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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 13 अप्रैल 2010 (19:09 IST)

प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहे बैंक-मुखर्जी

प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहे बैंक-मुखर्जी -
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बैंकों से दूरदराज इलाकों तक बैंकिंग सेवाएँ पहुँचाने का आह्वान करते हुए कहा कि बदलते वैश्विक परिवेश में उन्हें प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहना चाहिए।

मुखर्जी ने कहा कि सरकार आर्थिक वृद्धि को सर्वसमावेशी बनाना चाहती है। आर्थिक वृद्धि को केवल आँकड़ों में ही नहीं दिखनी चाहिए बल्कि इसका लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुँचना चाहिए।

उन्होंने सर्वसमावेशी आर्थिक वृद्धि में बैंकों की भूमिका को अहम बताते हुए कहा कि आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बैंकों को और दक्ष बनाने की जरूरत है।

मुखर्जी ने इस मौके पर दिल्ली के सीआर पार्क में पीएनबी की 5000वीं शाखा का उद्घाटन भी किया तथा पीएनबी द्वारा बैंक द्वारा प्रयोजित छह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को पूरी तरह कंप्यूटरीकृत नेटवर्क से जोड़ने की भी घोषणा की गई।

पीएनबी ने सरकार के सर्वसमावेशी आर्थिक विकास के प्रयासों में सहभागी बनते हुए उत्तरप्रदेश, बिहार, हरियाणा में ग्रामीणों को बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए अपने 30 केंद्रों का भी मुखर्जी के हाथों उद्घाटन करवाया।

मुखर्जी ने कहा कि वर्ष 1969 में 14 वाणिज्यिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया। उसे बाद बैंकों का जनता के साथ रिश्ता बढ़ता चला गया। वित्त मंत्री ने कहा कि पीएनबी द्वारा प्रायोजित पहले क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का उद्घाटन का अक्टूबर 1975 में उन्होंने ही किया था।

मुखर्जी ने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण से पहले जहाँ 1969 तक 65 हजार की आबादी पर एक बैंक शाखा होती थी वहीं वर्ष 2009 में स्थिति काफी बदली है और अब जबकि देश की आबादी 112 करोड़ तक पहुँच चुकी है और प्रत्येक 15 हजार की आबादी पर एक बैंक शाखा है।

उन्होंने कहा कि इस स्थिति में और सुधार होना चाहिए। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि बैंकों की ज्यादातर शाखाएँ महानगरों और शहरों तक ही सीमित हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी पैठ कम है। (भाषा)