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Last Updated :लखनऊ , रविवार, 7 सितम्बर 2014 (16:32 IST)

पिछले जन्म में कट्टर मुस्लिम थे मोदी!

Narendra Modi
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले जन्म में कट्टर मुस्लिम थे। उनका नाम था सर सैयद अहमद खान। जी हां, वही सर सैयद अहमद जिन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी। 
 
पिछले जन्म के सर सैयद अहमद और इस जन्म के नरेन्द्र मोदी की शक्ल-सूरत, दाढ़ी और आंखें ही एक जैसी नहीं हैं बल्कि उनके जीवन की घटनाएं भी चौंकाने वाली हद तक एक जैसी हैं। यह दावा किसी सिरफिरे ने नहीं किया है बल्कि अमेरिका में सैनफ्रांसिस्को स्थित इंस्टीट्यूट फॉर दी इंटीग्रेशन ऑफ साइंस, इंस्टीट्यूशन एंड रिसर्च (आईआईएसआईएस) ने किया है।
 
इस संस्था ने पूरी दुनिया में अब तक करीब 20 हजार स्त्री पुरुषों, बच्चों और यहां तक कि पशुओं के पुनर्जन्म पर भी अनेक अमेरिकी विश्वविद्यालयों की मदद से शोध अध्ययन किए हैं और अनेक पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं। 
 
मोदी इस जन्म में अभूतपूर्व ढंग से पूरे भारत को अपने पक्ष में करने में कामयाब हुए और अगर पूर्व जन्म शोधवेत्ताओं का दावा सही माना जाए तो मुसलमानों में एकता की अलख जगाकर और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना करके उन्होंने पिछले जन्म में भी कुछ ऐसा ही काम किया था।
 
पूनर्जन्म के मामलों पर शोध के दौरान एक धर्म से दूसरे धर्म में, एक देश से दूसरे देश में और स्त्री से पुरुष या पुरुष से स्त्री बनने के हजारों मामले इन विषयों पर शोध करने वालों ने पाए हैं और सबसे ज्यादा हैरत की बात यह पाई कि कोई व्यक्ति पिछले जन्म में जिस स्तर की प्रसिद्धि हासिल किए था उसी स्तर की कामयाबी पा लेता था।
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आईआईएसआईएस ने एक शोध में पिछले जन्म में नरेन्द्र मोदी क्या थे? इस पर काम करने के लिए विश्वविख्यात पुनर्जन्म वैज्ञानिक केविन रियर्सन की सेवाएं लीं। केविन ने मिस्र के अहतुन रे नामक माध्यम की सहायता से मालूम किया कि पिछले जन्म में नरेन्द्र मोदी ने सर सैयद अहमद खान के रूप में दुनियाभर के मुसलमानों की एकता, शैक्षिक प्रगति और अधिकारों के लिए काफी काम किया। वे तब भी दाढ़ी रखते थे और उनका स्वरूप आज जैसा ही हुआ करता था। 
 
उल्लेखनीय है कि सर सैयद अहमद खान ने ही यह अभियान चलाया था कि मुसलमानों को आधुनिक तालीम दी जानी चाहिए और लड़कियों को भी पढ़ाना चाहिए। उन्होंने ही बाद में यह विचार दिया कि मुसलमानों का भला एक पृथक राष्ट्र के गठन के बाद ही मुमकिन है। यही विचार अंतत: पाकिस्तान के गठन का कारण बना।
 
आईआईएसआईएस अनेक नामचीन शोध वैज्ञानिकों और परामनोविश्लेषकों की मदद से विज्ञान, पूर्वाभास और पुनर्जन्म समेत अनेक विषयों पर पिछले 30 साल से काम कर रही है और पूरी दुनिया में इसके लाखों समर्थक हैं।
 
