Last Modified: नई दिल्ली ,
शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009 (18:59 IST)
मुसलमानों को 10 फीसदी आरक्षण की सिफारिश
रंगनाथ आयोग की रिपोर्ट संसद में पेश
मुसलमानों को आरक्षण तथा ईसाई और मुस्लिम दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की सिफारिश करने वाली रंगनाथ मिश्र आयोग की विवादास्पद रिपोर्ट शुक्रवार को लोकसभा में पेश की गई।
अल्पसंख्यक मामलों एवं निगमित मामलों के राज्य मंत्री सलमान खुर्शीद ने तेलंगाना मुद्दे पर चल रहे हंगामे के बीच यह रपट निचले सदन में पेश की।
मुसलमानों को नौकरियों में आरक्षण देने की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि अल्पसंख्यक विशेषकर मुसलमान सरकारी रोजगार में बहुत ही कम हैं और कभी-कभी बिलकुल ही नहीं हैं इसलिए हम सिफारिश करते हैं कि उन्हें संविधान के अनुच्छेद-16 (4) विशेष रूप से सामाजिक एवं शैक्षिक शब्दों के साथ 'पिछड़ा शब्द' की शर्त का उल्लेख किए बिना पिछड़ा माना जाना चाहिए और केन्द्र और राज्य सरकारों के अधीन सभी संवर्गों और ग्रेडों में पदों का 15 प्रतिशत उनके लिए निर्धारित किया जाना चाहिए। आयोग ने कहा कि 15 प्रतिशत में से दस प्रतिशत सीटें मुसलमानों के लिए होंगी और शेष पाँच प्रतिशत अन्य अल्पसंख्यकों के लिए होंगी।
ईसाई और मुस्लिम दलितों को अनूसूचित जाति का दर्जा देने के बारे में आयोग ने कहा कि हम यह सिफारिश करते हैं कि अल्पसंख्यकों में उन सभी सामाजिक एवं व्यावसायिक समूहों को, यदि उनकी धार्मिक पहचान आड़े नहीं आती, अनुसूचित जाति की वर्तमान परिधि में शामिल किया जाता तो निश्चित तौर पर सामाजिक रूप से पिछड़ा माना जाना चाहिए चाहे उन अन्य समुदायों का धर्म जातिगत व्यवस्था को मान्यता देता हो या नहीं देता हो।
रिपोर्ट में कहा गया कि आयोग की इन सिफारिशों को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी क्योंकि इनमें से प्रत्येक वैधानिक या प्रशासनिक कार्रवाई के द्वारा पूरी तरह से कार्यान्वित हो सकती है। भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र की अध्यक्षता वाले धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यक संबंधी राष्ट्रीय आयोग की रपट को सच्चर समिति की रिपोर्ट के बाद के कदम के रूप में देखा जा रहा है। सच्चर समिति ने अल्पसंख्यकों विशेषकर मुस्लिमों के पिछड़ेपन का विश्लेषण करते हुए अपनी रपट पेश की थी।
मिश्रा आयोग ने मुस्लिमों और अन्य अल्पसंख्यकों के सामाजिक आर्थिक उन्नयन के कई उपाय सुझाए हैं। आयोग की रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों को नौकरियों में 15 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई है।
आयोग ने मई 2007 में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह को अपनी रपट पेश कर दी थी और गैर भाजपाई विपक्ष की ओर से लगातार इस रपट को संसद में पेश करने और इसकी सिफारिशें लागू करने की माँग की जा रही थी। गैर भाजपाई विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने यह माँग भी की कि सरकार को मिश्र आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई रपट भी पेश करनी चाहिए।
खुर्शीद ने हालाँकि स्पष्ट किया कि कार्रवाई रिपोर्ट अनिवार्य नहीं है क्योंकि रंगनाथ मिश्र आयोग का गठन जाँच आयोग कानून के तहत नहीं किया गया था।
आयोग के कामकाज के दायरे में धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यकों के बीच आर्थिक, सामाजिक रूप से अशक्त एवं पिछड़े वर्गों की पहचान कर अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण सहित विभिन्न कल्याणकारी उपाय सुझाना शामिल था। आयोग ने अपनी रपट में कहा है कि बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच पिछड़ेपन की पहचान के मामले में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
इस कदम का स्वागत करते हुए राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कहा कि सरकार को अब आयोग की सिफारिशों को लागू करना चाहिए अन्यथा उनकी पार्टी आंदोलन छेड़ेगी। उन्होंने कहा कि जब वह संप्रग की पहली सरकार में रेलमंत्री थे, उन्होंने रिपोर्ट को सदन में पेश करने की माँग कई बार उठाई थी।
लालू ने कहा कि हम उन लोगों में हैं, जिन्होंने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया। आजादी के बाद से ही अल्पसंख्यकों की सरकारी नौकरियों में उपस्थिति नहीं के बराबर है इसलिए मिश्र आयोग की सिफारिशें, जो अल्पसंख्यकों को रोजगार में आरक्षण देने की बात करती हैं, लागू होनी चाहिए। यदि सरकार इसे लागू नहीं करती तो हम आंदोलन करेंगे।
उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि आयोग की रिपोर्ट मुसलमानों को लुभाने के इरादे से पेश की गई है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और सांप्रदायिक सद्भाव इस देश की आधारशिला है। (भाषा)