Last Modified: नई दिल्ली (भाषा) ,
मंगलवार, 9 जून 2009 (17:07 IST)
रोहित और रोनित की ग्रैंड स्लैम पर निगाह
भारतीय टेनिस में 'गुदड़ी के लाल' बिष्ट बंधु रोहित और रोनित की निगाह कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद अब ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट के जूनियर वर्ग में भाग लेने पर लगी हैं, लेकिन प्रायोजकों की कमी से इनकी राह कठिन हो गई है।
रोहित और रोनित को उनके पिता राजेंद्रसिंह ने टेनिस का ककहरा सिखाया, लेकिन अब जबकि इन दोनों ने जूनियर आईटीएफ में मजबूती से कदम रख दिए हैं तब विदेशों में अधिक से अधिक टूर्नामेंट में भाग लेने और ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट के लिए जरूरी अंक जुटाने की राह में 'धन की कमी' रोड़ा बन रही है।
दिल्ली विकास प्राधिकरण में क्लर्क पद पर कार्यरत राजेंद्र ने कहा कि यदि प्रायोजक मिलते हैं तो मुझे पूरा विश्वास है कि दोनों जल्द ही जूनियर ग्रैंड स्लैम में भाग लेने की अर्हता हासिल करने में सफल रहेंगे।
भारतीय जूनियर डेविस कप टीम के सदस्य रोनित के लिए अच्छी खबर यह है कि उन्हें बेंगलुरु स्थित महेश भूपति अकादमी का सहारा मिल गया है, जिसका लक्ष्य 2018 तक भारत को पहला ग्रैंड स्लैम चैंपियन देना है। 15 जून से जकार्ता में होने वाले आईटीएफ टूर्नामेंट की तैयारी में जुटे 13 वर्षीय रोनित को विश्वास है कि अगले दो या तीन साल में उनका ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंटों के जूनियर वर्ग में खेलने का सपना पूरा हो जाएगा।
ऑस्ट्रेलियाई ओपन जूनियर चैंपियन युकी भांबरी के कोच आदित्य सचदेवा ही इन दोनों भाईयों को कोचिंग देते हैं और उनका मानना है कि रोहित और रोनित भारतीय टेनिस को काफी आगे ले जा सकते हैं। सचदेवा ने कहा कि युकी के बाद रोनित देश का सबसे प्रतिभावान खिलाड़ी है और यदि वह जूनियर आईटीएफ में अच्छा प्रदर्शन करता है तो फिर अगले कुछ वर्ष में ग्रैंड स्लैम तक पहुँच सकता है।
उन्होंने कहा कि किसी भी युवा खिलाड़ी के लिए सबसे बड़ी परेशानी पैसे की होती है क्योंकि बाहर खेलने के लिए सारा खर्च उन्हें स्वयं उठाना पड़ता है। अकादमी से जुड़ने के बाद रोनित को अब विदेशों में खेलने अधिक मौका मिलेगा, जिससे उनकी ग्रैंड स्लैम जैसे बड़े टूर्नामेंट में खेलने की संभावना बढ़ गई है।
कोच की नजर में पिछले साल पाकिस्तान में आईटीएफ टूर्नामेंट जीतने वाला रोहित भी प्रतिभावान है लेकिन शैली में बदलाव के कारण उन्हें अभी वह अच्छे परिणाम नहीं दे पाया। उन्होंने कहा रोहित पहले रक्षात्मक खिलाड़ी था लेकिन अब उसने भी आक्रामकता अपना ली है। जब कोई अपना खेल बदलता है तो उससे कुछ विपरीत परिणाम तो आते ही हैं।
रोनित को भूपति अकादमी में अपोलो टायर्स के मिशन 2018 के लिए चुना गया है, जिसका लक्ष्य अगले दस साल में भारत का पहला ग्रैंड स्लैम विजेता तैयार करना है। एमिटी इंटरनेशल स्कूल में क्रमश: दसवीं और आठवीं में अध्ययनरत रोहित और रोनित को पिछले साल केंद्र सरकार से आठ लाख रुपए मिले थे जिससे इन दोनों ने स्पेन में दो महीने तक प्रशिक्षण लिया। इसके बाद इन दोनों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अच्छे परिणाम भी दिए।
विश्व सर्किट में 2007 में एशियाई टीम की अगुवाई करने वाले रोहित ने जहाँ पाकिस्तान में आईटीएफ अंडर-18 टूर्नामेंट जीता, वहीं रोनित ने चेक गणराज्य में पिछले साल विश्व जूनियर चैंपियनशिप में भारत को अमेरिका और फ्रांस के बाद तीसरा स्थान दिलाने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद उन्हें ऑस्ट्रेलियागई जूनियर डेविस कप टीम में चुना गया।
रोनित अभी भारत के अंडर-14 में नंबर एक और अंडर-16 में नंबर तीन खिलाड़ी हैं, जबकि रोहित दूसरे वर्ग में चौथे नंबर पर काबिज हैं लेकिन इसके बावजूद इन दोनों को अगले साल दिल्ली में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के कोर ग्रुप में नहीं चुना गया। यही नहीं सरकार से आगे इन दोनों को कोई मदद भी नहीं मिली।
इनके पिता राजेंद्र ने कहा कि कोर ग्रुप में न चुने जाने सभी को हैरानी हुई, लेकिन मुझे मलाल नहीं है। रोनित पिछले साल से आईटीएफ में खेल रहा है और दोनों ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। मुझे विश्वास है कि दोनों को जल्द ही जूनियर ग्रैंड स्लैम में खेलने का मौका मिल जाएगा।