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एक बिरले शायर थे मिर्ज़ा ग़ालिब...
बुधवार,दिसंबर 27, 2017
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बुधवार,अक्टूबर 7, 2015
गोया वो मदहोश होकर मेरी कसमों से यूं मुकर से जाते हैं
जब मयकदे में उनके आगे आशिकी में जाम छलक जाते हैं
इक पल को मुस्करा जाता है चेहरा मेरा बोतल की साकी में
और प्याला हाथों से उलझ जाता है फिर यारियां निभाने में
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सोमवार,नवंबर 11, 2013
एक बार फिर से मिट्टी की सूरत करो मुझे इज्जत के साथ दुनिया से रुख्सत करो मुझे
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मंगलवार,अगस्त 31, 2010
उसको रुखसत तो किया था, मुझे मालूम न था,
सारा घर ले गया, घर छोड़ के जानेवाला - निदा फ़ाज़ली
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फ़ैसले सच के हक़ में होते हैं
मैं अभी तक इसी गुमान में था---- अशफ़ाक़ अंजुम
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मंगलवार,अप्रैल 28, 2009
न समझने की ये बातें हैं न समझाने की
, ज़िंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की - फिराक़
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शुक्रवार,मार्च 13, 2009
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
, तुम्हारे बाद ये मौसम बहुत सतायेगा - बशीर बद्र
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शुक्रवार,जनवरी 2, 2009
जला के मिशअले-जाँ हम जुनूँ सिफ़ात चले
जो घर को आग लगाए हमारे सात चले
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शुक्रवार,दिसंबर 26, 2008
होगा कोई ऐसा भी जो ग़ालिब को न जाने
शाइर तो वो अच्छा है प बदनाम बहुत है
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गुरुवार,दिसंबर 18, 2008
जब यार देखा नयन भर दिल की गई चिंता उतर
ऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाए कर
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शनिवार,दिसंबर 13, 2008
हर एक रास्ता मंज़िल है चल सको तो चलो
बने बनाए हैं सांचे जो ढल सको तो चलो
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बुधवार,दिसंबर 10, 2008
तुम हो क्या ये तुम्हें मालूम नहीं है शायद,
तुम बदलते हो तो मौसम भी बदल जाते हैं...
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सोमवार,दिसंबर 1, 2008
ज़िन्दगी लगती है इक प्यारी ग़ज़ल सी लेकिन,
इस का हर शे'र बड़ा दर्द भरा होता है।
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बुधवार,नवंबर 26, 2008
सब ग़लत कहते थे लुत्फ़-ए-यार को वजहे-सुकूँ
दर्द-ए-दिल उसने तो हसरत और दूना कर दिया-------हसरत मोहानी
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शुक्रवार,नवंबर 21, 2008
मेरे दिल को किया बेख़ुद तेरी अंखयाँ ने आख़िर कूँ
के जूँ बेहोश करती है शराब आहिस्ता आहिस्ता ----------वली
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इतना न अपनी क़िस्मत-ए-रोशन पे नाज़ कर
चढ़ता है आफ़ताब तो ढलता ज़रूर है
आया था अपने गाँव से दामन में लेके फूल
जाता हूँ दिल में ज़ख़्म लिए तेरे शहर से
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शनिवार,नवंबर 15, 2008
ज़िन्दगी है या कोई तूफ़ान है,
हम तो इस जीने के हाथों मर चले।------
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बुधवार,नवंबर 12, 2008
लोग ख़ुश हैं उसे दे-दे- के इबादत का फ़रेब
वो मगर ख़ूब समझता है ख़ुदा है वो भी -------ग़नी एजाज़
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बुधवार,नवंबर 12, 2008
हम सायादार पेड़ ज़माने के काम आए
जब सूखने लगे तो जलाने के काम आए
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दोस्तों ने भी तमन्नाओं को पामाल किया
दुश्मनों पर ही न इलज़ाम लगाया जाए
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