यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
हर एक रास्ता मंज़िल है चल सको तो चलो बने बनाए हैं सांचे जो ढल सको तो चलो यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देतामुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो ---निदा फ़ाज़लीमौत उसकी है करे जिसका ज़माना अफ़सोसयूँ तो दुनिया में सभी आए हैं मरने के लिएमौत हर शाह-ओ-गदा के ख़्वाब की ताबीर है इस सितमगर का सितम इंसाफ़ की तस्वीर है पूछ लो बेशक परिन्दों की हसीं चेहकार से तुम शफ़क़ की झील हो और शाम का मंज़र हूँ मैं प्रेम लेजाओ अजाइब घर में रख देना इसेइस मज़ारे-शाएरी का आख़िरी पत्थर हूँ मैं ग़ुरूबे-शाम ही से ख़ुद को यूँ मेहसूस करता हूँ के जैसे इक दिया हूँ और हवा की ज़द पे रक्खा हूँ ---ज़ुबेर रिज़वीचमकती धूप तुम अपने ही दामन में न भर लेनामैं सारी रात पेड़ों की तरह बारिश में भीगा हूँ महरबाँ होके बुलालो मुझे चाहो जिसदम मैं गया वक़्त नहीं हूँ के फिर आ भी न सकूँ -----ग़ालिब मुझको हैरत है के 'फ़ाज़िल' फूल के होते हुएलोग पत्थर ही से क्यों देते हैं पत्थर का जवाब ----फ़ाज़िल अंसारीज़मीनो-आसमाँ,सूरज सितारे ख़ुदा की शान के मज़हर हैं सारे --याक़ूब तसव्वुर लोग जाते हैं अगर चाँद नगर तक जाएंहम तड़पते हैं के बस आपके दर तक जाएं---याक़ूब तसव्वुरतुन्दिए बादे-मुख़ालिफ़ से न घबरा ऎ इक़ाब ये तो चलती है तुझे ऊंचा ऊड़ाने के लिए------हुरमते-दिल का जो न हो क़ाइल उसके घर में क़याम मत करना-----फ़रज़ाना खान नैनालोग सोरज की तमाज़त से पनाह मांगते हैंऔर हमें साया-ए-दीवार से डर लगता है ------इसहाक़ साजिद मुक़ाबिल मेहजबीं होने लगा है अंधेरा भी हसीं होने लगा है ------------इसहाक़ साजिद इक दूसरे से टूटके मिलते हैं सब मगरमसरूफ़ सारे लोग हैं इक सर्द जंग में-----आलम ख़ुर्शीद कोई निशान लगाते चलो दरख़्तों पर के इस सफ़र में तुम्हें लोट कर भी आना है ----रऊफ़ ख़ैर ये चिड़िया भी मेरी बेटी से कितनी मिलती जुलती है कहीं भी शाख़े-गुल देखे तो झूला डाल देती है ---------मुनव्वर रानाझूट आजाए तो सच्चाई चली जाती है बात से बात की गहराई चली जाती है ------मुनव्वर रानाइतवार की इक शाम तो बच्चों में रहूँ मैंवरना किसे हंसने का यहाँ वक़्त मिला है -----सैफ़ी