शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. योग
  3. आलेख
  4. त्रिबंधासन योग के लाभ
Written By अनिरुद्ध जोशी

त्रिबंधासन योग के लाभ

tri bandha yoga | त्रिबंधासन योग के लाभ
FILE
त्रिबंधासन में तीनों बंध (उड्डीयान, जालंधर और मूलबंध) को एक साथ लगाकर अभ्यास किया जाता है इसलिए इसे बंध त्रय या त्रिबंधासन कहते हैं।

इसकी विधि- सिद्धासन में बैठकर श्वास को बाहर निकालकर फेंफड़ों को खालीकर दें। अब श्‍वास अंदर लेते हुए घुटने पर रखें हाथों पर जोर देकर मूलबंध करें अर्थात गुदा को ऊपर की ओर खींचते हुए पेट को अंदर की ओर खींचें।

फिर श्वास छोड़ते हुए पेट को जितना संभव हो पीठ से पिचकाएँ अर्थात उड्डीयान बंघ लगाएँ। साथ ही ठोड़ी को कंठ से लगाकर जलन्धर बंध भी लगा लें। उक्त बंध की स्थिति में अपनी क्षमता अनुसार रुकें और फिर कुछ देर आराम करें।

सावधानी- इस आसन का अभ्यास स्वच्छ व हवायुक्त स्थान पर करना चाहिए। पेट, फेंफड़े, गुदा और गले में किसी भी प्रकार का गंभीर रोग हो तो यह बंध नहीं करें।

इसके लाभ- इससे गले, गुदा, पेशाब, फेंफड़े और पेट संबंधी रोग दूर होते हैं। इसके अभ्यास से दमा, अति अमल्ता, अर्जीण, कब्ज, अपच आदि रोग दूर होते हैं। इससे चेहरे की चमक बढ़ती है। अल्सर कोलाईटिस रोग ठीक होता है और फेफड़े की दूषित वायु निकलने से हृदय की कार्यक्षमता भी बढ़ती है।
ये भी पढ़ें
बंध त्रय योग के फायदे