यह जानकर हैरत नहीं होनी चाहिए कि हर देश, धर्म और काल खंड में मृत्यु के बाद की दुनिया, पूर्व जन्म और पुनर्जन्म को मानने वाले करोड़ों लोग मौजूद हैं। आईआईएसआईएस की अपनी वेबसाइट पर पुनर्जन्म, पूर्वाभास और इससे जुड़े अनेक रोचक रहस्यों पर सप्रमाण बेशुमार जानकारी उपलब्ध है। दुनियाभर के इन विषयों के जानकार लेखक और विशेषज्ञ इससे जुड़े हैं।
 
सैकड़ों अन्य कामयाब लोगों के बारे में किए गए शोध अध्ययनों में ऐसा ही धर्मांतरण पाया गया है। सिर्फ एक बात सामान्य रही है कि कुदरत ने किसी को कुछ भी बनाकर इस दुनिया में वापस भेजा, मगर उसकी पिछले जन्म की काबिलियत नहीं छीनी।
 
पुनर्जन्म पर शोध के बाद अमेरिकी मनोवैज्ञानिक और वर्जीनिया विश्वविद्यालय के विख्यात प्रोफेसर डॉ. इयान स्टीवेंसन ने लगभग 3,000 पुनर्जन्मों की पुष्टि की।
 
उनके इन अध्ययनों पर भी पुस्तकें छपीं। पुनर्जन्म के बारे में स्थापित और विश्वस्तर पर मान्य सिद्धांतों के मुताबिक पुनर्जन्म लेने वालों में पूर्व जन्म की यादें, पूर्व जन्म की आदतें और दिलचस्पियां, शरीर पर पूर्व जन्म जैसे निशान, खानपान की रुचियां और सबसे बढ़कर पूर्व जन्म जैसा ही चेहरा- मोहरा हुआ करता है।
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आईआईएसआईएस के डॉ. वाल्टर सेमकिव ने भी दुनियाभर के मशहूर लोगों के पूर्व जन्म पर काम किया है। उनके मुताबिक भारतीय फिल्मों के महानायक अमिताभ बच्चन पूर्व जन्म में भी बेहद कामयाब अभिनेता ही थे। तब वे शेक्सपियर नाटकों के अभिनेता एडविन बूथ थे। उनके उस जन्म में भी नाक-नक्श और आंखें पिछले जन्म में भी वर्तमान अमिताभ बच्चन जैसे ही थे। उनका एकमात्र उपलब्ध फोटो युवा अमिताभ जैसा ही लगता है।
 
डॉ. वाल्टर सेमकिव की पुस्तक में हिन्दुस्तान की अनेक हस्तियों के पूर्व जन्म पर शोध नतीजे दिए गए हैं। उनके मुताबिक भारत के राष्ट्रपति रहे मिसाइलमैन डॉ. अब्दुल कलाम पूर्व जन्म में भारत के मशहूर सेनानी टीपू सुल्तान थे। उस रूप में भी वे अपने मौजूदा स्वरूप की खासियत अपनी खास हेयर स्टाइल जैसी पगड़ी ही पहना करते थे। पूर्व जन्म में भी टीपू एक तरह से मिसाइलमैन ही थे। युद्धों में पहली बार टीपू ने ही रॉकेटों का इस्तेमाल किया था।
 
पूरे संसार में हर देश और धर्मों को मानने वालों में पूर्व जन्म और पुनर्जन्म के मामले पाए जाते हैं। तिब्बतियों में तो दलाई लामा की तलाश ही इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर की जाती रही है।
 
आईआईएसआईएस के संस्थापक तथा पेशे से एक चिकित्सक डॉ. वाल्टर सेमकिव एमडी शिक्षा प्राप्त हैं और दुनिया के सबसे विख्यात पुनर्जन्म विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. इयान स्टीवेंसन के शिष्य हैं।
 
