मूर्ति चोर गिरोह का अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क
प्राचीन मूर्तियों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मांग
-
राघवेन्द्र नारायण मिश्र जब दुनिया के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तो इनसान के लिए सिर्फ भगवान का ही सहारा बचता है लेकिन मंदिरों से लगातार मूर्ति चोरी की घटनाओं के बाद अब भगवान को ही संरक्षण की जरूरत महसूस की जाने लगी है। 'जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारो' के जुमले को मूर्ति चोर गिरोहों ने बेमतलब बना दिया है। बिहार के तमाम हिस्सों से लेकर नेपाल तक मूर्ति चोर गिरोह ने अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क विकसित कर लिया है। अष्टधातु, सोने, चांदी और पीतल की प्राचीन मूर्तियां मंदिरों से गायब होकर तस्करों के हाथों अंतर्राष्ट्रीय चोर बाजार पहुंचा रही हैं। पुलिस कानून व्यवस्था और वीआईपी सुरक्षा की झंझट में ही उलझी रहती है और मूर्ति चोर गिरोह लगातार घटनाओं को अंजाम देता रहता है।पुलिस की ओर से मूर्तियों की बरामदगी के लिए कोई विशेष अभियान नहीं चलाया जाता लिहाजा अधिकांश मामलों में चोरी गई मूर्तियां बरामद नहीं होतीं। कभी किसी दूसरे तलाशी अभियान के दौरान संयोग से कोई मूर्ति चोर पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है तो एकाध मूर्तिं बरामद हो जाती है। प्राचीन मूर्तियों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जबर्दस्त मांग रही है। लाखों-करोड़ों के लालच में गिरोह के सदस्य भगवान को भी बेच देते हैं। सिर्फ दिसंबर महीने में बिहार के मंदिरों से चार दर्जन मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं। 22 दिसंबर को मनिहारी कटिहार के नबाबगंज ठाकुरबाड़ी से राधाकृष्ण की अष्टधातु की छह मूर्तियां चोरी हो गईं। इस मूर्ति को 2007 में भी चुराने का प्रयास हुआ था तब दो चोर मौके पर ही पकड़ लिए गए थे। इस बार चोर गिरोह कामयाब हो गया। बीस दिसंबर को पटना सिटी इलाके में आलमगंज थाना क्षेत्र के काजीबाग स्थित बांके बिहारी से अष्टधातु की दर्जन भर बहुमूल्य प्राचीन मूर्तियां चुरा ली गईं। चोरों ने देर रात मंदिर का ताला तोड़कर मूर्तियां चुरा लीं। चोरी गईं मूर्तियों में राधाकृष्ण और सीताराम की मूर्तियों के अलावा कई देवी-देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं।
इससे पूर्व पटना में धर्मशाला गली स्थित गोवर्धननाथ मंदिर से चाणक्य की मूर्ति, हीरानंद गली से हनुमान मूर्ति और दीरा पर स्थित प्राचीन काली मंदिर से कई मूर्तियां चोरी हो गई थीं। पूरे बिहार के प्राचीन मंदिर अंतर्राष्ट्रीय गिरोह के निशाने पर रहे हैं। बीस दिसंबर को बक्सर के सुरोधा गांव से पुलिस ने 70 करोड़ की अष्टधातु की दो मूर्तियां बरामद कीं जो भोजपुर के कृष्णागढ़ मठ से चुराई गई थीं। पुलिस ने दो चोरों को गिरफ्तार