कुंडलिनी जागरण में 'मैं कौन हूं?' इसका उत्तर मिलता है- योगिनी चांदनी
इंदौर। श्री अटल बिहारी वाजपेयी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में 'कुंडलिनी जागरण एवं ट्रांसफॉर्मेशनल योग (स्वरूपांतरण)' विषय पर 2 दिवसीय 12-13 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला में अमेरिका तथा ताईवान से आए हुए योग विशेषज्ञों ने कुंडलिनी जागरण की सहज प्रक्रिया का मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम के पहले दिन के पहले सत्र में अमेरिका तथा ताईवान से आए हुए विशेषज्ञों का स्वागत प्राचार्य एसएल गर्ग, वाणिज्य के विभागाध्यक्ष डॉ. अनूप कुमार व्यास, योग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेनु भरकतिया, गिरीश गलोदिया तथा मनोज सोनगरा ने किया। स्वागत के बाद योगासन, प्राणायाम और कुंडलिनी जागरण की कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें सैकड़ों प्रतिभागियों ने योग के विभिन्न आसनों और क्रियाओं का लाभ प्राप्त किया।ताईवान से पधारी योग प्रशिक्षक योगिनी चांदनी (Ms Hugang Rong) ने बताया कि शक्ति हर मानव के अंदर होती है। केवल उसका अनुभव एवं उत्थान यौगिक क्रियाओं, आसन, प्राणायाम, बंध एवं गुरुकृपा से सहत होता है। कुंडलिनी शक्ति रीढ़ के सबसे अंतिम छोर पर मूलाधार चक्र में होती है जिसे कपाल भाति, नाड़ि शुद्धि, बीज मंत्रों एवं प्रणव साधना से जाग्रत किया जा सकता है। योगिनी चांदनी ने कहा कि कुंडलिनी जागरण से आत्मानुभूति, आनंद, प्रसन्नता एवं शांति की प्राप्ति होती है, जो मानव जीवन का लक्ष्य है। कुंडलिनी 'मैं कौन हूं?' इसका उत्तर सार्थक रूप से जानने में सहायता करती है।ताईवान की मिस रॉन्ग (योगिनी चांदनी) की खासियत है कि वे एक समय में एक साथ 5 हजार उपस्थित लोगों की कुंडलिनी जागृत कर सकती है। मिस रॉन्ग ने हिन्दुस्तान से ही योग की शिक्षा ली और वे अब लोगों को योग के लाभ सिखा रही है।पहले दिन के दूसरे सत्र में योगिनी सूर्यमुखी (Ms Hollis Antier USA) एवं योगी परमहंस (Mr. Tyler Ali USA) ने 'स्वरूपांतरण' विषय पर मार्गदर्शन दिया एवं विशिष्ट प्रकार के वैज्ञानिक आसन एवं प्राणिक क्रियाओं का अभ्यास करवाया जिसमें शंसकासन, मार्जरीआसन, उस्टासन, तितली आसन आदि प्रमुख थे। '
स्वरूपांतरण' प्रक्रिया में आपने बताया कि इसके चार आयाम होते हैं जिसे तथ्यात्मक एवं रोचकपूर्ण ढंग से समझाया गया। पहला आयाम स्वयं को जानना, दूसरा आयाम आंतरिक शुद्धता प्राप्ति, तीसरा आयाम अपने आपसे संवाद करना एवं चौथा आयाम पराचेतना का अनुभव करना।कार्यशाला के प्रथम दिवस में दो हजार से अधिक प्रतिभागियों ने योग की विभिन्न मुद्राएं एवं आसनों का लाभ लिया एवं अभ्यास किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. शोभना व्यास ने किया। आभार योग विभाग के हेमंत शर्मा ने माना।
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