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Written By वेबदुनिया न्यूज डेस्क
Last Updated : बुधवार, 16 फ़रवरी 2022 (14:42 IST)

क्या चुनाव के बाद करीब आ सकते हैं कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल?

क्या चुनाव के बाद करीब आ सकते हैं कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल? - Can Congress and Shiromani Akali Dal come closer after the elections?
जैसा कि राजनीति के लिए कहा जाता है कि यहां न तो कोई स्थायी मित्र होता है और न ही स्थायी शत्रु। महाराष्ट्र में धुर विरोधी शिवसेना और कांग्रेस का गठजोड़ इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अब पंजाब में भी ऐसे ही 'प्रयोग' की सुगबाहट सुनाई दे रही है। हालांकि इसकी उम्मीद कम है, लेकिन कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (बादल) आम आदमी पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिए करीब आ सकते हैं।
 
दरअसल, इन अटकलों को बल इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि पिछले दिनों शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने बठिंडा सीट पर चुनाव प्रचार करने से इंकार कर दिया था। यहां उनके भतीजे और पंजाब के मंत्री मनप्रीत बादल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा करीब आधा दर्जन और ऐसी सीटें हैं जहां दोनों दल एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। बठिंडा बादल परिवार की परंपरागत सीट रही है। यह भी कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद मनप्रीत दोनों दलों को करीब लाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। 
 
अमृतसर पूर्व सीट पर मामला थोड़ा अलग है। यहां से पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से शिरोमणि अकाली दल ने अपने दिग्गज नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को उतारा है। अंदरखाने से आ रही खबरों की मानें तो इस सीट पर कांग्रेस अकाली दल के नेता मजीठिया की मदद कर रही है। दरअसल, कांग्रेस के एक धड़ा नहीं चाहता कि सिद्धू यहां से चुनाव जीतें और चुनाव के बाद हाईकमान के लिए मुश्किल पैदा करें। 
 
इसलिए करीब आ सकते हैं कांग्रेस-अकाली : यदि स्थानीय लोगों की बातों पर भरोसा करें तो उनका कहना है कि सरकार बनाने के लिए यदि आप और कांग्रेस में से किसी एक को चुनना पड़ा तो शिरोमणि अकाली दल कांग्रेस का हाथ थाम सकता है। दरअसल, इस समय पंजाब का कोई भी दल नहीं चाहता कि राज्य में आम आदमी पार्टी सत्ता में आए। हालांकि ओपिनियन पोल में आप की स्थिति सबसे मजबूत है, जबकि कांग्रेस दूसरे नंबर है। ऐसे में पंजाब में खिचड़ी सरकार बनने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
अकाली और भाजपा के बीच बढ़ी दूरियां : दूसरी ओर, किसानों के मुद्दे पर वर्षों पुराने गठबंधन सहयोगी रहे भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के बीच दूरियां बढ़ चुकी हैं। इसका असर सार्वजनिक तौर पर भी दिखने लगा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक सभा में कहा था कि वे पंजाब से बहुत प्यार करते हैं, जवाब में वयोवृद्ध अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा था कि यदि वे वाकई पंजाब से प्यार करते तो दिल्ली में धरने पर बैठे 750 किसानों की मौत नहीं होती। उन्होंने किसान कानूनों के लिए मोदी सरकार की आलोचना भी की और कहा कि कोई भी कानून लाने से पहले लोगों से पूछना जरूर चाहिए। 

वहीं, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भाजपा और शिरोमणि अकाली दल के बीच चुनाव के बाद गठबंधन की संभावना से इनकार किया है। पुरी ने आरोप लगाया कि अकाली दल ने पंजाब में भाजपा को आगे नहीं बढ़ने दिया न ही उसके किसी सिख नेता को उभरने दिया। 
 
आपको याद दिला दें कि ये वही प्रकाश सिंह बादल हैं, जिनके पांव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छुए थे। यह घटना वाराणसी में मोदी के नामांकन के समय की है, जब बादल भी वहां पहुंचे थे। हालांकि अटकलें तो एक बार फिर भाजपा और अकाली दल के आने की भी हैं, लेकिन चुनाव बाद सत्ता के लिए कांग्रेस और अकाली दल का नया समीकरण बन जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। 
 
 
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