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बात जब समय की पाबंदी और काम के प्रति निष्ठा की आती हो तो तो लवली सिंह का कोई मुकाबला नहीं है। उसे अपने काम पर गर्व है और हमेशा 100 प्रतिशत देता है। लवली सिंह को बहुत बड़े उद्योगपति सरताज राणा की बेटी दिव्या की रक्षा का जिम्मा सौंपा जाता है।
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दिव्या की परछाई की तरह लवली सिंह उसके साथ हो जाता है। उसके ओवर प्रोटेक्टिव स्वभाव के कारण दिव्या परेशान हो जाती है। कॉलेज में अपनी आजादी भरी जिंदगी जीने में वह लवली सिंह को रोड़ा मानती है क्योंकि लवली उसे कभी अकेला नहीं छोड़ता।
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लवली को रास्ते से हटाने के लिए दिव्या एक मास्टर प्लान बनाती है। नकली प्यार का जाल बुना जाता है ताकि लवली रोमांस में व्यस्त हो जाए और दिव्या जो चाहे वो कर सके। लवली सिंह बहुत टफ है और उसे रिझाना आसान नहीं, लेकिन दिव्या कामयाब हो ही जाती है।
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इसके बाद लवली सिंह एकदम बदल जाता है, लेकिन परिस्थितियां भी विपरीत हो जाती हैं। दिव्या को लवली के बारे में ऐसी बातें पता चलती हैं जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। वह असमंजस में फंस जाती है और निर्णय नहीं ले पाती है। उसके साथ लवली सिंह भी अपने आपको छल, कपट और झूठ से बुने हुए जाल में पाता है। बॉडीगार्ड मासूमियत, छल, प्यार, ताकत, जिंदगी और मौत की कहानी है।
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निर्देशक के बारे में : मलयालम और तमिल सिनेमा में सिद्दीकी एक बड़ा नाम है। कई हिट फिल्मों से वे बतौर कथाकार, पटकथा लेखक और निर्देशक के रूप में जुड़े हैं। हिंदी फिल्में हेराफेरी, हलचल, भागमभाग और ढोल उनकी लिखी कहानियों पर ही आधारित है। करियर के शुरुआत में उन्होंने लाल नामक व्यक्ति के साथ मिलकर फिल्में निर्देशित की थीं, लेकिन बाद में वे अलग हो गए। बॉडीगार्ड उन्होंने सबसे पहले मलयालम में बनाई, फिर तमिल में। अब उन्होंने इसे हिंदी और तेलुगु में बनाया है। सिद्दीकी का कहना है कि सलमान खान के चेहरे की मासूमियत ने उन्हें हिंदी में बॉडीगार्ड बनाने के लिए प्रेरित किया।