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Written By WD

चीनी भाषा: करियर की नई मिठास

चीनी भाषा: करियर की नई मिठास -
भूमंडलीकरण के इस युग में एक देश का दूसरे देश से अलग रहना असंभव है क्योंकि अब सभी देशों के मध्य सांस्कृतिक संबंधों के साथ-साथ व्यापारिक संबंध भी स्थापित होने लगे हैं। चीन जो कि विश्व के ,विकसित राष्ट्रों, में से एक है, ने भी अन्य देशों की तरह भारत के विशाल बाजार में अपनी पैठ जमाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं।

ऐसी परिस्थिति में चीनी भाषा का ज्ञान निश्चित ही रोजगार के क्षेत्र में सहायक साबित हो सकता है।

चीन एशिया का महत्वपूर्ण राष्ट्र है। यह भारत में अपने पूँजी निवेश का लगातार प्रयत्न कर रहा है और इस क्षेत्र में उसकी कई कंपनियाँ भारत में अपनी धाक जमाने में सफल हो रही हैं।

इन कंपनियों में मुख्यत: संगीत वाद्य यंत्र और खिलौनों की कंपनियाँ हैं। इन कंपनियों को अपना सामान बाजार में मजबूती से स्थापित करने के लिए अपनी भाषा में दक्ष उद्यमियों की आवश्यकता होती हैं जो उन्हें भारत के विषय में जानकारी उपलब्ध करा सकें।

चीन में अँग्रेजी भाषी लोगों की कमी है। इसके लिए दुभाषियों की आवश्यकता होती है जो उनके वार्तालाप को दूसरी भाषाओं में परिवर्तित कर दूसरे राष्ट्र के प्रतिनिधियों को समझा सकें और उनकी बातों की अपनी कंपनी के प्रतिनिधि को समझ सकें।

अनुवादक के रूप में भी करियर बनाया जा सकता है क्योंकि चीनी सरकार से सम्पर्क बनाए रखने के लिए चीनी भाषा में ही पत्र व्यवहार आवश्यक माना जाता है। चीन के पर्यटक भारत में 'गया' और 'सिक्किम' जाने को अपना सबसे बड़ा तीर्थ समझते हैं।

इन पर्यटकों के कार्यों को असानी से सम्पन्न करने के लिए टूरिस्ट गाइडों की माँग हमेशा बनी रहती है। भारत के साथ-साथ चीन का संबंध राजनैतिक दृष्टिकोण से हमेशा ही तनावग्रस्त रहता है अतः जब भी कोई राजनेता चीन से भारत आता है या यहाँ से चीन जाता है तब मीडिया उनको सुर्खियों में ला देता है।

इस कार्य के लिए भी चीनी भाषा का ज्ञान पत्रकारों के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है। विदेश सेवा में जाने वाले अधिकारी और कर्मचारी वर्ग जो कि चीन में पदस्थापित होने जा रहे हैं उनकी चीनी भाषा का ज्ञान उनके कार्य को आसान बना देता है।

भारत के विभिन्न विश्वविद्यालय चीनी भाषा में विभिन्न विश्वविद्यालय चीनी भाषा में विभिन्न पाठयक्रमों को संचालित करते हैं। इन पाठयक्रमों में सर्टिफिकेट कोर्स, डिप्लोमा, स्नातक एवं स्नातकोत्तर तकके पाठयक्रम सम्मिलित हैं।

सर्टिफिकेट कोर्स में सामान्यतः एक वर्ष के डिप्लोमा में एक से लेकर दो वर्ष का समय लगता है। सर्टिफिकेट, डिप्लोमा एवं स्नातक तक की पढ़ाई के लिए न्यूनतम योग्यता १०+२, ४५ प्रतिशत अंकों के साथ जबकि स्नातकोत्तर के लिए स्नातक, ४५ प्रतिशत अंकों के साथ है।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय चीनी भाषा में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा प्रदान करता है। स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए चीनी भाषा का ज्ञान आवश्यक है। यहाँ प्रवेश अखिल भारतीय स्तर पर हुई प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर मिलता है। आवेदन प्रक्रिया फरवरी- मार्च में शुरू होती है और परीक्षा मई में होती है।

मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक स्तर पर इसको आयोजित किया जाता है। यहाँ आवेदन प्रक्रिया जून/जुलाई में प्रारंभ होती है।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यायल द्वि-वर्षीय डिप्लोमा और द्वि-वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा संचालित करता है जिसमें प्रवेश अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित प्रवेश परीक्षा के द्वारा लिया जा सकता है। प्रवेश प्रक्रिया मई/जून में शुरू होकर जून/जुलाई में समाप्त होती है।

हैदराबाद विश्वविद्यालय द्वारा एक वर्षीय सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठयक्रम कराया जाता है। यहाँ न्यूनतम योग्यता द्वितीय श्रेणी में स्नातक रखी गई है और प्रवेश अखिल भारतीय स्तर द्वारा लिया जा सकता है। आवेदन प्रक्रिया मई-जून में शुरू होती है।

लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा डिप्लोमा पायक्रम में प्रवेश स्नातकों के लिए तथा सार्टिफिकेट पाठयक्रम में प्रवेश १०+२ के लिए रखा गया है। प्रवेश प्रक्रिया अप्रैल-मई से शुरू होकर जून-जुलाई तक चलती है।

इन पाठयक्रमों को पूरा करने के बाद योग्य छात्र चीनी दूतावास से सम्पर्क कर चीनी भाषा में विशिष्ट शिक्षा के लिए चीन सरकार से छात्रावृति प्राप्त कर चीन जा सकते हैं। चीनी दूतावास चीनी भाषा का कोई भी पाठयक्रम नहीं चलाता है। सामान्यतः छात्रवृत्तियां १४ या १५ छात्रों को प्रतिवर्ष दी जाती हैं।