रविवार, 27 अप्रैल 2025
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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

शनि की आयु पर शुभ दृष्टि हर बला से बचाए

शनि की आयु पर शुभ दृष्टि हर बला से बचाए
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शनि जहाँ मारक है, वहीं मोक्ष का दाता भी है। शनि जहाँ उम्र बढ़ाता है, वहीं काल के गाल में समा लेता है। शनि की शुभ स्थिति मौत से भी खींच लाती है। किसी ने सच ही कहा है- 'जाको राखे साईयाँ मार सके न कोय, बाल न बाँका कर सके चाहे जग बेरी होय।' यह कहावत हमने साक्षात एक टीवी चैनल पर देखी। पाँच वर्षीय प्रिंस को 50 घंटों की अथक मेहनत व सेना के बुलंद हौसले ने 60 फुट गहरे व सँकरे गड्ढे यानी मौत के मुँह से बाहर को निकाला।

यह घटना कुरुक्षेत्र के निकट हल्दीहेड़ा गाँव में हुई। इसी प्रकार इंदौर में भी 20 फुट गहरे गड्ढे में गिरे बालक को सकुशल बचा लिया गया। इसी तरह लातुर में भीषण भूकम्प में एक नन्ही बालिका बच गई थी। ऐसी अनेक चमत्कारिक घटनाएँ सामने आती रहती हैं। इसे ईश्वर की सत्ता व ग्रहों का प्रभाव ही कहें कि जो मौत के मुँह से खींच लाती है। आइए जानें ऐसे कौन से ग्रह हैं, जो मौत से बचा लाते हैं व ऐसे कौन से ग्रह हैं, जो घर के डांडे से भी मृत्यु तक ले जाते हैं।
शनि जहाँ मारक है, वहीं मोक्ष का दाता भी है। शनि जहाँ उम्र बढ़ाता है, वहीं काल के गाल में समा लेता है। शनि की शुभ स्थिति मौत से भी खींच लाती है। किसी ने सच ही कहा है- 'जाको राखे साईयाँ मार सके न कोय, बाल न बाँका कर सके चाहे जग बेरी होय।'


जिसकी आयु लंबी हो, उसे कोई नहीं मार सकता। जिसके हाथ में जैसी मौत लिखी होती है, वैसे ही उसकी मौत होती है। हाँ, यदि पूर्व में कुछ ग्रहों का आभास हो जाए तो मृत्यु को आसान बनाया जा सकता है। यानी कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।

आयु का निर्णय अष्टम भाव में बैठे ग्रह व अष्टम भाव पर पड़ने वाली दृष्टियाँ एवं द्वितीयेश व सप्तमेश की स्थिति जानकर किया जा सकता है। जब-जब द्वितीयेश की महादशा में सप्तमेश का अंतर और अष्टमेश का प्रत्यन्तर आ जाए, तो आयु को खतरा होता है।
महाबली बजरंग बली ने रावण के दिमाग को उलटा कहा कि लंकेश तुम्हें यह शोभा नहीं देता कि तुम शनि की पीठ पर लात रखो, तुम उसकी छाती पर लात रखो।
ऐसी स्थिति में हम उन ग्रहों को अनुकूल न बना सके तो क्या, उनका प्रभाव तो कम कर ही सकते हैं। कम करने हेतु उन ग्रहों से संबंधित वस्तुओं को अपने ऊपर से नौ बार नजर उतारने की भाँति उतारकर जमीन में गाड़ दिया जाए तो लाभ होता है। जिस प्रकार रावण ने शनि को औंधे मुँह लिटा रखा था, तब तक रावण को कोई, यहाँ तक कि देवता भी नहीं मिटा पाए।

महाबली बजरंग बली ने रावण के दिमाग को उलटा कहा कि लंकेश तुम्हें यह शोभा नहीं देता कि तुम शनि की पीठ पर लात रखो, तुम उसकी छाती पर लात रखो। रावण ने ऐसा ही किया और जैसे ही रावण पर शनि की कुदृष्टि पड़ी, रावण अपने पूरे कुनबे के साथ मारा गया। शनि अष्टम भाव में मकर या कुंभ, मिथुन, कन्या, राशि में हो तो आयु को बढ़ाता है।

अकस्मात मृत्यु नहीं देता। गुरु या मीन, मेष या वृश्चिक, सिंह या शनि हो तो मृत्यु तुल्य कर देता है या जान भी जा सकती है। यदि शनि मंगल अष्टम भाव में हो तो निश्चित मृत्यु देगा। लग्नेश के साथ होकर शनि मंगल बैठ जाए तो अल्पायु योग बनेगा। शनि चंद्र मंगल बैठे हों अष्टम में तो जलघात से मृत्यु देगा। शनि मंगल में गुरु हो तो देवालय या तीर्थयात्रा में मृत्यु होगी।

शनि सूर्य-मंगल साथ हो तो आग या विस्फोट में जान जाएगी। शनि मंगल केतु साथ हो तो दुर्घटना में मृत्यु होगी। शनि मंगल-राहू साथ हों तो विचित्र परिस्थितियों में मृत्यु का कारण बनती है। शनि की उच्च दृष्टि कहीं से भी पड़े तो आयु वृद्धि करता है। शनि की मित्र दृष्टि पड़े तो आयु में वृद्धि होगी। कोई भी ग्रह अष्टम भाव में स्वराशि का हो तो आयु में वृद्धि होगी।

गुरु चंद्र साथ हो तो तीर्थाटन पर कोई नदी हो तो संभलकर स्नान करें। आमेश पर कोई अशुभ प्रभाव न हो, न ही द्वितीयेश या सप्तमेश में से दोनों में से एक ही दशा में अंतर दशा इन्हीं दोनों में से किसी एक की ही व अष्टमेश का अंतर हो तो वह समय सबसे खतरनाक होगा। यदि सूक्ष्म अंतर द्वितीयेश का हो या सप्तमेश का, तो मृत्यु संभव है।