ग़ज़ल में तसव्वुफ़ (भक्ति भाव)
जब यार देखा नयन भर दिल की गई चिंता उतरऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाए कर ------- अमीर ख़ुसरो सब इख़्तियार मेरा तज बात से प्याराजिस हाल सू रखेगा, है ओ ख़ुशी हमारा -----क़ुली क़ुतुब शाह गर ख़ुदा बीनी पर से तेरी नज़र है कामयाब तो ख़ुदा का कर अव्वल तू मियाने दे हिजाब -----अब्दुल्लाह क़ुतुब शाह शेहबाज़ हुसैन खोए कर दो जहाँ दिल धोए कर अल्लाह आपे यक होए कर तब पावेगा दीदार तुसा-------ख़्वाजा बन्दा नवाज़ गेसू दराज़ आज सर सब्ज़ कोह-ओ-सेहरा है हर तरफ़ सैर है तमाशा है -----------वली औरंगाबादीवली कूँ नहीं माल की आरज़ू ख़ुदा दोस्त नहीं देखते ज़र तरफ़ ----वली औरंगाबादी इलाही दर्द-ओ-ग़म की सर ज़मीं का हाल क्या होतामोहब्बत गर हमारी चश्मे-तर से मेंह न बरसाती ------मज़हर जानेजानाँ सब जगत ढूंड फिरा यार न पाया लेकिन दिल के गोशे में निहाँ था, मुझे मालूम न था -----सिराज ओरंगाबादी अल्लाह का जलवा हर सो मौजूद है शर्त सिर्फ़ दीदा-ए-बीना की है -----------ख़्वाजा मीर दर्द जग में आकर इधर उधर देखा तू ही आया नज़र जिधर देखा----------ख़्वाजा मीर दर्द गर मारफ़त का चश्मे-बसीरत में नूर है तो जिस तरफ़ को देखिए उसका ज़हूर है -----ख़्वाजा मीर दर्द तुझ सिवा कोई जलवा गर ही नहीं पर हमें आह कुछ ख़बर ही नहीं -------मीर असर ग़रज़ कुफ़्र से कुछ न दीं से है मतलब तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं ----------मो. रफ़ी सौदा सौदा निगाहे-दीदा-ए-तहक़ीक़ के हुज़ूर जलवा हरएक ज़र्रे में है आफ़ताब का ------मो. रफी सौदा उठ जाए गर ये बीच का परदा हिजाब से दरिया ही फिर तो नाम है हरैक हुबाब का ----क़ाइम चाँदपुरी था मिसतेआर हुस्न से उसके जो नूर था ख़ुरशीद में भी उसका ही ज़र्रा ज़हूर था ------मीर तक़ी मीर हस्ती अपनी हुबाब की सी हैये नुमाइश सुराब की सी है --------मीर तक़ी मीर आम है यार की तजल्ली मीर ख़ास मूसा-ओ-कोहे-तूर नहीं ------मीर तक़ी मीर