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2009 : कला की दुनिया पर खास निगाह

रविवार,जनवरी 3, 2010
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गृहमंत्री पी.चिदंबरम के पदभार सँभालने के बाद से आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था जरूर पुख्ता हुई है लेकिन विदेशमंत्री एस.एम.कृष्णा की तुलना पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल से करना ही बेहतर होगा। आंतरिक और बाह्य चुनौतियों से जूझता हमारा देश किस तरह इनका ...
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नए वर्ष से समाज के हर तबके को कोई न कोई उम्मीद होती है। अब जबकि वर्ष 2010 की गेंद हमारी पृथ्वी पर लुढ़कना शुरू हो गई है, देश के साहित्यकारों ने भी सोचना शुरू कर दिया है कि इसकी झोली में समाज के किस तबके के लिए क्या है और क्या नहीं है? राजनीति-समाज ...
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यूँ तो साल 2009 स्वाइन फ्लू नामक भयावह बीमारी की चपेट में रहा लेकिन उसकी छाँव तले वो सारी उपलब्धियाँ भूला दी गईं जो बीते साल हमारे वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के शोध के परिणामस्वरूप मिलीं। बीते वर्ष देश-विदेश के आविष्कारक गंभीर बीमारियों के सरल उपचार ...
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वर्ष 2009 में लेखनी के कई जादूगर हमसे जुदा हो गए। विश्व स्तर पर दिवंगत साहित्यकारों में कई ऐसे थे जिनके लेखन के प्रति पाठकों में असीम दिवानगी देखी गई। जनवरी 2009 में ऑस्ट्रेलिया के मशहूर लेखक जॉनसन मेरियो सिमेल(84) और अमेरिका के 76 वर्षीय जॉन ...
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क्रिकेट जगत के लिए साल 2009 कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा। ट्वेंटी-20 विश्वकप, एशेज सिरीज, आईपीएल, चैंपियंस लीग, चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट इसी साल एक के बाद एक आयोजित हुए। जब इतने बड़े टूर्नामेंट एक ही साल आयोजित हों तो क्रिकेट प्रेमियों ...
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वर्ष 2009 म्युचुअल फंड के लिए बुरे सपने की तरह रहा। आर्थिक मंदी से बेहाल भारत में निवेशक सालभर चैन की साँस लेने के लिए तरसते रहे। 21 हजारी सेंसेक्स आठ हजार पर आ गया तो सोना भी आम आदमी की पहुँच से दूर हो गया। विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मनमोहनसिंह और ...
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राष्ट्रीय घटनाक्रम - 2009

गुरुवार,दिसंबर 24, 2009
बीत रहे वर्ष 2009 के दौरान भारत ने बहुत सारी घटनाओं को अपने आँचल में समेटा है। अच्छी बुरी दोनों तरह की घटनाओं के साथ इस अवधि में ऐसी घटनाएँ भी हुई हैं जिनका ऐतिहासिक महत्व है तो ऐसी भी जिनका असर तात्कालिक रहा। फिर भी इतिहास में उन्हीं घटनाओं को ...
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'कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के साथ' नारे के उलट लोग भले ही सालभर महँगाई की मार से सिसकियाँ लेते रहे हों, लेकिन केन्द्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस की झोली में साल 2009 कई खुशियाँ डाल गया। वर्ष के पूर्वार्द्ध में जहाँ कांग्रेस एक बार फिर केन्द्र में ...
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वर्ष 2009 जहाँ देश के लिए राजनीतिक व आर्थिक दृष्टिकोण से उथल-पुथल भरा वर्ष रहा, वहीं यह वर्ष भारतीय महिलाओं के लिए शुभ का सूचक रहा। इस वर्ष भारतीय महिलाओं ने अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर कामयाबी के मुक्ताकाश में अपने सपनों की ऊँची ...
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2009 में धर्म का नए तरीके से दोहन किया गया एक और जहाँ उसे बाजारवाद के चलते बेचा गया वहीं उसके माध्यम से आतंक और धर्मांतरण के नए-नए रूप विकसित किए गए। राजनीतिज्ञ, कट्टरपंथी और तथाकथित धार्मिक लोग अच्छे शब्दों में गंदा खेल खेलते रहे। राजनीति और आतंक ...
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भारत में कहावत प्रचलित है कि पहला धन निरोगी काया। सेहत को लेकर अधिकांश कहावतें और सीख भारत में ही मिलती है। विडंबना यह है कि सेहत को लेकर जिस व्यापक जागरूकता की आवश्यकता है भारत में उसी का नितांत अभाव है। बीते वर्ष वैश्विक स्तर पर एक ऐसी महामारी ने ...
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महँगाई : मुसीबत के 12 महीने

