• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. रोमांस
  4. »
  5. प्रेम-गीत
  6. कैसी पीड़क व्यथा
Written By WD

कैसी पीड़क व्यथा

पीड़क व्यथा रोमांस प्रेमगीत कविता लव
फाल्गुनी

जिस संकोच की परिधि
में बँधे, तुम
मुझे देखते हो
उसी परिधि में बँधकर
मेरे पैरों की अवश पायल
रूनझुनाती है,
परिधियों के हमारे आवृत्त
अलग-अलग हैं
जिनका उल्लंघन करना
हम दोनों के बस में नहीं है।
लेकिन दोनों ही वृत्तों के केंद्र में दो
एक जैसे बिंदु हैं
छटपटाहट के।
छोटे लेकिन तीखे गड़ों हुए
अपनी ही व्यथा को समेटे खड़े हुए
दोनों ही बिंदु एक-दूसरे को
देख सकते हैं
मिल नहीं सकते,
संबंधों के बनने से पूर्व
टूटते जाने की
और फिर बनते जाने की
कैसी पीड़क व्यथा है
जो हम दोनों सुन रहे हैं।