता है।
(4) शनि का धातु लौह-इस्पात है, जो सबसे अधिक उपयुक्त तथा शक्तिशाली है।
(5) शनि की प्रिय वस्तुएं- तेल, कोयला, लौह, काला तिल, उड़द, जूता, चप्पल दान के रूप में प्रदान किया जाता है।
(6) शनिदेव की स्थापना में- समय तथा श्रम का आंशिक दान सर्वोत्तम दान है।
(7) श्री शनिदेव अध्यात्म के मालिक हैं, किसी भी आराधना, साधना, सिद्धि हेतु शनिदेव की उपासना परमावश्यक है।
(8) श्री शनिदेव संगठन के मालिक हैं, अत: उनकी कृपा बिना संयुक्त परिवार की कल्पना ही असंभव है।
(9) शनिदेव सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, प्रशासनिक, विद्या, व्यापार आदि में स्थापित ऊंचाई देने का कार्य करते हैं।
(10) शनिदेव रोगमुक्ति तथा आयुवृद्धि की सदैव कामना करते हैं।
(11) शनिदेव कलियुग के साक्षात भगवान हैं।
(12) शनिदेव के अनेक नाम हैं तथा उनका कार्यक्षेत्र विस्तृत तथा विशाल है।
(13) शनिदेव से राजा से लेकर रंक तक प्रभावित तथा डरे हुए रहते हैं।
(14) शनिदेव नश्वर जगत के शाश्वत असाधारण देव है।
(15) शनि का वाहन गिद्ध तथा रथ लोहे का बना हुआ है। (मत्स्यपुराण 127.8)
(16) शनिदेव का आयुध- धनुष्य बाण और त्रिशूल है।