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Written By ND

दिल जीतने के लिए 'स्टार-वार'

दिल जीतने के लिए ''स्टार-वार'' -
- मानसी और चंद्रकांत शिंदे

मनोरंजन में बाजी मारना आसान नहीं होता। यही कारण है कि मीडिया सम्राट रूपर्ट मर्डोक ने एक बार फिर भारत में पूरी ताकत से बिगुल बजाने के लिए करीब 500 करोड़ रुपए झोंकने की तैयारी कर ली है। स्टार टी.वी. का इरादा हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं के चैनलों के माध्यम से जनता का दिल जीतना है। मुकाबला करने के लिए खड़े चैनल - सोनी, जी टीवी, एनडीटीवी, कलर्स कमजोर नहीं हैं। पिछले महीनों के दौरान कलर्स ने अन्य पुराने चैनलों को पीछे धकेला तो मनोरंजन जगत में हड़कंप-सा मच गया। फिर विज्ञापन उद्योग पर मंदी की थोड़ी मार पड़ने से चैनलों में भारी उलटफेर, नए रंग-रूप, नए कार्यक्रमों की होड़-सी मच गई।

स्टार इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उदय शंकर को अपने संस्थान और टीम पर भरोसा रहा है। हांगकांग में बैठे स्टार एशिया क्षेत्र के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पॉल एफ. एइलो ने भारत की यात्राएँ कीं। मुंबई, दिल्ली, हांगकांग से न्यूयॉर्क तक बैठकों का सिलसिला चलता रहा। इन बैठकों में तय रणनीति का नतीजा है कि कड़ी प्रतियोगिता के बावजूद भारत में स्टार एक बार फिर नंबर वन पायदान पर है। स्टार प्लस ने नए कार्यक्रमों के अलावा मलयालम, मराठी, बांग्ला, कन्नड़, तेलुगु भाषाओं के क्षेत्रीय चैनलों के बल पर दर्शकों को बाँधे रखने की कोशिश की है।

उदय शंकर दर्शकों की नब्ज समझते हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के तेज-तर्रार संवाददाता से राष्ट्रीय स्तर के टीवी न्यूज चैनलों के प्रमुख बनने का अनुभव उन्हें काम आ रहा है। रूपर्ट मर्डोक को भी भारत की जमीनी सच्चाई का अहसास है इसलिए वह अँग्रेजी भाषा के मनोरंजन चैनलों से अधिक हिंदी तथा भारतीय भाषाओं में आगे बढ़ने के लिए उदय शंकर को पूरी छूट दे रहे हैं।

उदय शंकर ने स्टार की 'सास-बहू' वाली विवादास्पद पहचान को बदलने के लिए नए कार्यक्रमों की झड़ी लगा दी है। 'ये रिश्ते', 'तुझ संग प्रीत लगाई', 'विदाई', 'विवाह', 'आपकी कचहरी' जैसे कार्यक्रमों ने बड़े पैमाने पर नए दर्शक जोड़े। अब तो उदय शंकर 'शॉपिंग' के नए चैनल की तैयारी जोर-शोर से कर रहे हैं क्योंकि दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार भारत है। उदय शंकर का दावा है कि 'स्टार टीवी नेटवर्क बड़े से बड़े प्रतियोगी को टक्कर देने के लिए तैयार है। अपनी श्रेष्ठता तथा गुणवत्ता के बल पर हम नंबर वन से पीछे नहीं हटने वाले हैं।'

इसी आत्मविश्वास के कारण 'कौन बनेगा करोड़पति' जैसे रियलिटी शो से मनोरंजन की दुनिया में इतिहास रचने वाला स्टार प्लस अनेक दिग्गज मनोरंजन चैनलों का आज भी बॉस बना हुआ है। स्टार प्लस के 10 शो आज भी मनोरंजन चैनलों के टॉप लिस्ट में हैं। दर्शकों की नब्ज टटोलकर उनकी इच्छा का अनुमान लगाने में स्टार प्लस को महारत हासिल है। देखते ही देखते सास-बहू की जगह नौजवान दिलों ने ले ली है। यही कारण है कि 'विदाई', 'यह रिश्ता क्या कहलाता है', 'लाडली' आदि में कहानी का प्लॉट जो भी हो पर उसके मूल में जवाँ दिलों की भावनाएँ, चाहत, कशमकश, दुविधा, आकांक्षाएं, विद्रोह आदि ही छिपे हैं।

