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Written By WD Feature Desk

षटतिला एकादशी व्रत करने का क्या है फायदा? जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

षटतिला एकादशी व्रत करने का क्या है फायदा? जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व - What is the benefit of observing Shattila Ekadashi
Shattila Ekadashi Vrat : षटतिला एकादशी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत का विशेष महत्व है और इसे करने से कई लाभ या फायदे प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व, लाभ और विधि के बारे में...ALSO READ: Shattila Ekadashi: 2025 में कब है षटतिला एकादशी, क्यों मनाई जाती है?
 
षटतिला एकादशी व्रत-पूजा का शुभ मुहूर्त : 
 
वर्ष 2025 में हिन्दू कैलेंडर के अनुसार षटतिला एकादशी 25 जनवरी, शनिवार के दिन मनाई जा रही है। 
 
षटतिला एकादशी पारण (व्रत तोड़ने का) समय- 26 जनवरी को सुबह 07 बजकर 12 मिनट से 09 बजकर 21 मिनट तक।
पारण तिथि के दिन द्वादशी का समापन समय- रात 08 बजकर 54 मिनट पर।
 
षटतिला एकादशी शनिवार, जनवरी 25, 2025 को
षटतिला एकादशी तिथि का प्रारम्भ- जनवरी 24, 2025 को शाम 07 बजकर 25 मिनट से, 
एकादशी तिथि की समाप्ति- जनवरी 25, 2025 को रात्रि 08 बजकर 31 मिनट पर। 
 
षटतिला एकादशी का महत्व : धार्मिक मान्यता के अनुसार षटतिला एकादशी में तिल का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन तिल का दान करने से पितरों को शांति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत का पारण अगले दिन यानि द्वादशी तिथि को किया जाता है, जो कि पंचांग में दिए गए पारण के समय पर षटतिला एकादशी का पारण करना उचित होता है। और पारण के वक्त फल, दूध और अन्य शुद्ध भोजन ग्रहण किया जाता है। षटतिला एकादशी का व्रत धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण होने के कारण यह व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए बल्कि पाप मोचन और पितृ दोष निवारण के लिए भी किया जाता है।ALSO READ: Kumbh mela 2025: मौनी अमावस्या कब है, क्या है इस दिन कुंभ स्नान का महत्व?
 
षटतिला एकादशी व्रत की पूजा विधि : 
 
षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पूजा विधि इस प्रकार है...
 
1. षटतिला एकादशी व्रत के दिन प्रातः उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. पूजा स्थल की सफाई करें यानि पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से छिड़कें।
3. भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को एक चौकी पर स्थापित करें।
4. पूजन सामग्री धूप, दीप, नैवेद्य, पीले पुष्प, फल आदि सामग्री से भगवान की पूजा करें।
5. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
6. षटतिला एकादशी की व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
7. इस दिन तिल का दान करना विशेष महत्व रखता है। अत: अपने सामर्थ्य के अनुसार तिल का दान अवश्य ही करें।
7. अगले दिन यानि द्वादशी तिथि पर पारण के समय पर व्रत पूर्ण करके ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें और स्वयं व्रत को खोलें।
 
षटतिला एकादशी व्रत के फायदे: यदि इस व्रत के फायदे के बारे में जानें तो आपको बता दें कि षटतिला एकादशी को पाप मोचन कहा जाता है। यह एकादशी व्रत पापों का नाश करने और मोक्ष प्राप्त करने का माध्यम माना जाता है। षटतिला एकादशी से पितृ दोष निवारण किया जा सकता है अर्थात् इस दिन पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है। तथा आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह व्रत करने से व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से प्रगति करता है। इसके अलावा षटतिला एकादशी व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।ALSO READ: Kumbh mela 2025: कुंभ मेले में अब तक हुए संघर्ष और हादसों का इतिहास
 
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