- लाइफ स्टाइल
» - उर्दू साहित्य
» - हमारी पसंद
जन्नत पुकारती है...
एक बार फिर से मिट्टी की सूरत करो मुझे इज्जत के साथ दुनिया से रुख्सत करो मुझेजन्नत पुकारती है कि मैं हूं तेरे लिएदुनिया गले पड़ी है कि जन्नत करो मुझेहमारी बेरुखी की देन है बाजार की जीनत अगर हम में वफा होती तो ये कोठा नहीं होतान दिल राजी न वह राजी तो काहे की इबादत है किए जाता हूं मैं सज्दा मगर सज्दा नहीं होताफकीरों की ये बस्ती है फरावानी नहीं होगीमगर जब तक रहोगे हां परेशानी नहीं होगी(
फरावानी-समृद्धि, आसानी से उपलब्ध होना)