गुरुवार, 7 अगस्त 2025
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Written By WD

तुम्हें देखकर

रोमांस इश्क प्रेम प्यार मोहब्बत
तुम्हें देखकर
मन में जैसे एक महाभारत होता है!

तुम चलती हो
एक हँसनी
सँभल-सँभल ज्यों डग भरती है,
पारिजात की टहनी जैसे
हल्की जुम्बिश से
झरती है;
बँधे ताल के
जल में कोई
बरबस ही ज्यों लहरें बोता है!

घर आँगन में बिखर गई तुम
गेंदे की ज्यों पीली पंखुरी,
जैसे छिड़क गया है कोई
अक्षत हल्दी
भर-भर अँजुरी;
शीतल, पावन
जैसे कोई
गंगा जल से घर धोतहै!