अब तक याद है मुझे वह बरसात जब मेघों की गर्जन और बिजली की कड़कड़ाहट से सहम गए थे हम फिर एकाएक जोरों की बारिश का होना सड़क पर घुटनों तक पानी में एक दूजे का हाथ थामकर चलना अब तक याद है मुझे वो बरसात जब तुम्हारी जुल्फों से झरता पानी किसी मनोरमा झरने सा प्रतीत होता ठंड से कंपकंपाते तुम्हारे होंठ मानो कह रहे हों दिल की बात अब तक याद है मुझे वह बरसात