भी किया है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय सरगनाओं तक पुलिस के हाथ पहुंच नहीं पाए हैं। इससे पहले कटिहार के बलरामपुर में एक मूर्ति चोर गिरफ्तार किया गया था। भागलपुर मेंअंतर्राष्ट्रीय गिरोह के ग्यारह मूर्ति चोर पकड़े गए थे जिनके पास से बीस करोड़ रुपए मूल्य की मूर्तियां बरामद की गई थीं। एक साल पहले हुई इस गिरफ्तारी के बाद पुलिस को पता चला था कि गिरोह के तार थाईलैंड और बांग्लादेश से जुड़े हैं। भागलपुर में ही तस्कर मोहम्मद शपीर, नसीर और रामविलास को पकड़ा गया था। जमुई से चोरी गई मूर्ति बंगाल के जम्हरिया से बरामद हुई तब अंतर्प्रांतीय नेटवर्क का खुलासा हुआ था। सहरसा में भगवान राम की मूर्ति बेचते स्थानीय भाजपा नेता का पुत्र पकड़ा गया था। नेपाल, बांग्लादेश और बिहार की सीमा पर किशनगंज में एसएसबी ने दो मूर्ति तस्करों को दबोचा तो अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क के बारे में पुलिस को महत्वपूर्ण सूचनाएं मिलीं लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ पाई। मूर्ति चोरी की अधिकांश घटनाएं ताला तोड़कर और सेंधमारी कर की जाती हैं लेकिन कुछ मामलों में पुजारी को बंधक बनाकर और मारपीट कर मूर्ति लूटने की भी घटनाएं हुई हैं। पूर्णिया के वनमनखी में पुजारी को बंधक बनाकर मूर्ति चुरा ली गई तो कटिहार के बरारी में पुजारी को बांधकर मूर्ति चोरी को अंजाम दिया गया। एक महीना पहले कटिहार के दंडखोरा में सेंधमारी कर अष्टधातु की मूर्ति चोरी कर ली गई। हाल के दिनों में पूर्णिया शहर के मधुबनी मुहल्ले के प्राचीन ठाकुरबाड़ी से लाखों रुपए की अष्टधातु की मूर्तियां एवं कीमती आभूषण की चोरी से पूर्णिया के लोग अब तक आहत हैं। लगभग एक महीना बीतने के बाद भी न तो चोरों को पकड़ा जा सका और न मूर्तियां ही बरामद हुईं। दरअसल सीमावर्ती क्षेत्र के जिलों में मूर्तियों की चोरी कोई नई बात नहीं है। इसका सीधा संबंध मूर्तियों की तस्करी करने वाले गिरोहों से रहा है। पूर्णिया शहर के ही पूर्णिया सिटी स्थित प्राचीन मंदिरों से कई मूर्तियां गायब कर दी गईं। पूर्णिया सिटी के तत्कालीन जमींदार राजा पृथ्वीचंद लाल के रिहायशी इलाके के मंदिर से चोरी गई अष्टधातु की मूर्ति, जो त्रिपुरसुंदरी देवी की थी तथा जिसका बाजार मूल्य उस समय 10 करोड़ के आस पास था। तीन क्विंटल 80 किलोग्राम की यह मूर्ति सवा मन सोना, सवा मन चांदी के अलावा तांबा-जस्ता आदि धातु से निर्मित हुई थी और इसे नेपाल के काठमांडू से लाकर राजा पृथ्वीचंद लाल ने अपनी हवेली के प्रांगण में भव्य मंदिर बनवा कर स्थापित करवाया था।