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Written By Author पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे

वार्षिक भविष्य : नए साल के नए सितारे

क्या लाया है नया साल आपके लिए

Yearly Astrology Hindi | वार्षिक भविष्य : नए साल के नए सितारे
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मेष :
अश्विनी, भरणी और कृतिका नक्षत्र के प्रथम चरण से मेष राशि का निर्माण हुआ है। मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है। यह अग्नि तत्व वाली राशि है। इस राशि के जातक साहसी, अभिमानी और मित्रों से प्रेम रखने वाले होते हैं। मेष राशि वालों के लिए यह वर्ष उत्साह, सामर्थ्य एवं सुखवाला होगा। संतान से सुख एवं विद्यार्थी के लिए अनुकूलता वाला रहेगा।

गृहस्थ जीवन में चिंता, ‍पत्नी सुख उत्तम, अचल संपत्ति, कारोबार, भूमि का विस्तार होगा। भौतिक साधनों में विरोधाभास हो सकता है। धन का अपव्यय एवं आस्था का अभाव, धर्म की हानि बैर भाव, द्वेष त्यागें। इस वर्ष तीर्थ यात्रा के प्रबल योग बनते है। अच्छे कर्म का संकल्प लें। शरीर स्वस्थ रहेगा।

13 मई 2012 को गुरु परिवर्तन होने से आर्थिक व्यय होगा। शत्रु पराजित होंगे। सिद्धि, साधना की प्राप्ति होगी। स्वतंत्र एवं भागीदारी वाले कार्यों में लाभ मिलेगा। वर्ष के मध्य के बाद कुटुंब से मतभेद के योग। राहु-केतु के जाप से शांति मिलेगी।

वृषभ :
वृषभ राशि कृतिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र के प्रथम, द्वितीय चरणों के संयोग से बनी है। वृषभ राशि के स्वामी ग्रह शुक्र है। वृषभ राशि की प्रकृति स्थिर, वर्ण श्वेत है। इसकी अधिपति देवी महालक्ष्मी है। इस राशि के जातक कृष्‍ण पक्ष में जन्म लिए हुए हो तो उसे दमा रोग की संभावना रहती है। यदि शुक्ल पक्ष में जन्म लिया हो तो स्थूल कायाधारी हो सकता है।

वृषभ राशि वालों के लिए यह वर्ष लाभ, संतोष, यश एवं सफलता वाला होगा। वाहन एवं भवन की इच्छा पूर्ण होगी। उलझनों से मुक्ति मिलेगी। बीमारी से छुटकारा मिलेगा। अपवित्र विचार आने के कारण स्थिरता भंग हो सक‍ती है, ध्यान दें। क्रोध, हठ, जिद्दी स्वभाव के कारण कष्ट होने की संभावना बनती है। अत: ध्यान देना चाहिए।

13 मई 2012 को गुरु के परिवर्तन होने के कारण पीड़ा, शोक, हानि, उपद्रवों आदि से भयमुक्त होकर आरोग्यकता एवं उत्साह, आत्मबल में वृद्धि होगी। शत्रु पक्ष पर विजय प्राप्त होगी। संतान से सुख की प्राप्ति होगी। संत-ब्राह्मण से विशेष गुण प्राप्त होगा। वर्ष के अंतिम महीनों में पराधीनता, अधिक खर्च, कुछ कर्ज भी हो सकता है। गुरु आराध्य है, राहु-केतु की शांति से शुभ होगा।

मिथुन :
मृगशिरा के दो चरण (तृतीय+चतुर्थ) आर्द्रा और पुनर्वसु के तीन चरणों के संयोग से मिथुन राशि बनी है। मिथुन राशि के स्वामी बुध ग्रह है। मिथुन राशि की प्रकृति क्रूर एवं वर्ण हरा है। इस राशि के अधिपति स्वयं नारायण है। मिथुन राशि में जन्मे जातक सौभाग्यशाली, बुद्धिजीवी, वाक् चातुर्य आदि गुणों से संपन्न होने के साथ-साथ अपने आपको परिस्थिति के अनुसार बदल लेते हैं।

