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Written By ND

परिसीमन ने बदली दुनिया

परिसीमन ने बदली दुनिया -
- जितेंद्र चौरसिया
इस बार परिसीमन के कारण 27 भाजपा विधायकों को सीट बदलना पड़ी है तो कांग्रेस के तीन और जनता दल की इकलौती विधायक ने नई सीट से अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के चार विधायकों ने अपने क्षेत्र के साथ दल भी बदल डाला है। तीन ने कांग्रेस तो एक ने भाजपा का दामन थामा है। सपा के एक विधायक अर्जुन पलया जरूर ऐसे बदकिस्मत रहे हैं जो सपा से कांग्रेस में लौटे, लेकिन उन्हें काग्रेस से टिकट नहीं मिल सका।

भितरवार : परिसीमन के बाद डबरा और गिर्द विधानसभा के कुछ हिस्सों को मिलाकर भितरवार सीट बनी है। यहाँ डबरा विधायक नरोत्तम मिश्रा और गिर्द विधायक बृजेंद्र तिवारी का प्रभाव है। भाजपा के बृजेंद्र तिवारी की सीधी टक्कर कांग्रेस के लखनसिंह यादव से हैं।

दतिया : अभी तक यह सीट कांग्रेस के घनश्यामसिंह के हाथ में है। इसे हथियाने के लिए भाजपा ने नरोत्तम मिश्र को डबरा सीट बदलकर यहाँ से उतारा है। उनकी टक्कर कांग्रेस के मौजूदा विधायक घनश्यामसिंह से है। पिछली बार के भाजपा प्रत्याशी अवधेश नायक भाजश से मैदान में हैं। कांग्रेस और सपा के विधायक रह चुके बसपा प्रत्याशी राजेंद्र भारती से भी मुकाबला है।

डबरा : परिसीमन के बाद अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित हुई यह सीट अभी तक मंत्री नरोत्तम मिश्रा के पास थी, इस बार यहाँ से कमलापत आर्य की अग्निपरीक्षा है। भाजपा ने भांडेर विधायक आर्य को यहाँ से उतारा गया है। उनके सामने कांग्रेस से इमरतीदेवी सुमन हैं।

बमोरी : परिसीमन के बाद जन्मी बमोरी सीट से गुना के विधायक केएल अग्रवाल की प्रतिष्ठा दाँव पर है। गुना सीट आरक्षित होने के कारण केएल अग्रवाल को यहाँ से उतारा गया है। कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्रसिंह सिसौदिया भी मजबूत हैं। मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।

अशोकनगर : शाडौरा सीट को समाप्त कर अशोकनगर में मर्ज कर दिया गया है, जिससे अशोकनगर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई है। भाजपा ने यहाँ से शाडौरा के विधायक गोपीलाल जाटव को मैदान में उतारा है। कांग्रेस के गोपाल कौल उनकी सबसे बड़ी चुनौती हैं।

पृथ्वीपुर : परिसीमन के कारण नई बनी सीट पृथ्वीपुर में ब्राह्मण, यादव और लोधी निर्णायक वोट बैंक हैं। इस सीट पर जतारा सीट आरक्षित होने के कारण वहाँ के विधायक सुनील नायक को प्रत्याशी बनाया गया है। उनके सामने होंगे कांग्रेस के बृजेंद्रसिंह राठौर, जो निवाड़ी से जीतते आए हैं।

जतारा : परिसीमन के कारण आरक्षित हो चुकी जतारा सीट पर भाजपा के हरिशंकर खटीक मैदान में हैं। इन्हें खरगापुर सीट सामान्य होने के कारण इस सीट से उतारा गया है। इस सीट पर भाजपा, कांग्रेस, बसपा और भाजश चारों अच्छी स्थिति में है व चतुर्कोणीय संघर्ष की स्थिति है। कांग्रेस से पर्वतलाल अहिरवार की चुनौती है।

चंदला : परिसीमन में आरक्षित हुई इस सीट से मंत्री तथा महाराजपुर विधायक रामदयाल अहिरवार मैदान में हैं। महाराजपुर सीट सामान्य होने के कारण उन्हें यहाँ से उतारा गया है। यहाँ भाजश का अच्छा प्रभाव है। कांग्रेस के संतोष कुमार अहिरवार उनके सामने हैं।

हाटपीपल्या और बागली : बागली सीट आरक्षित हो जाने के कारण वहाँ के विधायक दीपक जोशी को यहाँ से टिकट दिया गया है। इस सीट पर कैलाश जोशी और तुकोजीराव पवार के गुटों की आपसी खींचतान और कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्रसिंह बघेल भाजपा के समक्ष चुनौती के रूप में हैं।

देवतालाब और मनगँवा : परिसीमन के बाद सामान्य हुई देवतालाब सीट पर मनगँवा सीट आरक्षित होने के कारण वहाँ के विधायक गिरीश गौतम को टिकट दिया गया है। कांग्रेस ने इस बार अरुण पटेल को टिकट दिया है। यहाँ बहुजन समाज पार्टी का भी प्रभाव है।

चितरंगी बनाम देवसर : देवसर विधायक जगन्नाथसिंह को यहाँ से भाजपा से टिकट दिया गया है। क्षेत्र में उनका अच्छा प्रभाव है। यहाँ गौंड व बैगा वर्गों में उनकी अच्छी पैठ है। कांग्रेस ने बसंतीदेवी कौल को मैदान में उतारा है।

जैतपुर : परिसीमन के कारण जन्मी जैतपुर विधानसभा सीट तीन विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाई गई है। इस सीट में जयसिंहनगर, नरोजाबाद और कोतमा सीटों के हिस्से शामिल हैं। इस सीट पर बहुकोणीय संघर्ष है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट से कांग्रेस की यशोदासिंह के सामने भाजपा ने जयसिंह मरावी को उतारा है। कोतमा सीट सामान्य होने के बाद उन्हें यहाँ से उतारा गया है।

बाँधवगढ़ बनाम उमरिया : इस सीट पर भाजपा ने उमरिया विधायक ज्ञानसिंह को उतारा है। क्षेत्र में उनके सामने कई चुनौतियाँ हैं। भाजश के कारण भी कांग्रेस प्रत्याशी सावित्रीसिंह उनके लिए चुनौती साबित हो सकती हैं।

मानपुर : परिसीमन के कारण नई बनी इस सीट से नोरोजाबाद सीट समाप्त होने के कारण वहाँ की विधायक मीनासिंह को उतारा गया है। कांग्रेस की ओर से ज्ञानवतीसिंह मैदान में हैं।

बड़वारा : परिसीमन के कारण बड़वारा सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इससे कांग्रेस को सीधा फायदा हुआ है, जो भाजपा प्रत्याशी के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर रहा है। इस सीट से कांग्रेस की गीता भगत के सामने भाजपा के नागर विधायक व मंत्री मोती कश्यप मैदान में हैं। पनागर सीट सामान्य होने के कारण उन्हें इस क्षेत्र में आना पड़ा है।

पाटन : परिसीमन के कारण इस सीट पर भी असर हुआ है। मझौली सीट समाप्त होने के बाद यहाँ संघर्ष और तीखा हो गया है। यहाँ से मझौली के विधायक अजय विश्नोई प्रत्याशी हैं। कांग्रेस से विक्रमसिंह लौधी हैं। स्थानीय स्तर पर यहाँ विश्नोई के आयकर छापे के बाद इस्तीफे का प्रकरण मुसीबत खड़ी कर सकता है।