ग्रहण का सूतक: क्या करें क्या न करें
ग्रहण का सूतक 21 जुलाई सन् 2009 को सूर्यास्तकाल से ही प्रारम्भ हो जाएगा। ग्रहण में वर्ज्य कर्म - ग्रहण के सूतक और ग्रहण काल में खाना पीना, सम्भोगादि कार्य वर्जित हैं। ग्रहण काल में सोना, मूत्र-पुरीषोत्सर्ग और तैलाभ्यंग भी निषिद्ध है। ग्रहण के सूतक में बाल, वृद्ध और रोगी व्यक्तियों के लिए खाने-पीने सोने का निषेध नहीं है। पका हुआ अन्न, कटी हुई सब्जी व फल ग्रहण काल में दूषित हो जाते हैं। उन्हें खाना नहीं चाहिए। लेकिन तेल या घी में पका अन्न, घी, तेल, दूध, दही, लस्सी, मक्खन, पनीर, अचार, चटनी, मुरब्बा में तिल या कुशा रख देने से ये पदार्थ दूषित नहीं होते। सूखे खाद्य पदार्थो में तिल या कुश डालने की जरूरत नहीं है। ग्रहण काल में कोई भी मन्त्र का जाप किया जाए तो शीघ्र फलदाई रहता है। महामृत्युंजय का जाप सभी कष्टों को दूर करने वाला होता है, वैसे भी श्रावण मास चल ही रहे हैं। कोई कार्य सिद्धि के लिए मन्त्र जाप करना चाहें तो इस समयावधि में अवश्य करें।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में बाहर नहीं निकलना चाहिए व किसी भी प्रकार से कोई सब्जी काटना, सीना-पिरोना आदि से बचना चहिए। ग्रहण काल में गर्भ नहीं ठहरना चाहिए, नहीं तो वह जन्म लेने वाला बालक ठीक नहीं होगा। मध्यप्रदेश के मुख्य शहर : ग्रहण स्पर्श-
इन्दौर में ग्रहण का स्पर्श 5.53.09 प्रात: मध्य 6.23.30 मोक्ष 7.22.05 प्रात: -
उज्जैन में ग्रहण का स्पर्श 5.52.52 प्रात: मध्य 6.23.41 मोक्ष 7.22.11 प्रात: -
देवास ग्रहण का स्पर्श 5.51.38 मध्य 6.23.38 मोक्ष 7.22.19-
नीमच ग्रहण का स्पर्श 5.53.52 मध्य 6.24.16 मोक्ष 7.22.15-
भोपाल ग्रहण का स्पर्श 5.45.59 मध्य 6.23.51 मोक्ष 7.2309-
मन्दसौर ग्रहण का स्पर्श 5.53.47 मध्य 6.24.05 मोक्ष 7.22.13-
होशंगाबाद ग्रहण का स्पर्श 5.45.25 मध्य 6.23.39 मोक्ष 7.23.09 ग्रहण काल में कोई भी मन्त्र का जाप किया जाए तो शीघ्र फलदाई रहता है। महामृत्युंजय का जाप सभी कष्टों को दूर करने वाला होता है, वैसे भी श्रावण मास चल ही रहे हैं। कोई कार्य सिद्धि के लिए मन्त्र जाप करना चाहें तो इस समयावधि में अवश्य करें। इस ग्रहण काल में वशीकरण, शत्रु कष्ट निवारण हेतु, मन की शांति हेतु गायत्री मन्त्र का जाप उत्तम रहता है।