मिथुन राशि वाले जातकों के लिए यह वर्ष रोजगार एवं कारोबार में लाभ वृद्धि की संभावना, मंगल कार्य, पारिवारिक व्यय, संतान को भी रोजगार की प्राप्ति कराएगा। कुटुंब से सुख, सहयोग, शांति प्राप्त होगी। शत्रु पराजित होंगे। कोर्ट संबंधी मामले पक्ष में रहेंगे। अनेक लाभों के साथ शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति़, राहत की सांस मिलेगी। दांत की पीड़ा के योग है। नाना, मामा पक्ष से विचारों के ताल-मेल बनाए रखें। मित्रों से सहयोग मिलेगा। जायदाद का विस्तार होगा। भूमि-भवन सुख, अचानक लाभ होगा। राज्य से सम्मान के योग बनते है। संपत्ति के अच्छे लाभ मिलेंगे। इष्ट देव की कृपा पनी रहेगी।

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13 मई 2012 को गुरु का राशि परिर्वतन पारिवारिक मंगल व्यय कराएगा। कर्ज की स्थिति के योग एव नौकरी, व्यापार में कष्ट, संघर्ष, राजभय, विपरीत मन रहेगा। इस दौरान अनुचित कर्म से बच कर रहें। तंत्र-मंत्र से बचना होगा। अपवाद की स्थिति बन सकती है। धर्म यात्रा मंगलमय होगी। उत्तरार्द्ध में गुरु के जप एवं पूजन कराएं। शांति प्राप्त होगी।

कर्क :
कर्क राशि पुनर्वसु नक्षत्र के चतुर्थ चरण पुष्य एवं आश्लेषा नक्षत्रों के संयोग से बनी है। कर्क राशि का स्वामी चंद्र ग्रह है। इस राशि की अधिपति पार्वती देवी है। इसका तत्व जल है। प्रकृति, कफ, जाति ब्राह्मण है। इसकी प्रकृति चलायमान है। कर्क राशि वाले जातकों में भावुकता, बुद्धिजीवी, बुद्धि चातुर्य के आधार पर कठिन से कठिन कार्य को भी सहज कर लेत‍े हैं। मित्रों की राय पर अधिक विश्वास करने वाले होते है। इस कारण कई बार इनके साथ धोखा होता है।

कर्क राशि वाले जातकों के लिए यह वर्ष पद, प्रतिष्ठा, पदोन्नति, कार्यक्षेत्र में यश, सफलता, कर्तव्य परायणता की सफलता दिलाने वाला रहेगा। उद्योग, व्यवसाय में परिवर्तन कुछ अच्छा लाभ दिलाएगा। भूमि, भवन, वाहन का सुख प्राप्त होने के योग बनते हैं। भौतिक सुख प्राप्त होगा। संतान से चिंता, दुख के कारण शोक, रोग जैसी स्थिति बन सकती है। कृपया ध्यान दें। शत्रु शमन, श्रेष्ठ कार्य करने का अवसर प्राप्त होगा, जिससे भाग्योदय का उदय होगा। इस राशि वाली स्त्रियों को कुछ संताप के योग है। गृहस्थ जीवन में कुछ कष्‍ट का अनुभव करेंगे। विद्यार्थियों को अध्ययन में लगन, परिश्रम का पूर्ण लाभ मिलेगा। राशि पर शनि की पनोती ढैय्या (3 नवंबर 2011 से) चल रहा है। परंतु इसका दुष्परिणाम 14 मई 2012 तक नहीं होगा।

