Last Modified: नई दिल्ली ,
बुधवार, 12 दिसंबर 2012 (23:02 IST)
...क्या वह बुद्ध का भिक्षापात्र है?
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लोकसभा में राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह ने सरकार के सामने सवाल रखा कि क्या अफगानिस्तान में काबुल के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे पत्थर के कटोरे को महात्मा बुद्ध का भिक्षापात्र माना जाता है? सिंह के सवाल पर विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, दावा किया जाता है कि वह भिक्षापात्र भगवान बुद्ध का है।
उन्होंने कहा कि एक बड़े आकार का शिला निर्मित पात्र, जो एक मीटर ऊंचा, एक मीटर व्यास, जिसके शीर्ष भाग की मोटाई लगभग 18 सेंटीमीटर है और जिसका वजन 200 से 300 किलोग्राम है तथा जिसके ऊपरी फेरे के समानांतर अरबी और फारसी भाषाओं में सुलेख लिपि में कुरान की आयतें लिखी हैं, इस समय काबुल स्थित अफगानिस्तान राष्ट्रीय संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर रखा हुआ है।
खुर्शीद ने बताया कि मूलत: यह कांधार में स्थापित किया गया था, जहां से इसे अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति नजीबुल्लाह के शासनकाल में काबुल ले जाया गया था। सरकार ने काबुल स्थित भारतीय दूतावास से इस पात्र की फोटो प्राप्त की है। नागपुर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पुरालेख शास्त्र में अरबी और फारसी के निदेशक ने इस फोटो की जांच की है।
खुर्शीद ने कहा कि प्रारंभिक जांच में निदेशक ने उल्लेख किया है कि यह पात्र कांधार नगर की किसी मस्जिद (संभवत: जामा मस्जिद) से संबंधित है।
उन्होंने सुझाव दिया है कि इसके मूल के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए इस पात्र की भौतिक और भू वैज्ञानिक दृष्टि से जांच होनी चाहिए। सरकार एएसआई के परामर्श से इस पात्र का उद्गम स्थापित करने के लिए अपेक्षित और उपायों का पता लगा रही है। (भाषा)