• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नायिका
  3. महिला दिवस
  4. Meri Lekhni / Women's Day Poem
Written By

महिला दिवस कविता : मेरी लेखनी

महिला दिवस कविता
मनीषा कुशवाह

सुरों की सरिता गंगा....
तू तो पावन सावन है।
झर-झर बहता जल झरनों से
तू तो गहरा सागर है।
 
कुछ दूरी है....कुछ चिंतन है, 
कुछ रिश्तों की धूरी है। 
सरल सहज है मेरी लेखनी, 
शब्दों की अभिव्यक्ति है।
तन उजास और मन उजास, 
उर भावों का ये बंधन है। 
शंखनाद है मेरे मन का, 
खमोशी का विसर्जन है।
 
होले से कहती हो, सुन लो
यही तर्क है भावों का।
अभिनंदन हो हर नारी का, 
मैला न परिधान रहे।
 
चित्त में गूंजे मधुर गान, 
और मन का ये श्रृंगार रहे।
राहें नापो मंजिल की, 
पथ पर नई पहचान मिले।
 
सात सुरों की सरिता गंगा...
तू तो पावन सावन है।।   
ये भी पढ़ें
कविता : नारी तू नारायणी