13 मई 2012 से गुरु परिवर्तन कर आपके लिए धऩ, भाई-बंधु, संतान सुख वृद्धि करेगा। अविवाहितों के विवाह के योग बनेंगे। संकल्प शक्ति कमजोर न करें। स्व‍तंत्र कार्य होंगे। वर्ष में शनि, राहु की शांति, पूजन लाभप्रद है।

सिंह :
मघा, पूर्वा फाल्गुनी और उत्तरा फाल्गुनी के प्रथम चरण के संयोग से बनी हुई है सिंह राशि। सिंह राशि के राशि स्वामी सूर्य देव है। इसका तत्व अग्नि, धातु पित्त प्रधान है। सिंह राशि के अधिपति देवता भगवान रुद्र है। इसका रंग पीत है। यह पूर्व दिशा की स्वामी है।

अग्नि तत्व प्रधान एवं स्थिर शरीर होने के कारण इस राशि के जातक अत्यंत उग्र और क्रोधी स्वभाव के होने के साथ ही स्पष्टवादी भी होते है। स्पष्टवादिता के कारण इस राशि के जातक संघर्षमय जीवन जीते है। परंतु वातावरण पर अपना अधिकार सिंह के समान ही रखते है। किसी के दबाव सहन नहीं करते है। इस राशि के जातकों को संतान कम ही होती है।

सिंह राशि वालों इस वर्ष स्थिति पटरी पर आएगी। अनेक कष्टों से छुटकारा मिलेगा। शरीर कष्ट, धन, अपमान, अपवाद, कर्ज इ‍त्यादि से मुक्ति मिलेगी। आरोग्यता, सुख-समृद्धि, आनंद, कार्य, साहस के साथ होंगे। आपके अंदर जिज्ञासा बढ़ेगी। राजनैतिक कार्य में उन्नति होगी। धन, यश के साथ भाई-बंधु इष्ट से सहयोग प्राप्त होगा। धर्म एवं पुण्‍य कर्म में आस्था बढ़ेगी। पुत्र रत्न प्राप्ति के योग बन रहे हैं। नौकरी वालों की पदोन्नति होगी। राजनैतिक की नगर में प्रतिष्ठा बढ़ेगी। राहु की वजह से विरोध, दुख, भय का सामना करना पड़ सक‍ता है।

जायदाद जो उलझन वाली है, ऐसे कार्य में हाथ न डाले। भाग्य से ही अचल संपत्ति के योग है। कोर्ट संबंधी निर्णय होंगे। 15 मई से राज्य, उद्योग, पिता का सहयोग, नौकरी, प्रतिष्ठा हर तरफ गतिमान बढ़ेगा। वर्ष में राहु विशेष रूप से आराध्य है।

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कन्या :
कन्या राशि वाले जातकों के लिए यह वर्ष साढ़ेसाती के आखरी ढैय्या वाला रहेगा। कन्या राशि फाल्गुनी नक्षत्र के ‍तीन चरण हस्त नक्षत्र एवं चित्रा के दो चरणों के संयोग से बनी है। कन्या राशि का स्वामी बुध ग्रह है। इस राशि का स्वाभव द्विस्वभाव है। यह शीर्षोदय राशि है। यह रजोगुणी राशि है। कन्या में जन्मे पुरुष परिश्रमी, विष्याक्त, विघ्न-बाधाओं पर साधारण रूप से विजय प्राप्त करने वाले होते है। कन्या राशि वाले जातक अपने परिवार के प्रति नि:स्वार्थ समर्पित रहते है। तेज, प्रकृति व असहनशीलता वाले होते है।

इस साल कन्या राशि वाले जातकों को कर्ज से मुक्ति, सुख शांति के साथ जीवन स्तर सुधरता नजर आएगा। शनि के परिवर्तन से धन में बढ़ोतरी, प्रॉपर्टी में वृद्धि होगी। परंतु लालच में आकर किसी के कहने से नुकसान न करें। सोच कर निर्णय लें। किसी भी प्रकार का गलत सहारा न लें। सुख शांति आएगी।