दरअसल, तेज-तर्रार चैनलों की रणनीति बाजार-व्यवस्था का अध्ययन करते हुए आगे बढ़ती है। इन दिनों बाजार के फैसले में निर्णायक भूमिका है युवाओं की। लड़के-लड़कियों की पढ़ी-लिखी पीढ़ी अपने आपको आधुनिकता एवं फैशन का विशेषज्ञ मानती है और घर के सामान खरीदने में उनकी स्वीकृति बड़ा मायने रखने लगी है। इसी मानसिकता को भाँपकर नौजवानों की भावनाओं को प्रमुखता देना आज चैनलों की जरूरत बन गई है। स्टार प्लस ही नहीं बल्कि अन्य मनोरंजन चैनलों ने भी इस रुझान को पकड़कर अपने कार्यक्रमों में बदलाव किया है।

सोनी टीवी के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट डैनिश खान का कहना है कि बदले हुए हालात में हमने भी दर्शकों की मानसिकता का अध्ययन किया है। आज दर्शकों को नयापन, कंटेंट और क्वालिटी चाहिए। हमारे 'भास्कर-भारती' का प्लॉट बिल्कुल अलग है। इसने दर्शकों पर अच्छा असर डाला है। 'पालमपुर एक्सप्रेस', 'दस का दम' और 'सीआईडी' की गुणवत्ता हमारा यूएसपी है। हम सभी मनोरंजन चैनलों को टक्कर देने को तैयार हैं।

चैनलों के बीच दर्शकों और बाजार को पकड़ने की ऐसी मारकाट मची है कि अब किसी भी एक कार्यक्रम के हिट होने पर कोई हाथ पर हाथ धरे बैठा नहीं रह सकता है। हर रोज नई थीम पर विचार करना, उसे आधुनिक जरूरतों के अनुसार लोगों की पसंद के लायक बनाना बहुत बड़ा काम है। किसी भी विषय का कांसेप्ट और उसे पेश करने का ढंग यानी ट्रीटमेंट बहुत ही अहम हो गया है।

एनडीटीवी इमेजिन के सीईओ समीर नायर का कहना है कि दर्शकों ने चैनलों के ऊपर अधिक जिम्मेदारी डाल दी है। दर्शक दकियानूसी कार्यक्रमों से ऊब चुके हैं। अब उन्हें नए आइडियाज और बढ़िया कंटेंट चाहिए। नए आइडियाज के तहत आया है 'राखी का स्वयंवर'। सीईओ समीर नायर को उम्मीद है कि यह कार्यक्रम अन्य रियलिटी शो का टीआरपी रिकॉर्ड तोड़ देगा।

'बिग बॉस' और 'बालिका वधू' से अपने दर्शकों का चहेता बने कलर्स की प्रोग्रामिंग हेड अश्विनी यार्डी का मानना है कि हर समय टॉप के तीन-चार मनोरंजन चैनलों में काँटे की टक्कर बनी रहती है। आज चोटी पर स्टार, जी और कलर्स हैं। उनमें हर समय बराबर की प्रतिस्पर्द्धा बनी रहती है। उनका कहना है कि दरअसल हम इस मुकाम पर इसलिए पहुँचे कि हमने बड़ी सावधानी से कार्यक्रमों का चुनाव किया। हमें अपने कार्यक्रम चुनते वक्त यह विश्वास था कि इसे दर्शक पसंद करेंगे। मिसाल के तौर पर 'फीयर फैक्टर' लोगों को चैनलों तक खींच लाया तो 'बालिका वधू' ने उन्हें बाँधे रखा है। 'फीयर फैक्टर' की हम दूसरी और तीसरी पारी भी खेलने वाले हैं। अपने कार्यक्रमों के लिए प्रसारण समय का चुनाव भी कलर्स बहुत ही सावधानी से कर रहा है।

सभी चैनल चाहते हैं कि उनके शो में मौलिकता हो ताकि दर्शक उसके उसी गुण के कारण वहाँ अटक जाएँ। बदलते हालात के मद्देनजर स्टार इंडिया ने भी अपनी रणनीति में अच्छा-खासा बदलाव किया है। स्टार ने सीईओ उदय शंकर के नेतृत्व में अब लंबी अवधि और प्रसारण समय को लेकर भी एक अलग रणनीति बनाई है। सालोसाल चलने वाले सीरियल के बजाय अब उनके कुछ सीरियल बहुत जल्दी समाप्त हो जाते हैं। स्टार वन पर चलने वाले सोप 'दृष्टि' ने भी अच्छी पकड़ बना ली थी पर अब वह समाप्त है।

