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Written By भाषा
Last Modified: लंदन , सोमवार, 16 मई 2011 (16:04 IST)

मृत्यु के बाद जीवन जैसा कुछ भी नहीं :हॉकिंग

मृत्यु के बाद जीवन जैसा कुछ भी नहीं :हॉकिंग -
स्वर्ग और मृत्यु के बाद जीवन जैसी अवधारणा परियों के किस्से कहानी की तरह है और उन लोगों के लिए है जो मौत से डरते हैं।

‘द गार्डियन’ को दिए गए साक्षात्कार में ‘ए ब्रीफ हिस्टरी ऑफ टाइम’ के लेखक और मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग कहा कि जब मस्तिष्क अपने आखिरी समय में होता है तो उसके बाद ऐसा कुछ नहीं होता।

हॉकिंग 21 साल की उम्र से ही मोटर न्यूरॉन बीमारी का इलाज करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं पिछले 49 सालों से जल्द मरने की संभावना के साथ जी रहा हूं, लेकिन मुझे मरने की कोई जल्दबाजी नहीं हैं। मेरे पास बहुत कुछ है जो मैं पहले करना चाहता हूं।

उन्होंने कहा कि मैं दिमाग को एक कंप्यूटर की तरह समझता हूं जो उसके अलग-अलग हिस्सों के असफल होने की वजह से काम करना बंद कर देता है। कंप्यूटर के खत्म होने के बाद कोई स्वर्ग अथवा मौत के बाद जीवन जैसी बात नहीं होती। जो लोग अंधेरे से डरते हैं यह उनके लिए परियों के किस्से कहानियों जैसा है।

साक्षात्कार के दौरान हॉकिंस ने मृत्यु के बाद के जीवन की अवधारणा को खारिज कर दिया और उन्होंने अपनी क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल करते हुये धरती पर बेहतर जीवन की आवश्यकता पर बल दिया।

हॉकिंग कल ‘हम यहां क्यों हैं’ विषय पर लंदन में व्याख्यान देंगे। (भाषा)