14 मई 2012 से गुरु का राशि परिर्वतन अनेक खुशियां लेकर आएगा। आरोग्यता, उमंग, कामकाज में रुचि बढ़ेगी। कुटुंब व रिश्तेदारों से हानि के योग बनेंगे। राजनैतिक उलटफेर का सामना करना पड़ सकता है। किसान एवं व्यापारी वर्ग के लिए अच्छा समय रहेगा। इस वर्ष गुरु विशेष आराध्य रहेंगे।

तुला :
तुला राशि चित्रा नक्षत्र के दो चरण स्वाति नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र के तीन चरणों के संयोग से बनी है। तुला राशि के स्वामी शुक्र है। यह राशि चर होकर शीर्षोदय है। इसका तत्व वायु एवं धातु समधा है। यह दिन में बलशाली रहती है।

तुला राशि में जन्मे जा‍तक ईमानदार, सत्यप्रिय, न्यायवादी, प्रलोभनरहित, त्यागी स्वभाव के होते हैं। शांति प्रिय एवं अपने परिजनों से स्नेह भाव रखने वाले होते है। तुला राशि वाले जातकों के लिए यह वर्ष दूसरे (शनि का) ढैय्या वाला रहेगा। भाग्योदय की शुरुआत होगी। शां‍ति व सुख की समानता के साथ वर्ष ‍बीतेगा। स्त्रियां व्यर्थ्य उलझनों से बचें। मन में भावना संकल्प, आत्मविश्वास की कमी एवं मित्रों के प्रति संवेदना का प्रयास व्यर्थ जा सकता है। दूसरों की उलझनों में न पड़े।

14 मई 2012 को गुरु अष्‍टम भाव में आने से रोग भय रहेगा। वृद्धों को अधिक तकलीफ हो सकती है। धर्म के प्रति आस्था, तीर्थ के योग बनेंगे। सामान्य लाभ मिलेगा। पारिवारिक या अन्य प्रसंग में अतिव्ययता रहेगी। बुद्धि बल में चंचलता रहेगी। पत्नी से लाभ, कुछ कर्ज की स्थिति हो सकती है। ध्यान दें। प्रेम संबंध में खटास के योग बनते हैं। पार्टनरशिप वाले बिजनेस में ध्यान दें। मनमुटाव की स्थि‍ति आ सकती है। वर्षांत में सफलता। इस वर्ष राहु-केतु आराध्य है।

वृश्चिक :
वृश्चिक राशि वाले विशाखा नक्षत्र के एक चरण, अनुराधा नक्षत्र एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के संयोग से बनी है। वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल ग्रह है। वृश्चिक स्थिर स्वभाव की राशि है। यह शीर्षोदय राशि है, इसका तत्व जल एवं धातु कफ है।

वृश्चिक राशि में जन्मे जातक कठोर, परिश्रम‍ी, चरित्रवान, ईमानदार, अपनी वाणी और दृढ़शक्ति में खरे और जिद्दी होते है। ये जातक विप‍रीत परिस्थितियों को अनुकूल बनाने में अत्यंत चतुर होते है। इस राशि के जातक राष्ट्र भक्त भी होते है। वृश्चिक राशि वालों के लिए यह वर्ष प्रथम शनि के ढैय्या वाला रहेगा। मान-सम्मान, प्रयत्न द्वारा सफलता मिलेगी। तीर्थयात्रा का योग बनेगा। गृहस्थ में मन लगेगा। शत्रु विरोधी भावना उत्पन्न होगी। रिश्तेदारों से नुकसान के योग, शारीरिक कष्ट, पेट संबंधी विकार के योग, स्वार्थ सिद्धि के चक्कर में तंत्र से बचे। पड़ोसी से टकराव की स्थिति पैदा हो सकत‍ी है। पत्नी की चिंता रहेगी।