स्टार प्लस ने नकारात्मक बिंदुओं को अपने कार्यक्रमों से बिल्कुल ही हटा देने की ठान रखी है। सकारात्मक सोच और सामाजिक सरोकार के मुद्दों पर ही उनकी सारी कहानियाँ रची जा रही हैं। मजे की बात यह है कि लोग निराशा, षड्यंत्र और गंदी जोड़-तोड़ की अपेक्षा उम्मीद, भरोसा और विश्वास को हावी होता देखना पसंद कर रहे हैं। 'दृष्टि' एक ऐसी लड़की की कहानी थी, जो भूतों को देख सकती थी। उन्हें मुक्ति दिलाने में मदद करती थी। रंगभेद एवं अपंगता के मनोविज्ञान को आधुनिक परिवेश के तहत बारीकी से पेश करने की कला हमारे स्क्रिप्ट लेखकों को खूब आ गई है। 'विदाई', 'चेहरा' आदि स्टार प्लस के सीरियलों ने इसे बड़ी संवेदनशीलता से पेश किया।

दरअसल, दर्शक इनकी कठिनाइयों से अपने जीवन की कठिनाइयों एवं मजबूरियों को जोड़ पाते हैं। स्टार टीवी ने अपने सभी सीरियलों में एक सामाजिक सरोकार वाली बात जरूर रखी है। 'मितवा' में 'ऑनर कीलिंग' यानी आन के लिए हत्या को अशोभनीय एवं गलत करार देना ही इस धारावाहिक का मुख्य विषय है। ठीक इसी तरह 'लाडली' लड़कियों को गोद लेने के लिए प्रेरित करता है। इन सब धारावाहिकों की सबसे अच्छी बात यह है कि इन सामाजिक मुद्दों को इनमें बहुत ही बारीकी से पिरोया गया है। दर्शकों को कभी भी भाषणबाजी का अहसास नहीं होता है।

दूरदर्शन जो कि इस प्रयास में अक्सर असफल ही हो जाता है, अब नए कार्यक्रमों में उसी स्तर को लाने पर विचार कर रहा है। धारावाहिक में नयापन केवल प्लॉट और कांसेप्ट के स्तर पर नहीं लाया जा रहा है। अब शूटिंग लोकेशन यानी स्थान को लेकर भी वे बड़े ही सतर्क हो रहे हैं।

सोनी टीवी नौजवान दर्शकों को लुभाने के लिए मलेशिया के जंगलों में शूटिंग कर रहा है। सोनी ने जंगल बचाने के सवाल को लोगों तक पहुंचाने के लिए यह अनोखा तरीका निकाला है। दरअसल, इस शो में कुछ नामचीन लोगों को जंगल में छोड़ दिया जाता है जहाँ वे अपनी जान बचाने के लिए जद्दोजहद करते हैं। यह पहले से ही एक अंतर्राष्ट्रीय शो है जो खूब लोकप्रिय है।

जिसमें जोखिम उठाने का साहस होता है, वही नए कीर्तिमान स्थापित करता है। प्रयोग करने के लिए अच्छा-खासा जिगर चाहिए। आज भी मनोरंजन चैनलों के पैटर्न तय करने वाले स्टार प्लस को बिल्कुल ही भिन्न किस्म के कार्यक्रम 'आपकी कचहरी' जैसा रियलिटी शो लाने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं हुई। कानूनी राहत दिलाने के लिए सुदूर क्षेत्रीय इलाकों की सच्ची समस्याओं को देखने का अपना ही मजा है। झूठे काल्पनिक सेट एवं पात्रों की अविश्वसनीय भव्यता से परेशान दर्शकों ने जीते-जागते लोगों की सच्ची लड़ाई को निपटाते देखना अधिक पसंद किया है। इसमें कानूनी जानकारी और वास्तविक उपाय से लोगों को बेहद लाभ मिल रहा है। निर्माता का हौसला इतना बुलंद हुआ कि अब ज्यादा पैनापन वाले मामले खोजे जा रहे हैं। 'आपकी कचहरी' फिर से बड़ी पारी खेलने वाली है।