संपूर्ण भारत में यह दूसरी मूर्ति थी जबकि नेपाल को शामिल कर लिया जाए तो यह अपने ढंग की तीसरी ऐसी मूर्ति थी। वस्तुतः यह नेपाल की राजधानी काठमांडू शहर की त्रिपुरसुंदरी देवी की ही प्रतिकृति थी। खंडहरनूमा मंदिर अब सूना है। पुलिस ने लाख हाथ-पांव मारे लेकिन मूर्ति बरामद करने में विफल रही। पिछले एक दशक में पूर्णिया सिटी के पुराने मंदिरों में लगातार चोरियां होती रही हैं। पूर्णिया और आस पास के क्षेत्रों में बहुमूल्य प्राचीन मूर्तियों की चोरी का धंधा 1985-86 से ही फलता-फूलता रहा है। पूर्णिया के प्रसिद्ध पूर्णेश्वरी काली मंदिर से सोने का मुकुट, लॉकेट, काली मां की आंखें, नथ, कान की बाली, टिकुली, टीका आदि स्वर्णाभूषणों की चोरी मंदिर से हो गई। पूर्णिया सिटी के ही एक मंदिर से राधाकृष्ण की मूर्ति गायब हो गई। लेकिन अब तक किसी को पकड़ा नहीं गया। पूर्णिया जिले के ही जानकीनगर थाना क्षेत्र के गांव रामनगर में लगभग चार सौ वर्ष पुरानी राम-जानकी की मूर्तियां चोरी हो गई। साथ-साथ चोर पीतल का एक मन का बड़ा घंटा, सोने-चांदी के जेवरात मंदिर से ले उड़े। एक वर्ष से ज्यादा वक्त गुजर गया किंतु पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला। सीमावर्ती जिला अररिया और किशनगंज तो मूर्ति चोरों का गढ़ ही रहा है। मूर्ति की चोरी के पश्चात उसे एंटिक बताकर विदेशों में मनमाने दाम पर बेचा जाता है। पूर्णिया से लगभग 90 किलोमीटर दूर किशनगंज के बड़ीजान गांव से महाभारतकालीन दुर्लभ मूर्तियों की चोरी किस्तों में की गई। किशनगंज के बड़ीजान गांव के टीलों की खुदाई 1964-65 में भारत सरकार के पुरातत्व विभाग के द्वारा की गई थी। इस प्राचीन टीलों की खुदाई से ही वे प्राचीन मूर्तियां मिली थीं। उन प्राचीन दुर्लभ मूर्तियों की सुरक्षा और संरक्षण को भी नजरअंदाज कर दिया गया। महाभारतकालीन एक मूर्ति आज भी किशनगंज जिले के बहादुरगंज प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर असुरगढ़-बेगूगढ़ में है। कहते हैं कि यह आदमकद मूर्ति भगवान भाष्कर की है। इसकी सुरक्षा के लिए स्थानीय लोग काफी चिंतित है। अररिया जिले के भरगामा प्रखंड क्षेत्रांतर्गत शंकरपुर पंचायत के ब्राह्मण टोले के राम-जानकी मंदिर की अष्टधातु की मूर्ति, जिसकी कीमत एक करोड़ से अधिक थी, चोरी चली गई। यह घटना 9 जून 2010 को हुई थी। करोड़ों की मूर्तियों के साथ चढ़ावे में चढ़ाए गए स्वर्णाभूषण, चांदी के गहने, ताम्र पट्टिकाएं एवं मंदिरों में लगे घंटी की ये चोरियां आज भी रहस्य के घेरे में है।सिर्फ पूर्णिया प्रमंडल में ही नहीं, पड़ोसी जिले खगड़िया, मधेपुरा, सुपौल आदि जिलों में भी पौराणिक मंदिरों से मूर्तियों की चोरी होती रही। ठीक 11 वर्ष पूर्व खगड़िया के सन्हौली गांव से तीन सौ वर्ष पुरानी राम-सीता-लक्ष्मण की मूर्तियां तस्करों ने हथियार के बल पर लूटा था जिसकी कीमत उस समय पांच करोड़ से भी अधिक आंकी गई थी। सुपौल जिले के बरूआरी, सुखपुर, कर्जाईन बाजार आदि के प्राचीन एवं नए मंदिरों में स्थापित प्राचीन मूर्तियों की चोरी इस बात के सबूत हैं कि नेपाल की सीमा से जुड़े इस इलाके में मूर्ति चोरों एवं तस्करों का संगठित गिरोह वर्षों से सक्रिय है