अपनी शक्ति के बाहर के (बड़े भारी) कार्य न करें। अधिक खर्च, कम लाभ, नौकरी में भी झंझट हो सकती है। राजनैतिक सफलता मिलेगी। स्त्री को संतान की चिंता, अनुचित कार्य की संभावना, ध्यान रखें। 13 मई 2012 से गुरु का परिवर्तन गृहस्थ सुख देगा। नौकरी एवं व्यापार में अनुकूल वातावरण रहेगा। वाहन चलाते समय आप सावधानी रखें। इस वर्ष शनि-राहु की शांति कराएं।

धनु :
धनु राशि मूल, पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा के प्रथम चरण के संयोग से बनी है। इस राशि का स्वामी गुरु ग्रह है। यह द्विस्वभाव की राशि होकर पृष्ठोदय है। इसका तत्व अग्नि, धातु प्रिय है। धनु राशि वाले जातक सामंजस्य स्वभाव वाले रहते है एवं स्थिरता पर ध्यान देते हैं। हर जगह अपनी छवि बनाने में माहिर रहते हैं।

धनु राशि वालों के लिए यह वर्ष मिश्रित फल रहेगा। संतान से सुख, धर्म लाभ अनेक तरह से लाभ मिलेगा, कुटुंब से कुछ असंतोष, चिंता का वातावरण, स्त्रियों को सौभाग्य सुख, कन्या के विवाह के योग बनेगे। शांति में वृद्धि होगी। धर्म लाभ मिलेगा। नौकरी में परिवर्तन के योग तथा व्यापार-व्यवसाय में बड़े उतार-चढ़ाव का दौर रहेगा। इस वर्ष सावधानीपूर्वक रहें। किसी भी प्रकार की भावुकता में न आएं। मन में द्वेष, कपटी, चतु‍र लोगों से बचें। पेट एवं दांत संबंधी तकलीफ रहेगी।

13 मई 2012 से गुरु परिवर्तन के कारण दुख-दर्द, स्त्री के कारण मन विचलित रहेगा। नौकरी वालों को सुख, व्यापारियों को नुकसान के योग है। वर्षां‍त में लाभ मिलेगा। सम्मान में कमी महसूस होगी। विद्यार्थियों के लिए समय मध्यम रहेगा। कृषकों के लिए कर्ज से मुक्ति दिलाएगा। नेताओं के लिए अच्छा है। राहु एवं गुरु वर्षा में आराध्य है। शांति के लिए पूजन, जाप करें।

मकर :
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मकर राशि में उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के तीन चरण, श्रवण और घनिष्ठा नक्षत्र के दो चरण सम्मिलित रहते है। मकर राशि के स्वामी शनि देव है। मकर राशि पर चर और पृष्ठोदय है। इसका तत्व पृथ्वी एवं धातु तत्व है। मकर राशि का बल समय रात्रि एवं दिशा दक्षिण है। मकर राशि के जा‍तक सामाजिक गुण प्रधान होते है। ये दूसरों से बदला लेने में माहिर होते है। कठोर, जिद्दी होते है। वैवाहिक जीवन में सुख के साधन सशक्त रूप से प्राप्त होते है।

मकर राशि वालों के लिए यह वर्ष श्रेष्ठ उपलब्धि वाला, सुख, धन लाभ, भूमि वाहन, भवन सुख, रोजगार में पदोन्नति वाला रहेगा। शनि महान साहस, पराक्रम देगा। कुटुंब परिवार में विशेष व्यय के साथ नगर-ग्राम में मान-सम्मान दिलाएगा। परं‍तु पाप कर्म के प्रति अहंकार वाले गुण त्यागना होगा। चिंता शत्रु भय सताएगा। स्वास्थ्य खराब, ह्रदय दर्द या ह्रदय संबंधी तकलीफ हो सकत‍ी है, ध्यान रखें। इस साल कोई ऐसा कार्य करें, जिससे ख्याति प्रा‍प्त हो। सुख लाभ मिलने के योग। अचानक लाभ के योग।