रविवार,दिसंबर 20, 2009
वक्त की रेत पर 21वीं सदी का नौवाँ साल भी फिसलने को है। अपने उदय से लेकर अस्ताचलगामी होने तक 2009 ने घटनाओं के कैनवास पर अच्छी-बुरी कई तस्वीरें उकेरीं। आईएनएस अरिहंत के जलावतरण और अग्नि मिसाइलों के सफल प्रक्षेपण ने दुनिया को भारत की सामरिक शक्ति का ...
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श्रीलंका में लिट्‍टे प्रमुख वी प्रभाकरण की मौत के बाद श्रीलंका सरकार ने संगठन के सफाए का दावा किया और कहा कि तमिल ईलम के लिए दशकों से चल रहा हिंसक आंदोलन का अंत इसके मुखिया की मौत के साथ हो गया है। लिट्‍टे के हिंसक आंदोलन में 70 हजार से ज्यादा लोगों ...
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भारत में सूचना तकनीक के क्षेत्र में हुई उन्‍नति‍ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि‍ आज अमेरि‍का में स्‍कूल जाने वाले कई बच्‍चे अपने होमवर्क के लि‍ए अब अपने माता पि‍ता की मदद नहीं लेते बल्‍कि‍ वे भारत के आईटी हब बेंगलुरु पर आधारि‍त ई ट्यूटोरिंग ...
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तंत्र-साधना के बल पर आदमी अलौकिक और चामत्कारिक शक्तियों का स्वामी बन सकता है? इस सवाल का हाँ या ना में जवाब देने के बजाय यह कहा जा सकता है कि आज के युग में तंत्र-साधना के प्रति लोगों में गहरी दिलचस्पी बनी हुई है। पुराने जमाने के अपेक्षा आज का आम ...
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वर्ष 2009 कॉरपोरेट इतिहास में सत्यम ‘महाघोटाले’ के लिए भी याद किया जाएगा जिसने पूरी दुनिया में भारतीय उद्योग जगत की छवि धूमिल की। जनवरी में सामने आए इस महाघोटाले की परतें आज भी खुलना जारी हैं। कई आरोप पत्र दाखि‍ल कि‍ए जा चुके हैं और रोज एक नया ...
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कहीं साहित्य-संसार विवादों की काली छाया से घिरा रहा तो कहीं पारंपरिक लेखन में किसी तरह के बदलाव के लिए हम तैयार नहीं दिखे। जहाँ एक और भारतीय तरूणाई ने नव-चेतना की किरण से मन-आँगन में उत्साह की कलियाँ खिलाईं वहीं इसी साल हमारे कुछ संभावनाशील ...
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आतंकवाद व आर्थिक मंदी से लड़खड़ाया भारत आज फिर से उसी जिंदादिली के साथ पर्यटकों के स्वागत को तैयार खड़ा है। पर्यटक भी अब बीते दिनों की कड़वी यादों को भूलकर पुन: भारत की ओर रूख करने लगे है। लगभग एक साल के सन्नाटे के बाद गोआ के सुहाने समुद्र तटों का ...
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नौकरी के बाजार की शुरुआत 2009 में जैसी हुई उससे बुरी शुरुआत किसी साल की नहीं हो सकती लेकिन जैसे-जैसे दिन गुजरे उम्मीदों की किरण दिखने लगी। मंदी के दौरान लाखों लोगों ने अपना रोजगार गँवाया।
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