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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 8 नवंबर 2011 (18:39 IST)

'स्पेक्ट्रम की नीलामी से सरकार को नुकसान'

''स्पेक्ट्रम की नीलामी से सरकार को नुकसान'' -
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के प्रस्ताव के अनुरूप यदि दूरसंचार क्षेत्र में नई कंपनियों को मूल्यवान 700 मेगाहट्र्ज बैंड स्पेक्ट्रम का आवंटन किया जाता है, तो इससे सरकार को नुकसान होगा। विशेषज्ञों ने यह राय जाहिर की है।

इस बैंड का स्पेक्ट्रम ऐसी कंपनियों को दिए जाने का प्रस्ताव है, जिन्हें अभी तक स्पेक्ट्रम आवंटित नहीं रेडियो तरंगों का आवंटन नहीं हुआ है।

अनर्स्ट एंड यंग में भागीदार (टेलीकाम प्रैक्टिस) आशीष बासिल ने कहा कि 700 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम की शुरुआती नीलामी में कुछ ही कंपनियों ही शामिल किया जाता है तो सरकार को इस मूल्यवान स्पेक्ट्रम की सही बाजार कीमत नहीं मिल पाएगी।

बासिल ने हालांकि कहा कि ऐसी नई कंपनियों को 700 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम मिलने से उपभोक्ताओं को लाभ जरूर होगा। ट्राई ने हाल में दूरसंचार विभाग (डॉट) को भेजे पत्र में कहा था कि वह स्पेक्ट्रम से संबंधित मसले पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू कर रहा है। जिन ऑपरेटर्स के पास अभी तक 800 मेगाहट्र्ज और 900 मेगाहट्र्ज बैंड के स्पेक्ट्रम नहीं है, उन्हें शुरू में 700 मेगाहट्र्ज में स्पेक्ट्रम दिया जा सकता है।

700 मेगाहट्र्ज को दूरसंचार सेवाओं के लिए सबसे मूल्यवान माना जाता है, क्योंकि इस बैंड के स्पेक्ट्रम के जिरए अधिकतर आधुनिक प्रौद्योगिकी के जरिए ट्रांसमिट हो सकती है। साथ ही 700 मेगाहट्र्ज वाले ऑपरेटरों के लिए सेवाएं शुरू करने के लिए ढांचागत खर्च भी कम बैठेगा।

प्राइसवाटरहाउस कूपर्स इंडिया के कार्यकारी निदेशक मोहम्मद चौधरी ने कहा कि सरकार ने 2010 में 2100 मेगाहट्र्ज बैंड में 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से 68,000 करोड़ रुपए जुटाए थे।

‘ट्राई का ताजा प्रस्ताव इस तरह का है कि इसमें 3जी स्पेक्ट्रम बैंड से अधिक मूल्यवान बैंड में कम राजस्व जुटने की उम्मीद है।’ बासिल ने कहा कि इस कदम से दूरसंचार उद्योग और उपभोक्ताओं को फायदा हो सकता है, पर वर्तमान सेवा प्रदाताओं के लिए यह नुकसानदायक होगा।

बासिल ने कहा कि वर्तमान 800-900 मेगाहट्र्ज वाले ऑपरेटरं के लिए नेटवर्क की लागत बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव में 800 और 900 मेगाहट्र्ज वाले कई ऑपरेटरों को 700 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम के लिए अतिरिक्त लागत चुकानी पड़ सकती है।

देश में सीडीएमए सेवाएं 800 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम और जीएसएम सेवाएं 900 और 1,800 मेगाहट्र्ज बैंड के स्पेक्ट्रम के जरिए दी जाती हैं। (भाषा)