वर्षारंभ में व्यय, उत्तरार्द्ध में लाभ होगा। माता-पिता की चिंता के साथ व्यस्तता बढ़ेगी। 13 मई 2012 से गुरु परिवर्तन से शौर्य-बल मिलेगा। संतान से सुख प्राप्त होगा, धन वृद्धि व शिष्य के प्रति आस्था एवं पुण्य संचय का योग। वर्ष में गुरु आराध्य है। गुरु जाप, शांति, अनुष्ठान से साल अच्छा रहेगा।

कुंभ :
कुंभ राशि घनिष्ठा नक्षत्र के दो चरण शतभिषा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तीन चरणों के योग से बनी है। इसके राशि स्वामी शनिदेव है। यह स्थिर एवं शीर्षोदय होकर वायु तत्व प्रधान है। राशि वायु तत्व प्रधान होने के ‍कारण वात प्रकृति के जा‍तक होते है। इस राशि के जातक चिंतन, अथक पराक्रमी, दूरदर्शी, चंचल प्रवृत्ति, ओजस्वी और अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्पित और अधिक कामी होते है।

कुंभ राशि वालों की इस वर्ष 3 नवंबर 2011 से शनि की पनोती उतर रही है। कर्तव्यनिष्ठा, साहस के द्वारा विजय मिलेगी। दिनचर्या के साथ स्वकर्म में जागरूकता लाना जरूरी होगी। धर्म से विशेष लाभ मिलेगा, परंतु अपने लक्ष्य पर डटे रहे। व्यापारियों की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। नौकरी में प्रतिष्ठा के साथ पदोन्नति होगी। अविवाहितों के विवाह होंगे। कुटुंब, परिवार से सुख प्राप्त होगा। रोग व्याधि से छुटकारा मिलेगा।

13 मई 2012 से गुरु परिवर्तन वाहन योग के साथ भूमि, मकान का सुख देगा। नगर में प्रतिष्ठा बढ़ेगी। तीर्थ यात्रा के साथ अन्य शुभ कार्य में व्यय अधिक होगा। उलझनों, बंधनों से मुक्ति मिलेगी। गुरु का पूजन वर्ष में लाभप्रद है।

मीन :
मीन राशि पूर्वाभाद्रपद के चतुर्थ चर, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र के संयोग से बनी है। मीन राशि के स्वामी गुरु देव है। म‍ीन राशि तत्व जल धातु कफ है। मीन राशि के जा‍तक, जल प्रवासी, स्वच्छ ह्रदय और एकाकी प्रवृत्ति के होते है। हमेशा अपने लक्ष्यों के प्राप्ति के लिए योजनाओं में उलझे रहते हैं। मित्रों से हानि ज्यादा होती है।

इस वर्ष शनि की पनोती ढैय्या होने के कारण शोक, दु:ख, संकट, अति व्यय होगा। वृद्धों का सहयोग नहीं मिलेगा। अनेक जवाबदारी सिर पर आ जाएगी। कर्तव्यनिष्ठ बनना पड़ेगा। सोचे हुए काम में विलंब, अशांति महसूस करेंगे।

पुण्य, धर्म, कर्म में कमी अवरोध होंगे। परंतु नवीन कार्य के लिए वर्ष श्रेष्ठ रहेगा। कोर्ट-कचहरी के काम से मुक्त होंगे। संतान से चिंता, अधिक चपलता, चतुराई से स्वार्थ सिद्ध करना होगा। प्रेम, शांति एवं मिलनसार व्यवहार से कार्य निकालना होगा। 13 मई 2012 से गुरु पुराने कार्यों को पूरा करेगा। अविवाहित के विवाह के योग है। धर्म, पुण्य लाभ मिलेगा। मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी। वर्ष में शनि-गुरु आराध्य है।