बीज दर से सौ गुना उपज वाली फसल
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मणिशंकर उपाध्याय राई-सरसों मालवांचल के मंदसौर क्षेत्र और उत्तरी मध्यप्रदेश के मुरैना-भिंड क्षेत्र की प्रमुख रबी तिलहन फसल है। इसके तेल का उपयोग दैनिक रूप से सब्जी बनाने, तलने के अलावा मालिश करने, अचार में डालने आदि के लिए किया जाता है। तेल निकालने के बाद इसकी खली एक पौष्टिक पशु आहार है। इसे खिलाने से पशुओं खासकर भैंस के दूध में वसा (फैट) की मात्रा में वृद्धि होती है।यही कारण है कि घी का उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुओं के आहार में सरसों की खली का विशेष महत्व है। राई-सरसों एक विशाल वानस्पतिक कुल क्रूसीफेरी के सदस्य हैं। इस कुल में मूली, गोभी, पत्ताभोगी, गाँठ गोभी, गाजर आदि अन्य जाने-पहचाने सदस्य हैं। राई-सरसों के भी सबसे निकट संबंधी बनारसी राई, तोरिया, गोभी सरसों, पीली सरसों, तारामीरा, सफेद राई, कत्थई सरसों आदि हैं।आपको यह करना है - सरसों के लिए दुमट, कछारी, चिकनी दुमट मिट्टी आदि उपयुक्त होती है। खेत की तैयारी पिछली फसल के अनुसार की जाती है। मिट्टी को बारीक पोत का बनाना आवश्यक है। मिट्टी के कण सरसों राई के दानों के लगभग बराबर हो जाना चाहिए। फसल बोने के बाद फसल के व मिट्टी के कणों के बीच वायुरहित संपर्क होना आवश्यक है।अगर इनके बीच वायु आ जाती है तो बीज नमी नहीं सोख पाते और खराब होकर सड़ सकते हैं। मिट्टी में उपयुक्त नमी का होना भी जरूी है। बिना नमी के बीच सुसुप्तावस्था में पड़ा रहेगा। नमी के साथ ही मिट्टी में पर्याप्त पोषक तत्व और वे भी पौधों के लिए आसानी से उपलब्ध रूप में होना जरूरी है।ध्यान रखें - बीज को बोने के लिए खेत को सिंचाई की जाने की दिशा में जुताई के समय ही नालियों में हल्का ढाल दे दिया जाता है, जिससे सिंचाई जल उपयुक्त गति से बिना मिट्टी को काटे, बीज तक पहुँचकर उसे अंकुरित कर सके। एक हैक्टेयर में बोने के लिए 4.5 से 5 किग्रा बीज पर्याप्त होता है।इसे भूमिगत कीड़ों से बचाने के लिए 4 प्रश इंडोसल्फान अथवा 1.5 प्रश क्विनालफॉस के 25 किग्रा चूर्ण प्रति हैक्टेयर जमीन में मिला दें। रोगों से बचाव के लिए जैविक फफँूदनाशक ट्राइकोडर्मा विरिडी (प्रोटेक्ट बायोहिट) से 5 ग्राम प्रति एक किलोग्राम बीज को उपचारित कर बोएँ।कितना नत्रजन दें - पौध पोषण के लिए सिंचित फसल में 120 किग्रा नत्रजन, 60 किग्रा स्फुर, 40 किग्रा पोटाश, 30 किग्रा गंधक प्रति हैक्टेयर दें। नत्रजन की आधी व अन्य तत्वों की पूरी मात्रा बुवाई के समय बीज की कतारों के नीचे बोएँ। नत्रजन की शेष आधी मात्रा बोने के 25-30 दिन बाद खड़ी फसल की कतारों के बीच यूरिया के रूप में नमी में डालकर गुड़ाई करें। सिंचाई या बिना सिंचाई की फसल में पोषक तत्वों की मात्रा इस (सिंचित) से आधी करके सभी खाद बोते समय ही दें।पोषक तत्वों की एक तिहाई से आधी मात्रा जैविक खाद, गोबर की खाद या कपोस्ट के रूप में देने के अच्छे परिणाम मिले हैं। बीज की बोवनी सिंचित फसल में कतारों में 45 सेमी व बिना सिंचाई की फसल में 30 सेमी दूरी पर करें। पौधे जम जाने पर पौधे से पौधे के बीच 15-20 सेमी की दूरी करें। बीच के पौधे निकालकर सरसों की हरी भाजी के रूप में बाजार में बेच दें। सिंचाई मिट्टी व मौसम के अनुसार तीन से चार (20-30 दिन के अंतर से) लगती है।उन्नत किस्में - सरसों-राई की प्रमुख उन्नत किस्में ही बोएँ, जो इस प्रकार हैं- टी-9 भवानी, टीएल-15, पूसा बोल्ड, वरुणा, क्रांति, रोहिणी, आरएस 8113। इसकी उपज 5-7 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। सीमित सिंचाई में व 10 से 13 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पर्याप्त सिंचाई से मिल जाती है।