प्रस्तुति : लावण्या दीपक शाह
संतान के जन्म की माता-पिता के साथ समूचे परिवार को प्रतीक्षा रहती है। लेकिन आज की जीवनशैली में संतान का जन्म इतना आसान नहीं रहा और कई तरह की जटिलताओं के चलते शिशु गर्भ में सुरक्षित नहीं रह पाता है। पुराणों में गर्भ धारण करने के साथ ही स्त्रियों के लिए श्री गर्भ रक्षाम्बिका स्तोत्रं का वाचन उत्तम बताया गया है। प्रस्तुत है श्री गर्भ रक्षाम्बिका स्तोत्रं जो अजन्मी संतान की रक्षा करता है-
श्री माधवी काननस्ये गर्भ
रक्षांबिके पाही भक्ताम् स्थुवन्तम्। (हर श्लोक के बाद)
वापी तटे वाम भागे, वाम देवस्य देवी स्थिता त्वां,
मानया वारेन्या वादानया, पाही,
गर्भस्या जन्थुन तथा भक्ता लोकान ॥ १ ॥
श्री गर्भ रक्षा पुरे या दिव्या,
सौंन्दर्या युक्ता ,सुमंगलया गात्री,
धात्री, जनीत्री जनानाम, दिव्या,
रुपाम ध्यारर्दाम मनोगनाम भजे तं ॥ २ ॥
आषाढ मासे सुपुन्ये, शुक्र,
वारे सुगंन्धेना गंन्धेना लिप्ता,
दिव्याम्बरा कल्प वेशा वाजा,
पेयाधी याग्यस्या भक्तस्या सुद्रष्टा ॥ ३ ॥
कल्याण धात्रीं नमस्ये, वेदी,
कंगन च स्त्रीया गर्भ रक्षा करीं त्वां,
बालै सदा सेवीथाअन्ग्रि, गर्भ
रक्षार्थ, माराधुपे थैयुपेथाम ॥४ ॥
ब्रम्होत्सव विप्र विद्ययाम वाद्य
घोषेण तुष्टाम रथेना सन्निविष्टाम्
सर्व अर्थ धात्रीं भजेअहम, देव
व्रुन्दैरा पीडायाम जगन मातरम त्वां ॥ ५ ॥
येतथ कृतम स्तोत्र रत्नम, दीक्षीथ
अनन्त रामेन देव्या तुष्टाच्यै
नित्यम् पाठयस्तु भक्तया,पुत्र-पौत्रादि भाग्यं
भवे तस्या नित्यं ॥ ६ ॥
इति श्री ब्रह्म श्री अनंत रामा दीक्षिता विरचितम् गर्भ रक्षाअम्बिका स्तोत्रं संपूर्णम्॥