स्टार प्लस के जनरल मैनेजर और कार्यकारी उपाध्यक्ष कीर्तन अद्यनाथ्या का कहना है कि 'सास-बहू' जैसे सोप के स्थान पर लाया गया बदलाव, चाहे 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' 'तुझ संग प्रीत लगी' या 'आपकी कचहरी' दर्शकों को बेइंतहा भाया है। नया शुरू होने वाला शो 'गोदरेज खेलो जीतो जियो' भी सोहा अली खान के साथ अपना रंग जमा पाएगा, ऐसी चैनल के अधिकारियों को उम्मीद है। स्टार के लिए अब भी चुनौती भरा समय है, हालाँकि स्टार इंडिया ने अपने गुलदस्ते में अनेक फूल शामिल कर लिए हैं।

'स्टार जलसा' (पश्चिम बंगाल), स्टार स्वर्ण (कर्नाटक), स्टार प्रवाह (महाराष्ट्र), सितारा (तेलुगु), एशियानेट एवं एशियानेट प्लस (मलयालम), स्टार विजय (तमिल) जैसे अनेक चैनल अपना वर्चस्व अन्य प्रतिद्वंद्वी चैनलों पर बनाए हुए हैं। आकर्षक सामग्री एवं क्षेत्रीय मानसिकता को खूबसूरत कल्पनाशीलता से सींचकर पेश करने की वजह से स्टार के क्षेत्रीय चैनल सफल हैं।

बच्चों के चैनलों के दर्शकों की तादाद भी कोई कम नहीं है । दरअसल, इन चैनलों पर पाँच वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चे अपने पसंदीदा कार्यक्रम खुद तो देखते ही हैं साथ में बड़ी उम्र के दर्शकों को भी शामिल कर लेते हैं। डिजनी, हंगामा, कार्टून नेटवर्क और पोगो जैसे चैनलों की सभी घरों में अच्छी पकड़ है। इसमें सबसे ऊपर है 'डिजनी' । 'हैना मॉनटैना' जैसे लोकप्रिय कार्यक्रम के कई रिपीट टेलीकास्ट होते हैं और किशोर उन्हें बार-बार देखते हैं। 'क्या मस्त है लाइफ', 'द विजर्ड ऑफ वेबर्ली प्लेस', 'स्वीट लाइफ ऑफ जैक एंड कोडी' इसके बेहद लोकप्रिय कार्यक्रम हैं। 'हैना मॉनटैना' तो यूँ भी पूरी दुनिया में बेइंतहा पसंद किया जा रहा है।

हंगामा चैनल में कार्यक्रमों की खासियत यह है कि सात वर्ष की उम्र से देखने वाले बच्चे 12 वर्ष की उम्र में भी वही कार्यक्रम बड़े शौक से देखते हैं। जापानी पृष्ठभूमि पर बने ये कार्यक्रम भारतीय परिवेश से भी खूब मिलते-जुलते हैं। 'शिनचैन' कार्यक्रम में शिनचैन की शरारतों से बच्चे अपने आप को जोड़ते हैं। वे इंतजार करते हैं कि कब शिनचैन की बहन आएगी जो प्रोमोज के मुताबिक शिनचैन से भी अधिक शैतान होगी।

हंगामा चैनल का ही 'डोरेमॉन' भी बच्चों को खूब पसंद है। पसंद करने की वाजिब वजह भी है। डोरेमॉन भी उन बच्चो में से है जिसे कभी पढ़ाई में अच्छा अंक नहीं आता और उसे पढ़ाई पसंद भी नहीं है । 'कोची कामे' कार्यक्रम को बच्चे खूब मिस करते हैं। वह एक ऐसा पुलिसवाला है जो अपनी मर्जी चलाता है।

कार्टून और पोगो के कुछ कार्यक्रमों का मजा भी बच्चे खूब उठाते हैं । बच्चों की वफादारी अपने कार्यक्रमों के प्रति बड़ी पक्की होती है। जिस प्रकार कॉमिक की लत नहीं छूटती उसी प्रकार ये किशोर अपनी इस उम्र को पार करने के बाद भी इस तरह के कार्यक्रमों को देखना नहीं छोड़ते हैं।