Last Modified: कोलकाता ,
मंगलवार, 19 जुलाई 2011 (08:54 IST)
सेहत के लिए घातक हैं एनर्जी ड्रिंक्स
दिमाग की सजगता और शारीरिक ताकत बढ़ाने के लिए बाजार में बिक रहे एनर्जी ड्रिंक्स भी सुरक्षित नहीं हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इनमें कैफीन का अत्यंत ही खतरनाक स्तर पाया गया, जो स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डाल सकता है।
नई दिल्ली स्थित एनजीओ सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरनमेंट (सीएसई) के अध्ययन के अनुसार प्रयोगशाला में परीक्षण किए गए नमूनों में से 44 प्रतिशत में कैफीन की मात्रा मान्य स्तर से ज्यादा मिली। खाद्य मिलावट निरोधक कानून, 1954 के अनुसार कार्बोनेटेड बीवरेज में कैफीन की सुरक्षित मात्रा 145 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) है। इस तरह से जाँच सीएसई ने एनर्जी ड्रिंक्स के आठ बड़े ब्रांड्स के दो-दो अर्थात कुल 16 नमूने लिए।
इन्हें पूरे देश में बाजार से खरीदा गया था। नमूनों में से 38 प्रश में लेबल पर अंकित सीमा से अधिक कैफीन मिला, जबकि 25 प्रश में लेबल पर कैफीन की मात्रा का कोई उल्लेख नहीं था।
नियंत्रण नहीं है : वर्तमान में एनर्जी ड्रिंक्स में कैफीन की मात्रा को लेकर कोई नियंत्रण नहीं है। देश में खाद्य सुरक्षा नियामक संस्था फूड सैफ्टी एंड स्टैंडडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया एनर्जी ड्रिंक्स में 320 पीपीएम की माँग कर रहा है।
सीएसई के उप महानिदेशक चंद्रभूषण का सवाल है कि सरकार ने कॉर्बोनेटेड बीवरेज के लिए 145 पीपीएम का नियम बना रखा है, लेकिन एनर्जी ड्रिंक्स में इसे 320 पीपीएम रखने की अनुमति कैसे दी जा सकती है?
मौत का द्वार : कैफीन की अधिक मात्रा लेने से हाइपोकैलेमिया (शरीर में पोटेशियम का स्तर घटना), विभ्रम, दिमाग में मवाद जमना, बार-बार बेहोश होना, दौरे पड़ना, हृदयाघात, पक्षाघात, रक्त में कोशिकाओं के रेशे बनना और यहाँ तक कि मौत भी हो सकती है।
कैसे पहुंचता है नुकसान : भारत में अधिकांश एनर्जी ड्रिंक्स में अल्कोहल इस धारणा के साथ मिलाया जाता है कि यह उनींदेपन से बचाव करता है और इसके दुष्प्रभाव भी नहीं है। लेकिन सीएसई के खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के सहायक समन्वयक सैवी सौम्या मिश्रा का कहना है कि एनर्जी ड्रिंक्स से शारीरिक चेतना विकृत होती है व इससे अल्कोहल पर निर्भरता बढ़ती जाती है। (भाषा)