लेकिन पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता के कारण एक भी चोरी का उदभेदन नहीं हो सका। मधेपुरा जिले के गम्हरिया प्रखंड अंतर्गत भेलवर गांव में राम-जानकी एवं भगवान विष्णु की पौराणिक मूर्तियों को तस्करों ने वर्ष 2001 में उड़ा लिया था और वर्ष 2009 में उसी मंदिर से लक्ष्मण की मूर्ति भी चुरा ले गए। मूर्ति की चोरी की इन वारदातों को सामान्य चोरी की घटना मान कर आंखें मूंदे रहना अब आस्थावान लोगों के लिए कष्ट साध्य हो रहा है। पंडित सच्चिदानंद कहते हैं कि जब तक सुरक्षा की कोई ठोस नीति नहीं बनती प्राचीन मूर्तियां सुरक्षित नहीं रह पाएंगी। पूर्णिया शहर के मधुबनी बाजार के अमला टोला स्थित राम-जानकी ठाकुरबाड़ी में अष्टधातु की मूर्ति की चोरी के मामले में हालांकि फारेंसिक जांच तक कराई गई है और एसपी अमित लोढ़ा को जांच रिपोर्ट सुपुर्द भी कर दी गई। इस जांच रिपोर्ट से बस इतना ही खुलासा हो पाया कि मंदिर के उस कक्ष मेंजहां मूर्ति स्थापित थी के ताले तोड़े नहीं गए बल्कि ताला खोलकर मूर्तियों की चोरी की गई। एसपी ने बाद में बताया कि फारेंसिक टीम ने ताले और मंदिर से मिले उंगलियों के निशान की मिलान के लिए दो संदिग्धों को बुलाया था लेकिन आज भी वे फरार हैं। मंदिर से अष्टधातु की बनी छोटी-बड़ी कुल 12 मूर्तियां चुराई गई हैं।
मूर्ति चोरी पर एक नजर -
मिथिलेश कुमार सिंह, राजरत्न कमल
कटिहारकटिहार में पंद्रह साल पूर्व बरारी में थाना परिसर के मंदिर से मूर्ति चोरी हुई थी। 2009 :
बारसोई में मूर्ति चोरी, खंडित बरामद।2010 :
कोढ़ा में एकल्मा गांव स्थित शिव मंदिर से मूर्ति की चोरी।2011 :
सितंबर में कुरसेला अयोध्यागंज बाजार से राधा की अष्टधातु की मूर्ति चोरी। बाद में भगहा फल्का से बरामद। 2011 :
नवंबर में डडखोरा से 300 वर्ष पुरानी दुर्गा की अष्टधातु की मूर्ति चोरी। अनुमानित वजन तीन किलो। अनुमानित कीमत एक करोड़। पुलिस द्वारा पता लगा लेने दावा।2011 :
बरारी से राज जानकी ठाकुरवाड़ी मंदिर से अष्टधातु की एक एवं पीतल की तीन मूर्ति चोरी। बाजार में एक करोड़ कीमत। मूर्ति राम, जानकी व लक्ष्मी की।पूर्णिया2005 :
पूर्णिया कसबा से 5 मूर्ति चोरी2007 :
पूर्णिया पूरनदेवी से अष्टधातु की लगोट हाथी सिंह चोरी2008 :
पूर्णिया ठाकुरबाड़ी से दो मूर्ति चोरी2008 :
पूर्णिया बी कोठी से तीन मूर्ति चोरी2008 :
रूपौली में राम जानकी मूर्ति चोरी2008 :
बनमनखी से राम-जानकी मूर्ति चोरी2009 :
ठाकुरबाड़ी एवं भवानीपुर मंदिर से 4 मूर्तियों की चोरी का मामला।2010 :
आरएन साह चौक से स्वर्ण मूर्ति चोरी2010 :
केनगर की ठाकुरबाड़ी से अष्टधातु की मूर्ति चोरी2011 :
चंपानगर से अष्टधातु की मूर्ति चोरीकिशनगंज2011 :
किशनगंज बॉर्डर पर बुद्ध की अष्टधातु की मूर्ति बरामद। एसएसबी की 12वीं बटालियन की जी कंपनी ने इसे बरामद किया। दो तस्कर गिरफ्तार, तस्कर का सरगना पूर्णिया के रौता का।