डॉ. वाल्टर सेमकिव ने लगभग 4,000 लोगों से संबंधित पुनर्जन्म के आंकड़ों का अध्ययन किया है और इस विषय पर अनेक किताबें लिखीं। उनकी पुस्तक 'बोर्न अगेन' की अब तक 40 लाख प्रतियां अनेक भाषाओं में बिक चुकी हैं।
 
आईआईएसआईएस के अनेक शोध वैज्ञानिक यह मानते हैं कि पिछले जन्म के मुसलमानों की भलाई के लिए जद्दोजहद करनेवाले सर सैयद अहमद खान भले ही नरेन्द्र मोदी के रूप में जन्म लें या देश के लिए सर्वस्व बलिदान करने वाले टीपू सुल्तान डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के रूप में, मगर कुदरत द्वारा उनके जीवन दर्शन और लक्ष्य पूर्व निर्धारित ही हैं।
 
पूर्व जन्म में प्रसिद्ध मुगल बादशाह थे जवाहर लाल नेहरू... अगले पन्ने पर...

पूर्व जन्म पुनर्जन्म पर काम करने वाले वैज्ञानिकों की धारणा है कि धर्म और देश इंसानों के बनाए हैं और कुदरत इनको कतई नहीं मानती। इन्हीं शोध अध्ययनों के मुताबिक मशहूर पिछले जन्म में टीपू सुलतान के पिता सुलतान हैदर अली की मिलिट्री साज-सामान और रॉकेटों में बहुत दिलचस्पी थी। उनके नाक-नक्श, शैली और जीवन रुचियां भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई से काफी मिलती थीं।
 
डॉ. साराभाई ने ही आरंभ में पिछले जन्म के टीपू और इस जन्म में एक रक्षा वैज्ञानिक के रूप में जन्मे डॉ. कलाम की काबिलियत को खूब बढ़ावा दिया।
 
पुनर्जन्म शोध अध्ययनों में परा मनोवैज्ञानिकों ने पाया है कि अतिशय प्रतिभावान और कामयाब लोगों की पूर्व जन्म की क्षमताओं, कामयाबियों और जीवनस्तर में पुनर्जन्म में कमी नहीं आती।
 
पुनर्जन्म पर काम करने वाले वैज्ञानिक इसे भाग के कार्मिक सिद्धांत के जरिए समझाते हैं जिसके अनुसार पूर्व जन्म के कर्मों (प्रारब्ध) को वर्तमान कर्मों के गुणांक के रूप में हासिल किया जाता है। इसके अनुसार किसी भी जन्म में किया गया कर्म कभी भी नष्ट नहीं होता।
 
आईआईएसआईएस अध्ययनों के मुताबिक पिछले जन्म में लाल किले से अंग्रेजों द्वारा बंदी बनाकर निर्वासित किए गए बहादुर शाह जफर ने ही भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू के रूप में उसी लाल किले पर तिरंगा फहराने की ख्वाहिश पूरी की, जहां से पिछले जन्म में उनको अपमानित करके निकाला गया था। जवाहरलाल नेहरू और बहादुर शाह जफर दोनों की ही शक्ल- सूरत बहुत मिलती थी।
 
आईआईएसआईएस ने अनेक विश्वस्तरीय राजनेताओं, उद्योगपतियों और फिल्म, साहित्य संगीत तथा खेल की दुनिया की हस्तियों के बारे में इसी प्रकार की दिलचस्प पूर्व जन्म संबंधी खोजें की हैं। कहीं भी यह नहीं पाया गया कि कोई भी विख्यात व्यक्ति इस जन्म में अपनी पिछले जन्म की भूमिकाओं से कोई अलग सोच रखता था।
 
नरेन्द्र मोदी यदि वाकई ही पिछले जन्म में सर सैयद अहमद खान थे तो क्या इस जन्म में मुसलमानों की तालीम और खुशहाली को बढ़ावा देने की कोई नई कोशिश करेंगें? यह तो वक्त ही बताएगा। (वार्ता)