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Written By भाषा

आईआईएम के अनुभवी विद्यार्थियों की चाँदी

आईआईएम के अनुभवी विद्यार्थियों की चाँदी -
आर्थिक मंदी के दौर में छँटनी और वेतन कटौती जैसे नुस्खे आजमाने के साथ-साथ नियोक्ता अब देश में प्रबंधन के तजुर्बेदार विद्यार्थियों पर भरपूर नजर-ए-इनायत कर रहे हैं।

इस सिलसिले में ताजा बानगी के तौर पर इंदौर के भारतीय प्रबंधन संस्थान आईआईएम-आई में हुए फाइनल प्लेसमेंट को लिया जा सकता है। इस दौरान नौसिखिए और अनुभवी उम्मीदवारों का अंतर फिर उभरकर सामने आ गया।

आईआईएम-आई की प्लेसमेंट रिपोर्ट 2009 के मुताबिक मंदी के मुश्किल दौर में प्रबंधन संस्थान के ज्यादातर विद्यार्थियों को इस साल पगार की मोटी पेशकश नसीब नहीं हो सकी।

नतीजतन देश के नामचीन बी स्कूल के विद्यार्थियों को की गई सालाना पगार पेशकश का औसत घटकर 10.29 लाख रुपए रह गया। यह पिछले साल के मुकाबले में 21 प्रतिशत कम है, लेकिन आईआईएम-आई के तजुर्बेदार विद्यार्थियों ने जमकर चाँदी काटी। उन्हें मिले सालाना पगार पैकेज के प्रस्ताव में औसतन 166 प्रतिशत का उछाल देखा गया।

फाइनल प्लेसमेंट में आईआईएम-आई के दसवें बैच के 175 विद्यार्थी शामिल हुए। इन्हें नौकरी के मामले में शून्य से 12 साल तक का तजुर्बा हासिल है।

प्लेसमेंट के दौरान प्रबंधन संस्थान के रंगरूट उम्मीदवारों को 9.65 लाख रुपए के औसत सालाना पगार पैकेज की पेशकश की गई।

उधर, जो उम्मीदवार पुराने तजुर्बे के साथ आईआईएम आई की सीढ़ियाँ चढ़े थे, उन्हें नियोक्ताओं ने औसतन 10.67 लाख रुपए की सालाना पगार का प्रस्ताव दिया।

प्लेसमेंट रिपोर्ट में कहा गया कि देश के प्रतिष्ठित बी स्कूल के एक विद्यार्थी को सरकारी संस्थानों में पाँच साल से ज्यादा नौकरी करने का अनुभव हासिल थाउसे उसकी पिछली तनख्वाह के मुकाबले सात गुना ज्यादा पगार की पेशकश के साथ नौकरी का न्योता दिया गया।

आईआईएम-आई में इस बार सालाना पगार पैकेज की सबसे ऊँची पेशकश 63 लाख रुपए की थी, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 41 प्रतिशत ज्यादा है। जाहिर है यह सौगात भी एक अनुभवी विद्यार्थी को मिली।