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Written By WD

ग्वादर पोर्ट : पाक-चीन की सबसे खतरनाक चाल, समुद्र में बिछाया जाल

ग्वादर बंदरगाह
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इस्लामाबाद। भारत पर सामरिक दबाव बनाने और चीन की कुटिल चालों में भारत को घेरने के लिए पाकिस्तान ने एक खतरनाक चाल चली है। भारत से कई बार मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान अब समझ चुका है कि भारत पर 'नकेल कसने के लिए' उसे चीन के आगे घुटने टेकने होंगे।

इसी लिए पाकिस्तान ने सामरिक महत्व वाला ग्वादर बंदरगाह चीन की एक कंपनी को सौंप दिया है। इस आशय के एक समझौते पर पाकिस्तान और चीन ने सोमवार को हस्ताक्षर किए। इस समझौते पर भारत ने कड़ी चिंता जताई गई है। जिसे पाकिस्तान ने अपना अंदरूनी और व्यापारिक मसला बताते हुए खारिज किया है।

इस समझौते के अनुसार यह बंदरगाह पाकिस्तान की ही संपत्ति रहेगा। लेकिन चीन की कंपनी इस बंदरगाह से होने वाले कामकाज के लाभ की हिस्सेदार रहेगी। खबरों के मुताबिक चाइना ओवरसीज पोर्ट होल्डिंग्स लि. ने बलूचिस्तान प्रांत में स्थित ग्वादर बंदरगाह का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। क्यों खतरा है भारत के लिए ग्वादर पोर्ट, अगले पन्ने पर...

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गहरे समुद्र में स्थित और भारतीय सीमा से नजदीक होने के कारण बंदरगाह चीन की कंपनी को सौंपे जाने का समझौता भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। भारत सीमा से केवल 460 किमी दूर स्थित इस पोर्ट से भारत पर निगरानी रखी जाना बेहद आसान है। चीन यहां अपनी नौसेना तैनात कर सकता है। चीन पहले ही भारत के दक्षिणी पड़ोसी श्रीलंका के हंबनटोटा और पूर्वी पड़ोसी बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाहों पर भी आर्थिक मदद देकर अपना प्रभाव स्थापित कर चुका है।

दरअसल चीन भारत को समुद्र में तीनों तरफ से घेरने की रणनीति बना रहा है। तीन तरफ से भारत को घेरने की तैयारी कर चौथी तरफ खुद चीन ही स्थित है। ग्वादर ईरान से लगा हुआ है जो कि भारत को कच्चे तेल का निर्यात करने वाला प्रमुख देश है। ग्वादर पर नियंत्रण बनाते ही चीन ईरान से भारत आने वाले कच्चे तेल की आपूर्ति में जब चाहे अड़ंगे डाल सकता है। भारत की गर्दन होगी चीन के हाथ, जाने कैसे, अगले पन्ने पर...

ग्वादर बंदरगाह से चीन का शिंजियांग से मध्यपूर्व तक व्यापार कॉरिडोर पर पूरा नियंत्रण हो जाएगा। गौरतलब है कि चीन का 60 फीसदी कच्चा तेल खाड़ी देशों से आता है। ग्वादर पोर्ट पर चीनी नियंत्रण से अब तेल का आवागमन बेहद आसान हो जाएगा। यही नहीं पोर्ट की रक्षा और पोतों की सुरक्षा के लिए चीनी नौसेना अब इसे इस्तेमाल करेगी। युद्ध की स्थिति में ग्वादर पोर्ट भारत के भारी मुसीबत खड़ी कर सकता है। उल्लेखनीय है कि 1971 के युद्ध में कराची बन्दरगाह को भारतीय नौसेना के भारी नुकसान पहुंचाया था जिसके बाद पाकिस्तानी सेना की कमर टूट गई थी।

जहां पाकिस्तान को इस बंदरगाह से आर्थिक फायदा होगा। चीन ने इस बंदरगाह बनाने के लिए 75 फीसदी यानी 25 करोड़ डॉलर लगाए हैं। वहीं एशिया का सुपर पॉवर बनने का इच्छुक चीन ग्वादर में अपनी नौसेना की मौजूदगी से भारत पर रणनीतिक दबाव बनाने में सफल होगा।