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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

योगा फॉर युअर टार्गेट

टार्गेट को करें फोकस

लक्ष्य
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बहुत से लोगों की लाइफ का कोई टार्गेट यटार्गेफोकनहीं होता, तो पहले तो टार्गेट डिसाइड करें और उस पर दिमागी ताकत से पूरा फोकस डाले। लाइफ में हम कोई-सा भी टार्गेट, एम या गोल डिसाइट करते हैं और यदि उसे हम अचीव नहीं कर पाते हैं तो हम डिप्रेशन का शिकार होकर स्वयं को असफल मानने लगते हैं।

असफलता का मुख्‍य कारण मन का लक्ष्य की बात को छोड़कर व्यर्थ की बातों पर ध्यान केंद्रिजानहै। हम आपको बताते हैं कुछ योगा टिप्स जो आपको निराशा के गर्त से बाहर निकालने की क्षमता रखती है बशर्ते की आप उनका पालन करते हैं तो माइंड बनेगा यूनिडाइमेंश्नल।

टाइगर टार्गेट : योग के पाँचवें अंग प्रत्याहार को अंग्रेजी में Withdrawal कह सकते हैं, लेकिन यह शब्द उचित नहीं है। फिर भी समझने के लिए यह जरूरी है। इंद्रियों को वापस मन में खिंच लेना ही प्रत्याहार है। यह ठीक वैसा ही है जैसे की कोई चीता शिकार के पहले स्वयं को कुछ कदम पीछे हटाता और फिर शिकार पर ध्यान केंद्रित करता है, तब बस कुछ सेकंड में शिकार उसकी गिरफ्त में होता है।

रिस्टलेस माइंड : आँख रूप को, नाक गंध को, जीभ स्वाद को, कान शब्द को और त्वचा स्पर्श को भोगती है। भोगने की इस प्रवृत्ति की जब अति हो जाती है तो मन विचलित रहने लगता है। ये भोग जैसे-जैसे बढ़ते हैं, इंद्रियाँ सक्रिय होकर मन को विक्षिप्त करती रहती हैं। एकाग्रता छोड़कर 'मन' ज्यादा व्यग्र तथा व्याकुल होने लगता है, जिससे हमारी मानसिक और शारीरिक शक्ति का क्षय होता है।

क्या है प्रत्याहार : भोग, संभोग, क्रोध, भय, कल्पना, विचार और व्यर्थ की चिंताओं की ओर जो इंद्रियाँ निरंतर गमन करती रहती हैं, उनकी इस गति को रोककर भीतर मन को स्थिर करना ही प्रत्याहार है। जिस प्रकार कछुआ अपने अंगों को समेट लेता है उसी प्रकार इंद्रियों को इन घातक वासना और नकारात्म विचार से अलग कर अपनी आंतरिकता या लक्ष्य की ओर मोड़ देने का प्रयास करना ही प्रत्याहार है।

सॉल्यूशन : इंद्रियों को भोगों से दूर कर उसके रुख को भीतर की ओर मोड़कर स्थिर रखने के लिए प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए। प्राणायाम के अभ्यास से इंद्रियाँ स्थिर हो जाती है। अतः प्राणायाम के अभ्यास से प्रत्याहार की स्थिति अपने आप बनने लगती है। दूसरा उपाय है प्रतिदिन मॉर्निंग और इवनिंग में पाँच से तीस मिनट का ध्यान करें। इस सबके बावजूद यदि आपके भीतर संकल्प है तो आप संकल्प मात्र से ही प्रत्याहार की स्थिति में हो सकते हैं।

बेनिफिट : संकल्प और प्राणायाम से हमारा मन वन डॉयमेंशीअली होता है। इससे व्यक्ति का एनर्जी लेवल बढ़ता है। पवित्रता के कारण ओज (Vigor) या ओरा में निखार आता है। किसी भी प्रकार के रोग शरीर और मन के पास फटकते तक नहीं हैं। आत्मविश्‍वास और विचार क्षमता बढ़ जाती है, जिससे दृड़ता आती है। दृड़ता ही लक्ष्य को भेदने की ताकत रखती है।