Last Modified: नई दिल्ली ,
शुक्रवार, 8 मई 2009 (10:10 IST)
उड़नखटोले की उड़ान में भाजपा से आगे कांग्रेस
-संदीप देव लोकसभा चुनाव अपने आखिरी चरण की ओर बढ़ रहा है और राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों का 'उड़नखटोला' एक राज्य से दूसरे राज्य की ओर लगातार उड़ता चला जा रहा है।
प्रचारकों को अधिक से अधिक चुनावी सभाएँ करनी हैं और इसके लिए उड़नखटोले (हेलिकॉप्टर) से बेहतर और कोई विकल्प नहीं है। हेलिकॉप्टर से धुआँधार प्रचार करने में कांग्रेस भाजपा से आगे है। 15 से 25 दिन के लिए कांग्रेस ने 16 और भाजपा ने 13 हेलिकॉप्टर किराए पर लिए हैं। जिसका किराया लाखों नहीं, बल्कि करोड़ों में है। हेलिकॉप्टर का सर्वाधिक इस्तेमाल उत्तरप्रदेश और कर्नाटक में प्रचार के लिए किया गया है।
राजनीतिक दलों द्वारा प्रचार के लिए इस्तेमाल करने के अलावा चुनावी प्रक्रिया को व्यवस्थित करने और पुख्ता सुरक्षा-व्यवस्था का इंतजाम करने के लिए 100 हेलिकॉप्टर 'चुनावी आकाश' में मँडारा रहे हैं। इनमें से 40 हेलिकॉप्टर राजनीतिक दलों ने अपने प्रचार के वास्ते किराए पर लिए हैं।
ड्यूपिन (डबल इंजन) हेलिकॉप्टर का किराया एक लाख रुपए प्रति घंटा है। सिंगल इंजन हेलिकॉप्टर का किराया 50 हजार से लेकर 60 हजार रुपए प्रति घंटा है। पवन हंस हेलिकॉप्टर लिमिटेड के एक अधिकारी ने बताया कि कांग्रेस, भाजपा और बसपा जैसे बड़े दलों ने अधिकतर ड्यूपिन हेलिकॉप्टर किराए पर लिए हैं। उनके अनुसार एक ड्यूपिन हेलिकॉप्टर का एक दिन का किराया करीब 24 लाख रुपए है।
इस हिसाब से इसका 15 दिन का किराया तीन करोड़ 60 लाख व 25 दिन का किराया छः करोड़ रु. होता है। अब यदि एक पार्टी ने 25 दिन के लिए 10 ड्यूपिन हेलिकॉप्टर किराए पर लिए हैं तो उसे इसके लिए करीब 60 करोड़ रुपए चुकता करने पड़ेंगे। उनके अनुसार इन दलों के ड्यूपिन और सिंगल हेलिकॉप्टरों का अलग-अलग लेखा-जोखा देना फिलहाल मुश्किल है, क्योंकि पवन हंस के अलावा, कॉरपोरेट सेक्टर और कई निजी कंपनियों के हेलिकॉप्टर भी पार्टियों ने किराए पर लिए हैं।
इस अधिकारी के मुताबिक हर चुनाव में पार्टियाँ ही हेलिकॉप्टर को किराए पर लेती हैं, न कि कोई नेता। चुनाव प्रचार में किस नेता के लिए हेलिकॉप्टर का कितना इस्तेमाल करना है, यह भी पार्टियाँ ही तय करती हैं।